रायपुर। chaturpost.com (चतुरपोस्ट.कॉम)
अन्य क्षेत्रों की तरह, कोविड-19 महामारी और उसके बाद के लॉकडाउन ने छत्तीसगढ़ में स्कूली बच्चों की सीखने की क्षमता एवं प्रक्रिया को बुरी तरह प्रभावित किया है, इसलिए राज्य सरकार को प्राथमिकता के आधार पर सरकारी स्कूलों में बच्चों के सीखने के अंतराल को पाटने के लिए प्रयास और पहल करने की जरूरत है। गैर-लाभकारी संस्था आत्मशक्ति ट्रस्ट, दलित आदिवासी मंच एवं जन जागरण समिति, छत्तीसगढ़ के द्वारा आज जारी एक हालिया और संयुक्त तथ्य-खोज अध्ययन रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है। .
राज्य अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य राम पप्पू बघेल, राज्य आरटीई फोरम के संयोजक गौतम बंदोपाध्याय, छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधि, विभीषण पात्रे – सचिव, जन जागरण समिति देवेंद्र बघेल – संयोजक दलित आदिवासी मंच, आत्मशक्ति ट्रस्ट के वरिष्ठ प्रबंधक संतोष कुमार, मनोज सामंतरे और कई अन्य गणमान्य लोगों ने रिपोर्ट के विमोचन में भाग लिया और राज्य में बच्चों के बीच सीखने के परिणामों में सुधार के लिए कार्य एवं रणनीतियों पर चर्चा की।
यह रिपोर्ट छत्तीसगढ़ के महासमुंद, बलौदाबाजार और जांजगीर चांपा जिले के 323 गांवों के किये गए ऑनलाइन अध्ययन पर आधारित है। इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य है की महामारी के दौरान स्कूल बंद होने के कारण बच्चों को जो सीखने की हानि हुई है उसके रिकवरी के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का धरातल पर क्या असर है। इसको पाता लगाया जा सके और राज्य सरकार को इसके बारे में अवगत कराया जा सके ताकि शिक्षा की वर्तमान स्थिति के अंतर को पाटने के लिए एक सहयोगी प्रयास किया जा सके।
अध्ययन में लर्निंग रिकवरी प्रोग्राम पर 651 उत्तरदाताओं, शिक्षा के अधिकार के मानदंडों पर 367 उत्तरदाताओं, ड्रॉप आउट पर 101 उत्तरदाताओं और प्रवासन ( माइग्रेशन ) पर 96 उत्तरदाताओं से डेटा एकत्र किया गया है ।