Achar Sanhita रायपुर। छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय (नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायत) के साथ त्रिस्तरीय पंचायत (ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और जिला पंचायत) के लिए चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा कर दी गई है। इसके साथ ही आदर्शन आचार संहिता लागू हो गया है। आचार संहित के दौरान सरकारी कर्मचारियों के लिए राज्य सरकार ने गाइड लाइन जारी कर रखी है। इसका सख्ती से पालन किया जाना है।
आचार संहिता लागू होने के साथ ही पूरा प्रशासन राज्य निर्वाचन आयोग के कंट्रोल में चला गया है। अब कोई भी प्रशासनिक फैसला बिना आयोग की अनुमति के नहीं लिया जा सकता, विशेष रुप से ऐसे फैसले जिनका असर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से चुनाव पर पड़ सकता है। इसमें मैदानी अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग भी शामिल है।
सरकारी कर्मचारियों को चुनाव में बिल्कुल निष्पक्ष रहना चाहिए। यह जरुरी है कि जनता को उनकी निष्पक्षता का विश्वास हो। उन्हें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे ऐसी शंका भी हो कि वे किसी दल या उम्मीदवार की मदद कर रहे हैं। सरकारी कर्मचारियों को किसी भी प्रकार से चुनाव अभियान या प्रचार में भाग नहीं लेना चाहिए। उन्हें यह देखना चाहिए कि सरकार में उनकी हैसियत या उन्हें प्रदत्त अधिकारों का लाभ कोई दल या उम्मीदवार न ले सके।
किसी अन्यर्थी के चुनाव के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कार्य करना छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम, 1966/ अखिल भारतीय सेवाए (आचरण) नियम, 1968 के प्रावधानों के विपरीत है। प्रत्याशियों से संबंद्ध अधिकारी/कर्मचारी न तो किसी अभ्यर्थी के लिए कार्य करेंगे और न ही मत देने के लिए किसी प्रकार का प्रभाव डालेंगे। इसके अतिरिक्त कोई सरकारी सेवक चुनाव अभिकर्ता मतदान अभिकर्ता या गणन अभिकर्ता के रूप में कार्य नहीं कर सकता है।
चुनाव की घोषणा की तारीख से चुनाव खत्म होने तक जब कभी मंत्री जिले में सरकारी भ्रमण पर आए और सर्किट हाऊस या विश्राम गृह में ठहरे तब हमेशा की तरह उनके आगमन / प्रस्थान के समय प्रोटोकॉल के अनुसार संबंधित अधिकारी को उपस्थित रहना चाहिए।
यदि मंत्री किसी निजी निवास पर ठहरते है तो आगमन और प्रस्थान के समय किसी अधिकारी को जाने की जरूरत नहीं है। यदि किसी सरकारी काम से कोई मंत्री किसी अधिकारी को सर्किट हाऊस या रेस्ट हाऊस में बुलाए तो जाना चाहिए, लेकिन किसी के निजी मकान पर जहां मंत्री ठहरे हों, नहीं जाना चाहिए।
मंत्री सरकारी भ्रमण पर हो और जिला मुख्यालय में सर्किट हाऊस/रेस्ट हाऊस में ठहरे, तो हमेशा के अनुसार सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए। यदि मंत्री किसी के निजी मकान में ठहरे, तो सुरक्षा व्यवस्था का प्रबंध न किया जाए। (यदि गांवों के दौरे के समय किसी रेस्ट हाऊस में ठहरे, तो भी सुरक्षा व्यवस्था का प्रबंध करने की जरूरत नहीं है।)
जहां तक मंत्री की खुद की सुरक्षा का प्रश्न है, उनके साथ सुरक्षा गार्ड रहता ही है। यदि पुलिस अधीक्षक यह महसूस करते है कि किसी विशेष कारण से और सुरक्षा की व्यवस्था करना आवश्यक है, तो वह बगैर वर्दी के एक या दो सिपाही लगा सकते हैं। यह पुलिस अधीक्षक के विवेक पर निर्भर करेगा कि वे सिपाही हथियार सहित ड्यूटी करेंगे या बगैर हथियार के। यह निर्देश ऐसे सभी महानुभावों पर भी लागू होगा, जिन्हें मंत्री का दर्जा प्रदान किया गया है।
यहां यह स्पष्ट किया जाता है कि चुनाव की घोषणा की तारीख से लेकर चुनाव की प्रक्रिया पूर्ण होने तक की अवधि में केन्द्र या राज्य शासन के कोई भी मंत्री ऐसे चुनाव क्षेत्र में सरकारी दौरा नहीं करेंगे जिनमें चुनाव की घोषणा हो चुकी है।
मंत्री किसी संस्था या पार्टी की ओर से आम सभा आयोजित करते है, तो सभा की व्यवस्था नहीं की जाए। केवल कानून और व्यवस्था बनाए रखना सुनिश्चित् किया जाएगा। यदि कोई मंत्री चुनाव के कार्य से भ्रमण करते हैं, तो सरकारी कर्मचारी और अधिकारी उनके साथ नहीं जाएंगे। उन अधिकारियों को छोड़कर, जिन्हें ऐसी सभा के आयोजन में लॉ एंड आर्डर के लिए, सुरक्षा के लिए, या कार्यवाही नोट करने के लिए तैनात किया गया हो, दूसरे अधिकारियों को ऐसी सभा या आयोजन में शामिल नहीं होना चाहिए। जब किसी मंत्री को निजी मकान पर खाने-पीने के लिए आमंत्रित किया जाना है, तो कोई सरकारी अधिकारी या कर्मचारी उसमें शामिल नहीं होंगे।
चुनावी सभा सरकारी शिक्षण संस्थाओं के खेल के मैदानों में या सरकारी कार्यालयों या सरकारी मुलाजिमों के मकानों से लगी खुली जमीन पर करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए, लेकिन इनके अलावा यदि कोई खुली सरकारी भूमि हो, तो उस पर सभा करने की अनुमति देने में कोई आपत्ति नहीं है।
सार्वजनिक स्थान पर चुनावी मीटिंग की अनुमति देते समय विभिन्न राजनैतिक दलों में कोई भेद नहीं करना चाहिए। यदि एक ही दिन में कई दल एक ही जगह पर सभा करना चाहते हैं, तो उस दल को अनुमति दी जाए, जिसने सबसे पहले आवेदन दिया हो। यहां पर यह स्पष्ट किया जाता है कि दो दलों की आमसभा, एक ही समय पर, लगे हुए स्थानों पर होने देना उचित नहीं होगा, क्योंकि इससे लॉ एंड आर्डर की समस्या उत्पन्न होने की संभावना रहती है।
ऐसी परिस्थिति में दोनों पक्षों को यह समझा दिया जाए कि यदि वे अलग-अलग समय अथवा अलग-अलग स्थानों पर सभाएं आयोजित करें तो अच्छा होगा।
चुनाव के दौरान किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को अवकाश स्वीकृत करने में पर्याप्त सावधानी रखी जाए ताकि चुनाव कार्य प्रभावित न हो। कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी राजनीतिक आंदोलन में न तो भाग लेगा न उनकी सहायता के लिए चंदा देगा और न ही किसी प्रकार का सहयोग देगा।
चुनाव में लाउडस्पीकर का उपयोग चुनाव अभियान में लाउड स्पीकर का उपयोग सभी राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों और उनके कार्यकर्ता द्वारा किया जाता है।
चुनाव अभियान के लिए लाउड स्पीकरों की तेज आवाज से सामान्य व्यक्ति की शांति भंग हो जाती है, जिसके कारण वयोवृद्ध और बीमार व्यक्तियों को काफी असुविधा होती है। अतः आम जनता की परेशानी को देखते हुए आयोग द्वारा कुछ तर्कसंगत प्रतिबंध लगाए गये हैं। तद्नुसार कार्यवाही करना सुनिश्चित की जाए। इस संबंध में छत्तीसगढ़ कोलाहल नियंत्रण अधिनियम का पालन सुनिश्चित् हो।
संपत्ति विरूपण को रोकने संबंधी निर्देश चुनाव के समय इस आशय की शिकायतें प्राप्त होती है कि चुनाव के प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और प्रत्याशी चुनाव संबंधी पोस्टर चिपकाकर, नारा लिखकर, चुनाव प्रतीकों के चित्र बनाकर सरकारी और गैर सरकारी भवनों को विकृत करते है।
यह सभी भवन मालिकों की अनुमति के बिना करके उन्हें परेशान किया जाता है और इससे न केवल भवन, बल्कि पूरा ग्राम/शहर विरूपित हो जाता है। इस संबंध में छत्तीसगढ़ सम्पत्ति विरूपण अधिनियम का पालन सुनिश्चित् हो।
निर्वाचनों को संपन्न कराने के लिए वाहनों की काफी संख्या में आवश्यकता पड़ेगी। ये वाहन चुनाव के लिए आवश्यक सामान और चुनाव कर्मचारियों को एक जगह से दूसरी जगह लाने, ले जाने के कामों में लगाए जाएंगे। आप कृपया अपने विभाग के वाहनों की सूची जिला कलेक्टरों को तुरंत भेज दें और कलेक्टर द्वारा वाहन की मांग करने पर तत्काल उपलब्ध कराए। वाहन अच्छी और चालू हालात में रखना आवश्यक है, ताकि चुनाव के काम में कोई बाधा न पड़े।
इसलिए आप ऐसी व्यवस्था भी करें, कि वाहन की मरम्मत समय पर हो जाए, ताकि कलेक्टर को वाहन समय पर चालू हालात में उपलब्ध हो सके। यदि किसी विशेष परिस्थिति में किसी विभाग के वाहन को कार्य की आवश्यकता को दृष्टि में रखते हुए छूट दिया जाना आवश्यक समझा जाता है. तो विभाग को कलेक्टर से संपर्क करना चाहिए। यह कलेक्टर के विवेक पर रहेगा कि वे उन्हें छूट दें अथवा नहीं।
चुनाव की घोषणा होने के बाद सभी विभागाध्यक्षों को विभागीय वाहनों की मरम्मत का कार्य प्राथमिकता के आधार पर कराना चाहिए, इस काम के लिए अपने अधीनस्थ कार्यालयों को आवश्यक धन राशि का आबंटन और स्वीकृति भी शीघ्र दी जानी चाहिए। आवश्यकता होने पर कलपूर्जी, टायर ट्यूब्स, बैटरी आदि के खरीदने के लिए धनराशि उपलब्ध कराई जाए। इसके लिए तत्काल सक्षम अधिकारियों की स्वीकृति प्राप्त की जाना चाहिए।
चुनाव के लिए पर्याप्त संख्या में जीप, मिनी बस, बस और ट्रकों की आवश्यकता होती है। अतः चुनाव की घोषणा के बाद परिवहन आयुक्त को अपने रीजनल ट्रांसपोर्ट आफिसरों को यह निर्देश देने चाहिए कि वे अपने क्षेत्र के कलेक्टरों को वाहन उपलब्ध कराने के लिए पूरा सहयोग दें। चुनाव की अवधि में उपयोग में लाई जाने वाली गाड़ियों पर होने वाले खर्च के बारे में राज्य चुनाव आयोग द्वारा आदेश प्रसारित किए जाएंगे। इन गाड़ियों पर होने वाले खर्च का भुगतान उक्त आदेशों के अनुसार किया जाएगा।
चुनाव के दौरान ट्रक/जीप/बस और अन्य वाहनों का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है। अतः यह आवश्यक है कि प्रत्येक जिले में पेट्रोल और डीजल की समुचित व्यवस्था की जाए। इस के लिए कलेक्टर को संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलाकर स्टाक की स्थिति का आंकलन कर लेना चाहिए। ऐसे स्थान जहां पेट्रोल पम्प नहीं है। वहां पेट्रोल-डीजल रखने की व्यवस्था की जाए।
चुनाव की घोषणा के बाद चुनाव के परिणाम घोषित किए जाने तक अवधि के लिए विश्रामगृहों / विश्राम भवनों के कम से कम एक कक्ष चुनाव कार्य से संबंधित अधिकारियों के लिए आरक्षित रखा जाए, इस आरक्षित कक्ष के आबंटन में निम्न प्राथमिकता निर्धारित की जाती है – राज्य चुनाव आयुक्त, राज्य चुनाव आयोग के प्रेक्षक, छत्तीसगढ़ राज्य चुनाव आयोग के अधिकारी, चुनाव कार्य से संबंधित अन्य अधिकारी।
चुनाव कार्य के लिए जिलों के कलेक्टर, सभी विभागों के कर्मचारियों की सेवाएं ले सकेंगे, लेकिन चिकित्सालयों में कार्यरत् चिकित्सक, पशु चिकित्सालय में कार्यरत्चिकित्सक और कम्पाउंडर, पुलिस, जनसंपर्क और जेल के अधिकारी/कर्मचारियों की सेवाएं नहीं ली जाएगी।
कलेक्टर संबंधित जिला अधिकारियों को सूचित करेंगे कि चुनाव के काम के लिए उनके अधीनस्थ पदस्थ किस कर्मचारी को कब और किस जगह काम करना है, जब कभी कलेक्टर कर्मचारियों की सेवाए चुनाव कार्य के लिए मांगे, तो वे तुरंत उपलब्ध करा दी जाएं और कर्मचारियों को यह निर्देश दिया जाए कि बिना किसी विलंब के कलेक्टर के आदेशों का पालन किया जाए।
चुनाव की अवधि में उन कर्मचारियों को, जिनका चयन कलेक्टर ने चुनाव कार्य के लिए किया हो या जिनके विषय में कलेक्टर ने ऐसी अपेक्षा की हो, बिना कलेक्टर की सहमति के किसी प्रकार अवकाश स्वीकृत न किया जाए। अवकाश का प्रकरण कलेक्टर की सहमति के लिए सिर्फ उस स्थिति में भेजा जाए, जब संबंधित अधिकारी/कर्मचारी का अवकाश पर जाना अत्यन्त आवश्यक हो।
अन्यथा उनका अवकाश आवेदन अस्वीकार कर दिया जाए।जिन अधिकारियों / कर्मचारियों की ड्यूटी चुनाव कार्य में लगाई गई है, या जिनके विषय में कलेक्टर ने ऐसी अपेक्षा की हो, उन अधिकारियों और कर्मचारियों को अन्य कार्य के लिए जिले के बाहर आयोजित बैठकों और चुनाव प्रशिक्षण के अतिरिक्त अन्य किसी प्रशिक्षण में नहीं भेजा जाए।
अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवाएं चुनाव कार्य या चुनाव प्रशिक्षण के लिए ली जानी है उनकी उपस्थिति संबंधित जिला अधिकारी सुनिश्चित करें। चुनाव अवधि में सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों, के ट्रांसफर पर लगाए गए प्रतिबंध का पूरी तरह पालन किया जाए।
चुनाव कार्य के लिए निम्नलिखित विभागों के कर्मचारियों की सेवाएं भी ली जा सकती है। सभी स्थानीय संस्था, राज्य अधिनियम द्वारा स्थापित या संस्थापित या उसके अधीन प्रत्येक विश्वविद्यालय, राज्य सरकार के किसी भी अधिनियम के तहत् स्थापित कोई अन्य संस्थान, संस्था या उपक्रम, जो राज्य शासन द्वारा स्थापित या उसके अधीन हो या जो राज्य शासन द्वारा नियंत्रित या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रदत्त निधियों द्वारा संपूर्ण रूप से या पर्याप्त रूप से आर्थिक सहायता प्राप्त हो।
ऐसी महिलाएं जो प्रसव की अग्रिम स्थिति में हो, चाहे वे प्रसूति छुट्टी पर गई हैं या नहीं अथवा जो अन्यथा डॉक्टरी सलाह पर किसी कठोर या भारी काम के उपयुक्त नहीं हैं और नवजात शिशु को स्तनपान करा रही हो उन्हें मुक्त रखा जाए। शारीरिक अपंगता से जो कर्मचारी भारी काम नहीं कर सकते, उन्हें चुनाव कार्य से मुक्त रखा जाए।
किसी भी स्तर पर मौखिक या लिखित रूप से प्रस्तुत चुनाव संबंधी शिकायतें जल्दी से जल्दी निराकृत की जाए। अभ्यर्थी द्वारा की गई शिकायत की जांच यथाशीघ्र पूरी की जाकर उस पर आवश्यक कार्यवाही की जाए।
अधिकारी जिसे शिकायत प्रस्तुत की गई है, यदि स्वयं सुधारात्मक कार्यवाही के लिए सक्षम है, तो तत्काल ऐसी कार्यवाही करेंगे, अन्यथा सक्षम स्तर पर इसे प्रस्तुत करेंगे। राज्य चुनाव आयोग से जो शिकायतें प्राप्त होती है उनके संबंध में त्वरित जांच कराकर वांछित प्रतिवेदन शीघ्र ही प्राप्त की जाए ताकि रिपोर्ट समय पर भेजी जा सके।
चुनाव के समय कृषि उपज मंडी समिति, या ऐसे ही अन्य चुनाव होते हैं तो चुनाव के कार्य की गति में व्यवधान पड़ने की संभावना रहती है। अतः चुनाव की घोषणा होने के बाद और सम्पन्न होने तक कोई भी ऐसे चुनाव न कराए जाए। (यदि किसी विभाग द्वारा कोई कार्यक्रम बनाया जाता है, तो उन्हें भी तद्विषयक अनुरोध कर लिया जाए)
चुनाव की अवधि में मंत्रियों द्वारा आश्वासन और अनुदान की घोषणा न करना- मंत्रियों और अन्य प्राधिकारियों को उस समय से जब से राज्य चुनाव आयोग द्वारा चुनाव घोषित किए जाते हैं, विवेकाधीन निधि में से अनुदानों/अदायगियों की स्वीकृति नहीं देनी चाहिए। मंत्री और अन्य प्राधिकारी, उस समय से जब से राज्य चुनाव आयोग द्वारा चुनाव घोषित किए जाते हैं :-किसी भी रूप से कोई भी वित्तीय अनुदान या इस संबंध में कोई आश्वासन नहीं देंगे।
किसी प्रकार की परियोजनाओं या स्कीमों के लिए आधार शिलाएं आदि नहीं रखेंगे। इस काम में लोक सेवाओं को छूट रहेगी। सड़कों के निर्माण, पीने के पानी की सुविधाएं इत्यादि का आश्वासन नहीं देंगे। शासन, सार्वजनिक उपक्रमों आदि में कोई भी तदर्थ नियुक्ति नहीं करेंगे, जिससे सत्ताधारी दल के हित में मतदाता प्रभावित हो।
विशेष वर्ग के मतदाताओं को प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं, रोजगार, टेक्स व व्यापार, व्यवसायिक लायसेंस इत्यादि में छूट दिये जाने संबंधी घोषणा नहीं करेंगे।
मंत्रियों को अपने सरकारी दौरों को चुनाव से संबंधित प्रचार कार्य के साथ नहीं जोड़ना चाहिए और चुनाव के दौरान प्रचार करते हुए सरकारी मशीनरी अथवा कार्मिकों को उपयोग नहीं करना चाहिए। सरकारी विमानों, सरकारी वाहनों, मशीनरी और कार्मिकों का सत्ताधारी दल के हित को बढ़ावा देने के लिए उपयोग नहीं किया जाएगा।
सत्ताधारी दल को चाहिए कि वह सार्वजनिक स्थान जैसे मैदान इत्यादि पर चुनाव सभाएं आयोजित करने और अन्य इस्तेमाल करने के लिए अपना एकाधिकार न जमाएं। ऐसे स्थानों का उपयोग दूसरे दलों और अभ्यर्थियों को भी उन्ही शर्तों पर करने दिया जाए जिन शर्तों पर सत्ताधारी दल को उपयोग करने की अनुमति दी गई हो।
सत्ताधारी दल या उसके अभ्यर्थियों का विश्राम गृहों; डाक बंगलों या अन्य सरकारी आवासों पर एकाधिकार नही होगा और ऐसे आवासों का प्रयोग निष्पक्ष तरीके से करने के लिए अन्य दलों और अभ्यर्थियों को भी अनुमति दी जाएगी किन्तु कोई भी दल या अभ्यर्थी ऐसे आवासों का (इनके साथ संलग्न परिसरों सहित) प्रचार कार्यालय के रूप में या चुनाव प्रचार के लिए कोई सार्वजनिक सभा करने की दृष्टि से उपयोग नहीं करेगा या उसे उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
चुनाव अवधि के दौरान राजनैतिक समाचारों और प्रचार की पक्षपातपूर्ण विज्ञप्ति के लिए त्रिस्तरीय पंचायतों और नगरीय निकायों के खर्चे से या अन्य माध्यमों से ऐसे विज्ञापनों का जारी किया जाना बिल्कुल बंद रहना चाहिए जिसमें सत्ताधारी पक्ष के हितों को अग्रसर करने की दृष्टि से उनकी उपलब्धियां दिखाई गई हो।
1. चुनाव की घोषणा की तारीख से चुनाव समाप्ति तक नवीन शस्त्र लाइसेंस जारी करने पर रोक।
2. आपराधिक और गुण्डा तत्वों के विरूद्ध अभियान चलाना।
3. अवैध अस्त्र/शस्त्रों को जप्त करना, सर्च करना और संलग्न तत्वों/व्यक्तियों को गिरफ्तार करना।
4. जमानत पर छूटे तत्वों की निगरानी करना।
5. हिस्ट्रीशीटर बदमाशों पर कार्यवाही।
6. पूर्व चुनाव के समय मतदान केन्द्र पर लूट करने वाले तत्वों पर कार्यवाही / उनके अस्त्र आदि जप्त करना।
7. लायसेंस शुदा उक्त क्रमांक 4. 5 और 6 में इंगित व्यक्तियों की पहचान कर आग्नेय अस्त्र जमा कराना।
8. शस्त्रों को लाने ले जाने पर चुनाव अवधि में प्रतिबंधित करना।
9. लारी, छोटे व्हीकल और अन्य सभी वाहनों की चुनाव के तीन दिन पूर्व से परिणाम घोषणा के दिनांक तक सघन जांच करना, जिससे अवांछित तत्व अस्त्रों / शस्त्रो का परिवहन चुनाव क्षेत्र में बाहर से न कर सके।