Bastar Rising जगदलपुर। बस्तर संभाग में 690 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (MSME) इकाइयां संचालित हैं। संभाग के तीन प्रमुख सेक्टर्स में चावल मिल, ईंट निर्माण और धातु निर्माण उद्योग शामिल हैं।
एनएमडीसी NMDC माइनिंग, एनएमडीसी स्टील (NMDC Steel) , एस्सार (Essar), ब्रज इस्पात (Braj Steel) और एएमएनएस इंडिया (AMNS India) जैसी प्रमुख कंपनियां यहां स्थापित हैं। संभाग से लगभग 102 करोड़ रुपये का निर्यात होता है, जिसमें लौह अयस्क की हिस्सेदारी सर्वाधिक है।
कृषि आधारित उद्योग को बढ़ावा
जगदलपुर में मंगलवार को आयोजित विकसित बस्तर की ओर परिचर्चा में बस्तर संभाग के विकास में उद्योगों की भूमिका को लेकर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा की नई औद्योगिक नीति के तहत बस्तर संभाग में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ खनिज आधारित, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और पर्यटन उद्योगों की असीमित संभावनाओं को साकार करने का रोडमैप तैयार किया गया है।
परिचर्चा में उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, वन मंत्री केदार कश्यप, सांसद महेश कश्यप, विधायक किरण सिंह देव, विनायक गोयल, प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, संबंधित विभागों के सचिव, बस्तर संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर, चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्य, बस्तर संभाग में स्थापित उद्योगों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
विकसित बस्तर की ओर बढ़ने के लिए औद्योगिक नीति 2024-30 के अनुसार बस्तर संभाग के विकास के लिए 32 में से 28 विकासखंडों को समूह 3 के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है, ताकि उद्योगों को अधिकतम प्रोत्साहन मिले। इस्पात उद्योग के लिए 15 वर्षों तक रॉयल्टी प्रतिपूर्ति का प्रबंध है।
नई औद्यौगिक नीति में आत्मसमर्पित नक्सलियों को रोजगार देने के लिए रोजगार सब्सिडी का प्रावधान है जिसमें पांच वर्षों तक शुद्ध वेतन का 40 प्रतिशत का प्रावधान है। अनुसूचित जाति/जनजाति और नक्सलवाद प्रभावित लोगों के लिए 10 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी का प्रावधान है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि आने वाले समय में पूरी तरह से शांति कायम हो जाएगी और नक्सलवाद का पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हमें बस्तर के लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत करना होगा ताकि विकसित बस्तर की ओर हम बढ़ सकें। यहां उद्योग के लिए उचित वातावरण है और हमने उद्योगों लिए नई औद्यौगिक नीति में विशेष प्रावधान भी किए है।
करीब 15 साल पहले बस्तर में टाटा अपना स्टील प्लांट लगाने की तैयारी में थी। इसके लिए जमीन अधिग्रहण भी हो गया था, लेकिन नक्सलियों की शह पर प्लांट का विरोध हुआ। लगातार विरोध को देखते हुए टाटा ने प्लांट लगाने का अपना फैसला बदल दिया और राज्य सरकार के साथ किया एमओयू रद्द कर दिया।
टाटा के लिए लोहांडीगुडा में जमीन का अधिग्रहण किया था, जिसे पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने किसानों को लौटा दिया। बस्तर में टाटा के प्लांट स्थापना से जुड़ी पूरी जानकारी के लिए यहां क्लिक करेंAMP