CAG Report: रायपुर। नियंत्रक महालेखापरीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में राज्य के सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में दवाओं, औषधियों एवं उपकरणों की उपलब्धता को लेकर रिपोर्ट दी है।
रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ शासन ने स्वास्थ्य विभाग के अन्तर्गत दवाओं, औषधियों एवं उपकरणों की सभी क्रय एवं आपूर्ति के लिए एक केन्द्रीकृत नोडल एजेंसी के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य मेडिकल सर्विसेस निगम लिमिटेड (सीजीएमएससीएल) की स्थापना (2010) की थी। 2016-22 के दौरान, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, छत्तीसगढ़ शासन (विभाग) ने ₹3,753.18 करोड़ मूल्य की दवाएं, औशधियाँ एवं उपकरण क्रय किए थे।
दवाओं, औषधियों एवं कंज्युमेबल सामग्रियों के क्रय के लिए वार्षिक मांगपत्र (एआई) को स्वास्थ्य विभाग के संचालनालयों द्वारा पिछले वर्ष की खपत, मौजूदा भण्डार एवं पहले से दिए गए क्रय आदेशों पर विचार किए बिना विलंब से एवं तदर्थ तरीके से अंतिम रूप दिया गया था। इसके अलावा कार्यक्रम/योजना दवाओं को वार्शिक मांगपत्र में शामिल नहीं किया गया था।
केन्द्रीकृत क्रय एजेंसी होने के बावजूद, 2016-22 के दौरान कुल क्रय का 26.79 से 50.65 प्रतिशत तक स्थानीय क्रय (विकेन्द्रीकृत क्रय) के माध्यम से दवाओं, औषधियों एवं कंज्युमेबल सामग्रियों का क्रय किया गया।
सीजीएमएससीएल पर भी गंभीर टिप्पणी
सीजीएमएससीएल छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम (सीजीएसपीआर) के अनुरूप क्रय नियमावली तैयार करने में विफल रही, जिसके कारण कई मामलों में सीजीएसपीआर का उल्लंघन करते हुए क्रय किया गया। सीजीएमएससीएल द्वारा अंतिमीकृत किए गये कुल 278 निविदाओं के दर अनुबंधों (आरसी) में से 165 निविदाओं को 2016-22 के दौरान तीन से 694 दिनों की देरी से अंतिम रूप दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप दवाओं एवं उपकरणों की आपूर्ति में देरी हुई। अंतिम रूप देने में देरी के परिणामस्वरूप दवाओं का स्थानीय क्रय ऊंची दरों पर हुआ।
वर्ष 2016-22 के दौरान मांग की गई मात्रा से आवश्यक दवाओं का प्रतिशत 48.82 प्रतिशत (2016-17) एवं 63.59 (2018-19) के मध्य था, जिसके लिए आरसी को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। परिणामस्वरूप 2017-22 के दौरान ₹ 97.93 करोड़ की अपरीक्षित आवश्यक दवाओं का स्थानीय क्रय किया गया।
सीजीएमएससीएल द्वारा सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन के बिना उपकरणों एवं दवाओं के क्रय के लिए नए दर अनुबंध की वैधता अवधि को बढ़ा दिया गया था।
सीजीएमएससीएल द्वारा टेलरमेड स्पेसिफिकेशन के आधार पर दवाओं एवं उपकरणों के क्रय किए जाने के प्रकरण पाये गए, निविदाएं थोक मात्रा के बजाय सांकेतिक मात्रा के साथ आमंत्रित की गईं, उद्धत दरों की औचित्य का आंकलन किए बिना एवं उचित अध्यावसाय किए बिना निविदाओं का मूल्यांकन किया गया जिसके परिणामस्वरूप उच्च दरों पर क्रय किया गया, परिणामतः परिहार्य अतिरिक्त व्यय हुआ। इसके अतिरिक्त, आवश्यकता / आवश्यक अधोसंरचना / पुर्जी / रीजेंटों/प्रशिक्षण / संचालन तौर-तरीकों की आवश्यकता / उपलब्धता सुनिश्चित किए बिना उपकरण खरीदे गए, जिसके परिणामस्वरूप ₹ 49.68 करोड़ के उपकरण निष्क्रिय पड़े रहे। सीजीएमएससीएल ने ब्लैकलिस्टेड फर्मों से ₹ 23.98 करोड़ की दवाएं भी क्रय की।
सीजीएमएससीएल आपूर्तिकर्ताओं द्वारा आपूर्ति की गई गैर-मानक गुणवत्ता वाली दवाओं का प्रतिस्थापन कराने में विफल रही और न ऐसे चूककर्ता आपूर्तिकर्ताओं पर ₹ 1.69 करोड़ का शास्ति लगाया एवं न ही₹ 24.60 लाख के डेमरेज शुल्क की वसूली की गई। स्वास्थ्य संस्थानों में दवाओं की अनुपलब्धता के प्रकरण पाये गए। नमूना जाँच किए गए सात जिलो में डीएच के लिए आवश्यक 272 ईडीएल दवाओं में से 103 दवाएं 31 मार्च 2022 की स्थिति में उपलब्ध नहीं थीं। इसी प्रकार, नमूना जाँच किए गए 14 सीएचसी में आवश्यक 149 ईडीएल दवाओं में से 39 दवाएं उपलब्ध नहीं थीं।
दवाओं के स्टोरेज की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं
नमूना जाँच किए गए गोदामों में प्रभावी शीतलन प्रणाली की कमी के कारण सीजीएमएससीएल द्वारा विभिन्न दवाओं के भंडारण के लिए निर्धारित तापमान बनाए नहीं रखा गया था, जिसके परिणामस्वरूप दवाओं की प्रभावकारिता एवं गुणवत्ता में कमी हो सकती है।
लेखापरीक्षा में कोविड-19 से संबंधित वस्तुओं के क्रय में अनियमितताएं देखी गईं, जैसे वितरक के माध्यम से क्रय, पूर्व योग्यता आवश्यकताओं को पूरा नहीं करने वाले निविदाकर्ताओं से क्रय एवं आपूर्तिकर्ताओं के पक्ष में आपूर्ति अनुसूची को संशोधित करना। सीजीएमएससीएल ने कोविड समिति की अनुशंसा के बिना ₹ 23.13 करोड़ की कोविड-19 संबंधित वस्तुओं की खरीद की थी जो कि अनियमित थी।
जीएमसीएच के लिए कोविड काल के दौरान क्रय किए गए चार लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) टैंक निष्क्रिय पड़े थे। इसके अलावा, सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सालय में स्थापित क्रायोजेनिक एलएमओ टैंक (12 कि.ली) चिकित्सालय की ऑक्सीजन पाइपलाइन से नहीं जुड़ा था एवं निष्क्रिय पड़ा हुआ था।
आईटी प्रणाली विकसित करने में नियोजन की कमी
सीजीएमएससीएल द्वारा थी क्योंकि विभिन्न सॉफ्टवेयर जैसे ड्रग्स प्रोक्योरमेंट एण्ड डिस्ट्रीब्यशन मैनेजमेंट इनफॉरमेशन सिस्टम (डीपीडीएमआईएस), ईक्विपमेंट मैनेजमेंट इनफॉरमेशन सिस्टम (ईएमआईएस), हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मेनेजमेंट इनफॉरमेशन सिस्टम (एचआईएमआईएस) एवं ई-प्रोक्यूरमेंट आपस में जुड़े हुए नहीं थे एवं क्रय तथा भुगतान से संबंधित ओवरलैपिंग मॉड्यूल थे। इसके अलावा, सभी मॉड्यूल किसी भी आईटी प्रणाली में पूरी तरह से चालू नहीं थे।
डीपीडीएमआईएस एवं ईएमआईएस में विभिन्न इनपुट / प्रोसेसिंग/आउटपुट नियंत्रण एवं सिस्टम सुरक्षा अपर्याप्त थी, जिसके परिणामस्वरूप दवाओं की प्राप्ति के समय बारकोड विवरण कैप्चर नहीं किया गया, पीएचसी को तृतीयक स्तर की दवाओं की आपूर्ति, समान खरीद आदेश (पीओ) संख्या उत्पन्न हुई। क्षतिपूर्ति (एलडी) अधिरोपित न करना/सिस्टम के माध्यम से शास्ति न लगाना एवं गुणवत्ता नियंत्रण प्रति की निगरानी न करना।
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि छत्तीसगढ़ शासन को चाहिए किः
नियामक मानकों के अनुसार गुणवत्तापूर्ण रोगी देखभाल के लिए स्वास्थ्य संस्थानों में सभी ओपीडी/आईपीडी सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करे;
रोगों के शीघ्र एवं उचित निदान के लिए सभी स्वास्थ्य संस्थानों में सभी पैथोलॉजिकल एवं इमेजिंग सुविधाओं जैसे यूएसजी एवं एक्स-रे मशीनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पहल करे;
समर्पित रसोई, आहार विशेषज्ञ, नियमित गुणवत्ता जाँच, पंजीकरण प्रमाण पत्र प्रदान करके स्वास्थ्य संस्थानों में आहार सेवाओं में सुधार करे;
प्राथमिकता के आधार पर सभी स्वास्थ्य संस्थानों में फायर अलार्म / स्मोक डिटेक्टर आदि सहित अग्नि सुरक्षा प्रणालियाँ स्थापित करे
सीएचसी एवं पीएचसी में चिकित्सालय संक्रमण नियंत्रण समितियां बनाने तथा नागरिक चार्टर एवं अधिकारों, शिकायत निवारण तंत्र एवं स्वास्थ्य संस्थानों में रोगी प्रतिक्रिया के संबंध में कमियों को दूर करने पर विचार करे।
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