consumer Protection: उपभोक्‍ता आयोग के अध्‍यक्ष और सदस्‍यों का वेतन, भत्ते और सेवा शर्तें

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consumer Protection: उपभोक्‍ता आयोग के अध्‍यक्ष और सदस्‍यों का वेतन, भत्ते और सेवा शर्तें 1 min read

consumer Protection: उपभोक्‍ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए राज्‍य सरकार की तरफ से उपभोक्‍ता आयोग की स्‍थापना की जाती है। इन आयोगों में अध्‍यक्ष और सदस्‍य की नियुक्ति की जाती है। छत्‍तीसगढ़ सरकार ने आयोग के अध्‍यक्ष और सदस्‍यों के वेतन व भत्‍ता को लेकर नई अधिसूचना जारी की है। इसमें इनके वेतन और भत्‍तें तय किए गए हैं।

consumer Protection: 1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ. –

(1) ये नियम छत्तीसगढ़ उपभोक्ता संरक्षण (राज्य आयोग और जिला आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों का वेतन, भत्ते एवं सेवा की शर्ते) नियम, 2024 कहलायेंगे।

(2) इसका विस्तार संपूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य में होगा ।

(3) ये राजपत्र में इनके प्रकाशन की तिथि से प्रवृत्त होंगे ।

परिभाषाएं- (1) इन नियमों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-

(क) “अधिनियम” से अभिप्रेत है, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (2019 का 35);

(ख) “राज्य आयोग” से अभिप्रेत है छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग;

(ग) “जिला आयोग” से अभिप्रेत है, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग;

(घ) “सदस्य” से अभिप्रेत है, यथास्थिति जिला आयोग अथवा राज्य आयोग का सदस्य,

(ड.) “अध्यक्ष” से अभिप्रेत है, यथास्थिति जिला आयोग अथवा राज्य आयोग का अध्यक्ष,

(च) “राज्य सरकार” से अभिप्रेत है, छत्तीसगढ़ शासन ।.

(2) वे शब्द और अभिव्यक्तियां, जो इस नियम में प्रयुक्त हैं और परिभाषित नहीं हैं किन्तु अधिनियम में परिभाषित हैं, के वही अर्थ होंगे, जो अधिनियम में उनके लिये समनुदेशित हैं।

consumer Protection: 3. जिला आयोग के अध्यक्ष को देय वेतन एवं भत्ते.-

(1) जिला आयोग का अध्यक्ष निम्नानुसार वेतन एवं भत्तों का अधिकारी होगा-

(एक) यदि कोई सेवारत जिला न्यायाधीश अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होता है तो वह ऐसे वेतन, भत्ते एवं अन्य सुविधाओं को प्राप्त करने का अधिकारी होगा जो वह जिला न्यायाधीश के रूप में प्राप्त कर रहा हैः

परंतु यह कि यदि सेवारत जिला न्यायाधीश अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होता है और अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान ही वह सेवानिवृत्त हो जाता है तो उसका वेतन सेवानिवृत्ति के समय प्राप्त अंतिम वेतन के समान होगा जिसमें पेंशन, भत्ते और अन्य सुविधाएं घटाकर निर्धारित किये जाने वाला शुद्ध वेतन होगा, अथवा

(दो) यदि कोई सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जाता है तो उसका वेतन सेवानिवृत्ति के समय आहरित अंतिम वेतन के समान होगा जिसमें पेशन, भत्ते और अन्य सुविधाएं घटाकर निर्धारित किये जाने वाला शुद्ध वेतन होगा, अथवा

(तीन) यदि कोई अधिवक्ता अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होता है तो उसका वेतन राज्य सरकार के अतिरिक्त सचिव को प्राप्त होने वाले वेतन के समान होगा जिसमें भत्ते और अन्य सुविधाएं घटाकर निर्धारित किये जाने वाला शुद्ध वेतन होगा।

(2) रु. 2000/- प्रतिमास की दर पर वाहन भत्ता,

(3) रु. 1000/- प्रतिमास की दर पर टेलीफोन / मोबाईल / ब्राडबैण्ड भत्ता :

(4) केवल अधिकारिक दौरे हेतु राज्य शासनके समूह “क” के अधिकारियों को यथा लागू यात्रा भत्ता / दैनिक भत्ता (टी.ए./डी.ए.) (कार्यकाल पूरा होने पर समग्र अनुदान के लिये हकदार नहीं होगा);

(5) छत्तीसगढ़ सिविल सेवायें (सरकारी कर्मचारियों के लिये भत्ते) नियम के उपबंधों के अनुसार चिकित्सा सुविधाएं;

(6) राज्य शासन के कर्मचारियों को यथा लागू मकान किराया भत्ता (एच.आर.ए.);

(7) प्रत्येक कैलेण्डर वर्ष में 13 दिवस का आकस्मिक अवकाश एवं 30 दिवस का अर्जित अवकाश (अर्जित अवकाश का नगद भुगतान नहीं किया जायेगा),

(8) वेतन में 3 प्रतिशत की दर से वार्षिक वृद्धि की जायेगी किंतु ऐसी वार्षिक वेतन वृद्धि रोक दी जायेगी यदि कार्य संतोषजनक नहीं पाया जाता है या कोई अनुशानात्मक कार्यवाही की जाती है,

(9) अध्यक्ष राज्य शासन के समूह ‘क’ के अधिकारी को यथा लागू उपबंधों के अनुसार अवकाश यात्रा रियायत के हकदार होंगे.

consumer Protection:  4. जिला आयोग के सदस्य को देय वेतन एवं भत्ते.-

(1) जिला आयोग का सदस्य निम्नानुसार वेतन एवं भत्तों का अधिकारी होगा-

(एक) यदि कोई सेवानिवृत्त अधिकारी सदस्य के रूप में नियुक्त किया जाता है तो उसका वेतन सेवानिवृत्ति के समय आहरित अंतिम वेतन के समान होगा जिसमें पेशन, भत्ते और अन्य सुविधाएं घटाकर निर्धारित किये जाने वाला शुद्ध वेतन होगा, अथवा

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(दो) यदि कोई ऐसा व्यक्ति जो किसी भी शासकीय सेवा में न रहा हो, सदस्य के रूप में नियुक्त किया जाता है तो राज्य शासन के किसी उप-सचिव के वेतनमान के न्यूनतम स्तर के मूल वेतन को प्राप्त करने का अधिकारी होगा, परन्तु वह सुविधाओं एवं भत्तों का हकदार नहीं होगा।

(तीन) यदि कोई व्यक्ति, जिला उपभोक्ता आयोग के अंशकालिक सदस्य के रुप में नियुक्त किया जाता है तो वह प्रतिदिन के वेतन अनुसार, प्रति बैठक वेतन / मानदेय प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।

(2) रू. 2000/- प्रतिमास की दर पर वाहन भत्ता,

(3) रु.500/- प्रतिमास की दर पर टेलीफोन / मोबाईल / ब्राडवैण्ड भत्ता ;

(4) सदस्य को केवल अधिकारिक दौरे हेतु राज्य शासन के समूह “क” के अधिकारियों को यथा लागू यात्रा भत्ता / दैनिक भत्ता (टी.ए.) (कार्यकाल पूरा होने पर समग्र अनुदान के लिये हकदार नहीं होगा);

(5) रू. 1000/- प्रतिमास की दर पर चिकित्सा भत्ता किन्तु किसी चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिये हकदार नहीं होगा;

(6) राज्य शासन के कर्मचारियों को यथा लागू मकान किराया भत्ता (एच.आर.ए.);

(7) प्रत्येक कैलेण्डर वर्ष में 13 दिवस का आकस्मिक अवकाश एवं 30 दिवस का अर्जित अवकाश (अर्जित अवकाश का नगद भुगतान नहीं किया जायेगा);

(8) सदस्य को 3 प्रतिशत की दर से वार्षिक वेतन वृद्धि दी जायेगी किंतु ऐसी वार्षिक वेतन वृद्धि रोक दी जायेगी यदि कार्य संतोषजनक नहीं पाया जाता है या कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाती है;

(9) सदस्य, राज्य शासन के समूह ‘क’ के अधिकारी को यथा लागू उपबंधों के अनुसार अवकाश यात्रा रियायत के हकदार होंगे।

consumer Protection:  5. राज्य आयोग के अध्यक्ष को देय वेतन एवं भत्ते.-

यदि राज्य आयोग का अध्यक्ष, सेवारत न्यायाधीश नियुक्त होता है तो वह उच्च न्यायालय के सेवारत न्यायाधीश को प्राप्त होने वाला वेतन, भत्ते एवं अन्य सुविधाओं को प्राप्त करने का अधिकारी होगा तथा राज्य आयोग का अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है तो उसका वेतन सेवानिवृत्ति के समय आहरित अंतिम वेतन में से पेंशन को घटाकर होगा तथा भत्ते एवं अन्य समस्त सुविधाएं वही होगी जो सेवारत न्यायाधीश को प्राप्त होती है।

consumer Protection: 6. राज्य आयोग के सदस्यों को देय वेतन एवं भत्ते.-

(1) राज्य आयोग का सदस्य निम्नानुसार वेतन एवं भत्ते प्राप्त करने का अधिकारी होगा. –

(एक) यदि कोई सेवारत जिला न्यायाधीश को सदस्य के रूप में नियुक्त किया जाता है तो वह उन समस्त वेतन एवं भत्तों को प्राप्त करने का अधिकारी होगा जो जिला न्यायाधीश के रुप में प्राप्त है: परंतु यह कि यदि कोई सेवारत जिला न्यायाधीश सदस्य के रूप में नियुक्ति होता है और वह अध्यक्ष के रुप में सदस्य के कार्यकाल के दौरान सेवानिवृत्त हो जाते हैं तो वे उनके द्वारा आहरित अंतिम वेतन में से पेंशन, भत्ते एवं अन्य सुविधाओं को घटाकर शुद्ध वेतन प्राप्त करने के अधिकारी होंगे, अथवा

(दो) यदि कोई सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश को सदस्य के रूप में नियुक्त किया जाता है तो वे उनके द्वारा आहरित अंतिम वेतन में से पेंशन, भत्ते एवं अन्य सुविधाओं को घटाकर शुद्ध वेतन प्राप्त करने के अधिकारी होंगे, अथवा

(तीन) यदि कोई सेवानिवृत्त गैर न्यायिक सेवा व्यक्ति को सदस्य के रुप में नियुक्त किया जाता है तो वह सेवानिवृत्ति के समय आहरित अंतिम वेतन में से पेंशन, भत्ते एवं अन्य सुविधाओं को घटाकर शुद्ध वेतन प्राप्त करने के अधिकारी होंगे, अथवा

(चार) यदि कोई अशासकीय व्यक्ति राज्य आयोग के सदस्य के रुप में नियुक्त किया जाता है तो वह राज्य शासन के अतिरिक्त सचिव के वेतनमान के न्यूनतम स्तर के मूल वेतन एवं अन्य सुविधाओं को प्राप्त करने का अधिकारी होगा।

(2) सदस्य के वेतन में 3 प्रतिशत की दर से वार्षिक वृद्धि की जायेगी किंतु ऐसी वार्षिक वेतन वृद्धि रोक दी जायेगी यदि कार्य संतोषजनक नहीं पाया जाता है या कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाती है;

(3) रू. 2000/- प्रतिमास की दर पर वाहन भत्ताः

(4) रू. 500/- प्रतिमास की दर पर टेलीफोन, मोबाईल, ब्रांडवैण्ड भत्ता;

(5) सदस्य को केवल अधिकारिक दौरे हेतु राज्य सरकार के समूह “क” के अधिकारियों को यथा लागू यात्रा भत्ता / दैनिक भत्ता (कार्यकाल पूरा होने पर समग्र अनुदान के लिये हकदार नहीं होगा);

(6) रू. 1000/- प्रतिमास की दर पर चिकित्सा भत्ता, किन्तु किसी चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिये हकदार नहीं होगा;

(7) सदस्य को राज्य शासनके कर्मचारियों को यथा लागू मकान किराया भत्ता;

(8) प्रत्येक कैलेण्डर वर्ष में 13 दिन का आकस्मिक अवकाश एवं 30 दिवस का अर्जित अवकाश (अर्जित अवकाश का नगद भुगतान नहीं किया जायेगा);

(9) सदस्य, राज्य शासन के समूह ‘क’ के अधिकारी को यथा लागू उपबंधों के अनुसार अवकाश यात्रा रियायत के हकदार होंगे।

consumer Protection:  7. आकस्मिक रिक्ति.-

(1) राज्य आयोग में अध्यक्ष के पद पर आकस्मिक रिक्ति होने की दशा में, राज्य शासन को ज्येष्ठतम सदस्य को अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के लिये नियुक्त करने का अधिकार होगाः परंतु यह कि जहां कोई राज्य का सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी, राज्य आयोग का सदस्य है या जहाँ ऐसे सदस्यों की संख्या 1 से अधिक है वहाँ ऐसे सदस्यों में से ज्येष्ठतम व्यक्ति को राज्य शासन द्वारा आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जायेगा।

(2) जिला आयोग के अध्यक्ष या सदस्य की रिक्ति होने की दशा में राज्य आयोग का अध्यक्ष किसी अन्य जिला आयोग के अध्यक्ष या सदस्य को अतिरिक्त प्रभार दे सकेंगे जब तक कि रिक्त पद की पूर्ति राज्य शासन द्वारा की जाती है।

8. वित्तीय एवं अन्य लाभों की घोषणा. अध्यक्ष अथवा सदस्य, अपना पद ग्रहण करने से पूर्व, अपनी आस्तियों और अपने दायित्वों तथा वित्तीय और अन्य लाभों की घोषणा करेगा।

consumer Protection: 9. सेवा की अन्य शर्ते.-

(1) अध्यक्ष अथवा किसी सदस्य की सेवा के निबंधन और शर्ते, जिनके सम्बन्ध में इन नियमों में कोई स्पष्ट उपबंध नहीं किया गया है, निम्नानुसार होंगेः-

(एक) राज्य आयोग के अध्यक्ष के मामले में, राज्य के उच्च न्यायालय के पीठासीन न्यायाधीश के लिये उपबंधित है:

(दो) जिला आयोग के अध्यक्ष के मामले में, प्रधान जिला न्यायाधीश / जिला न्यायाधीश के लिये उपबंधित है;

(तीन) राज्य आयोग एवं जिला आयोग के सदस्य के मामले में तत्स्थानी प्रास्थिति के राज्य शासनके समूह ‘क’ के अधिकारी को अनुज्ञेय है;

(चार) अध्यक्ष या सदस्य के पद पर पुनर्नियुक्ति के मामले में, उनका वेतन प्रावधानित वेतनमान के न्यूनतम स्तर पर निर्धारित किया जाएगा,

(पांच) कार्यकाल समाप्त होने के पूर्व किसी अध्यक्ष या सदस्य की पुनर्नियुक्ति के मामले में, उस अध्यक्ष या सदस्य को पूर्व कार्यकाल समाप्ति के एक माह पश्चात् कार्यभार ग्रहण करने की पात्रता होगी।

(2) अध्यक्ष अथवा सदस्य, यथास्थिति, राज्य आयोग अथवा जिला आयोग से कार्यकाल समाप्त होने के पश्चात् राष्ट्रीय आयोग, राज्य आयोग अथवा जिला आयोग में वकालत नहीं करेगा।

(3) अध्यक्ष अथवा सदस्य, यथास्थिति, राज्य आयोग अथवा जिला आयोग में इन क्षमताओं में कार्य करते समय किसी प्रकार की मध्यस्थता का कार्य नहीं करेगा।

(4) यथास्थिति, राज्य आयोग अथवा जिला आयोग का अध्यक्ष अथवा सदस्य उस तारीख से जिससे वे पद पर नहीं रह जाते हैं, दो वर्षों की अवधि तक किसी भी ऐसे व्यक्ति के प्रबंधन अथवा प्रशासन में अथवा उससे सम्बन्धित किसी भी रोजगार को स्वीकार नहीं करेगा जो राज्य आयोग अथवा जिला आयोग के समक्ष किसी कार्यवाही में कोई पक्षकार रहा होः

परन्तु यह कि इन नियमों में अंतर्विष्ट कोई बात, केन्द्र सरकार अथवा किसी राज्य सरकार अथवा किसी स्थानीय प्राधिकारी अथवा किसी कानूनी प्राधिकारी या किसी केन्द्रीय, राज्य या प्रांतीय अधिनियम के अधीन स्थापित किसी निगम अथवा कंपनी अधिनियम, 2013 (2013 का 18) की धारा 2 के खण्ड (45) में यथाविनिर्दिष्ट किसी सरकारी कंपनी के अधीन किसी नियोजन पर लागू नहीं होगी।

consumer Protection: 10. पद और गोपनीयता की शपथ. ग्रहण करने से पहले, इन नियमों के साथ गोपनीयता की शपथ ग्रहण करेगा। अध्यक्ष अथवा सदस्य नियुक्त किये जाने वाला प्रत्येक व्यक्ति, अपना पद संलग्न प्ररूप-एक में दी गई पद की शपथ तथा प्ररूप-दो में दी गई

11. वेतन, पारिश्रमिक और अन्य भत्तों की अदायगी राज्य शासनकी संचित निधि से की जाएगी।

12. जिला आयोग और राज्य आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की सेवा के निबंधन और शर्तों में उनकी पदावधि के दौरान अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जाएगा।AMP

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