Electricity tariff: रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए टैरिफ का प्रस्ताव छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग को भेज दिया है। कंपनी की तरफ से यह प्रस्ताव 29 नवंबर को ही आयोग को भेज दिया गया था। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी और राज्य विद्युत पारेषण कंपनी ने भी अपना- अपना प्रस्ताव आयोग को भेज दिया।
कंपनी सूत्रों के अनुसार बिजली वितरण कंपनी ने अपने प्रस्ताव में कंपनी की आय और व्यय के बीच 4500 करोड़ रुपये का अंतर बताया है। कंपनी ने इस अंतर की पूर्ति के लिए आयोग से आग्रह किया है। सामान्य शब्दों में कहें तो कंपनी ने बिजली की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव आयोग के समक्ष रखा है। ऐसे में यदि आयोग इस प्रस्ताव को ऐसे ही स्वीकार कर लेता है तो बिजली की दरें बढ़ी तय है।
यहां गौर करने वाली बात यह है कि छत्तीसगढ़ की सरकारी बिजली वितरण कंपनी कागजों में फायदा दिखाती है, लेकिन पुराने घाटे की पूर्ति के चक्कर में कंपनी का नुकसान बढ़ जाता है। 2024-25 के टैरिफ प्रस्ताव में बिजली वितरण कंपनी ने बताया था कि उस समय की प्रचलित बिजली दरों के आधार पर कंपनी को 3626 करोड़ रुपये का फायदा होगा।
ऐसे में बिजली की दरें कम हो सकती थी, लेकिन इसके आगे कंपनी ने बताया कि कंपनी पहले के वर्षों में उसे आठ हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। इस नुकसान की पूर्ति के आग्रह के साथ कंपनी ने बताया कि इस घाटा की पूर्ति के लिए कंपनी को 4420 करोड़ रुपये की अतिरिक्त जरुरत पड़ेगी। आयोग ने इसे स्वीकार कर लिया और इसकी पूर्ति के लिए राज्य में बिजली की दरें बढ़ा दी। यह स्थिति पीछे कई सालों से बनी हुई है।
पावर कंपनियों ने इस बार समय पर टैरिफ प्रस्ताव आयोग को भेज दिया है, लेकिन आयोग में सदस्यों के दोनों पद खाली हैं। इससे टैरिफ का काम प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। जानकारों के अनुसार टैरिफ तय करने की निर्धारित प्रक्रिया है। इसमें कंपनियों से प्राप्त प्रस्तावों का आयोग पहले परीक्षण करेगा। इसके बाद इसका सार्वजनिक प्रकाश किया जाएगा। कंपनी के प्रस्तावों पर सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं से दावा आपत्ति मांगी जाएगी और उस पर जनसुनवाई भी होगी। सभी पक्षों को सुनने के बाद आयोग बिजली की नई दरें तय करता है।