IPS Arun Dev: रायपुर। 1992 बैच के आईपीएस अरुण देव गौतम को राज्य सरकार ने बड़ी बड़ी जिम्मेदारी दी है। करीब महीनेभर पहले एडीजी से डीजी प्रमोट हुए अरुण देव को राज्य सरकार ने एक साथ कई अहम जिम्मेदारी दी है।
इस संबंध में राज्य सरकार की तरफ से जारी आदेश के अनुसार अरूण देव गौतम, (भा.पु.से.-1992) की सेवायें सामान्य प्रशासन विभाग से प्रतिनियुक्ति से वापिस लेते हुए अस्थायी रूप से आगामी आदेश तक महानिदेशक, नगर सेना एवं नागरिक सुरक्षा एवं अग्निशमन सेवाऐं छत्तीसगढ़, रायपुर (वेतन मेट्रिक्रा लेवल-16) के पद पर पदस्थ करते हुए. संचालक लोक अभियोजन छत्तीसगढ़ का अतिरिक्त प्रभार सौपता है।
इसके साथ ही नेहा चंपावत, (भा.पु.से. 2004), पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस मुख्यालय, नवा रायपुर की सेवायें सचिव, गृह विभाग, मंत्रालय, नवा रायपुर के पद पर पदस्थ करने हेतु सामान्य प्रशासन विभाग को प्रतिनियुक्ति पर सौंपी जाती है।
1992 बैच के आईपीएस गौतम कुशल प्रशासक के साथ ही बेहद ही निष्ठावान अफसर हैं। करीब 32 साल के करियर में उनके साथ किसी भी तरह के विवाद नहीं जुड़ा है। सरकार ने जब जहां जो जिम्मेदारी दी उसे उन्होंने बखुबी करके दिखाया। अरुण देव गौतम ने बेहद की कठिन और विषम परिस्थितियों में सरकार को संकट से निकाला है। वे सरकार के बेहद भरोसेमंद अफसर में शामिल हैं। यही वजह है कि जब राजनांदगांव में नक्सली हमले में एसपी शहीद हुए तो इस कठिन समय में जिला को संभालने की जिम्मेदारी सरकार ने अरुण देव गौतम को दी। 2013 में जब बस्तर में नक्सली हमले में कांग्रेस के नेता मारे गए तब भी सरकार ने अरुण देव गौतम पर भरोसा किया और उन्हें बस्तर रेंज की कमान सौंपी।
अरुण देव गौतम के पास पुलिसिंग के साथ ही लंबा प्रशासनिक अनुभव भी है। वे कई जिलों में एसपी और 2 रेंज के आईजी रह चुके हैं। वे गृह विभाग में सचिव और ओएसडी के रुप में भी लंबे समय तक काम किया है। पुलिस मुख्यालय में प्रशासन शाखा की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
IPS Arun Dev: डीजी अरुण देव गौतम का योगी कनेक्शन चर्चा में है। हम स्पष्ट कर दें कि अरुण देव गौतम किसी भी तरह से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जुड़े नहीं हैं बल्कि अरुण देव गौतम उस प्रदेश यानी उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं, जहां योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं। इसी वजह से सोशल मीडिया में अरुण देव के योगी कनेक्शन की चर्चा हो रही है।
गौतम मूल रुप से उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले हैं। कानपुर जिला के अभयपुर गांव में 2 जुलाई 1967 को उनका जन्म हुआ था। उनकी प्राइमरी शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई। इसके बाद वे आगे पढ़ाई के लिए इलाहाबाद (प्रयागराज) चले गए।
वहां सरकारी राजकीय इंटर कॉलेज में पढ़ाई के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक (आर्टस) की डिग्री हासिल की। उन्होंने इलहाबाद विवि से ही राजनीति शास्त्र में एमए कराने के बाद जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी नई दिल्ली का रुख किया। जहां वे अंतरराष्ट्रीय कानून में एमफिल की डिग्री हासिल की।
डीजी अरुण देव गौतम 1992 में यूपीएससी के जरिये आईपीएस बने और उन्हें अविभाजित मध्य प्रदेश कैडर मिला। उनकी पहली पोस्टिंग बतौर ट्रेनी जबलपुर में हुई। इसके बाद सरकार ने उन्हें बिलासपुर का सीएसपी बनाया। यहां से उन्हें एसडीओपी कवर्धा की पोस्टिंग मिली। अरुण देव गौतम अविभाजित मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एएसपी रहे और एमपी सशस्त्र बल की 23वीं बटालियन के कमांडेंट रहे।
अरुण देव गौतम को एसपी के रुप में पहला जिला भोपाल मिला। इसी दौरान राज्य का विभाजन हो गया और अरुण देव छत्तीसगढ़ आ गए। यहां वे कोरिया, रायगढ़, जशपुर, राजनांदगांव, सरगुजा और बिलासपुर जिलों के पुलिस कप्तान रहे। डीआईजी प्रमोट होते ही उन्हें पीएचक्यू बुला लिया गया। पीएचक्यू में वे पहले सीआईडी के डीआईजी रहे। फिर उन्हें वित्त, योजना के साथ प्रशासन की जिम्मेदारी भी मिली।
कुछ समय बाद उनकी पोस्टिंग सीएम सुरक्षा में भी रही। विषम परिस्थितयों में संभाली राजनांदगांव और बस्तर की जिम्मेदारी अरुण देव गौतम को 2009 में राजनांदगांव का एसपी बनाया गया। यह जिम्मेदारी उन्हें तब दी गई जब वहां नक्सली हमलें में तत्कालीन एसपी वीके चौबे सहित 29 जनाव शहीद हो गए थे। अरुण देव ने वहां पोस्टिंग के दौरान नक्सलवादियों के खिलाफ तगड़ा अभियान चलाया।
इसी तरह उन्हें 2013 में बस्तर रेंज का आईजी बनाया गया। बस्तर रेंज की जिम्मेदारी उन्हें झीरमघाटी में कांग्रेस नेताओं पर नक्सली हमले के तुरंत बाद दी गई थी। वहां भी अरुण देव ने अपनी काबलियत साबित की। आईजी के रुप में बिलासपुर रेंज में भी वे पदस्थ रहे।