Monkeypox: रायपुर। मंकी पाक्स एक बीमारी है। राज्य सरकार ने प्रदेश में इससे बचाव और रोकथाम के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसके साथ ही सरकार ने राज्य के स्वास्थ्य अमला को गाइड लाइन का गंभीरता से पालन करने का निर्देश दिया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी मंकी पाक्स से बचाव औ रोकथाम के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पब्लिक हेल्थ एमरजेन्सी ऑफ इंटरनेशनल कान्स (पीएचईआईसी) को घोषित किया है।
जानिये क्या है Monkeypox: मंकी-पॉक्स
मंकीपकक्स एक जीनेटिक बीमारी है जो मुख्य रुप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के क्षेत्रों में होता है, लेकिन अब यह वहां से निकल कर कुछ अन्य देशों में फैल गया है। केरल में इसी साल मार्च मंकी पाक्स का मामला सामने आया था।
जानिये.. मंकीपाक्स के क्या हैं लक्षण
मंकीपाक्स से संक्रमित व्यक्ति में सामान्यतः बुखार, चकत्ते एवं लिम्फ नोड्स में सूजन पाई जाती है। मंकीपाक्स एक स्व-सीमित (सेल्फ-लिमिटेड) संक्रमण है, जिसके लक्षण सामान्यतः 2-4 सप्ताह में समाप्त हो जाते हैं। मंकीपाक्स संक्रमण के गंभीर प्रकरण सामान्यतः बच्चों में पाए जाते हैं। जटिलताओं एवं गंभीर प्रकरणों में मृत्यु दर 1 से 10 प्रतिशत है।
मंकी-पॉक्स संक्रमण होने एवं लक्षण उत्पन्न होने का इनक्यूबेशन पीरियड सामान्यतः 6-13 दिन का होता है, परन्तु यह 5 से 25 दिवस तक हो सकता है। मंकी-पॉक्स का संक्रमण त्वचा में चकत्ते आने के 1-2 दिवस पूर्व से लेकर सभी चकत्तों से पपड़ी के गिरने/समाप्त होने तक मरीज के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों में फैल सकता है।
जानिये..कहां से आता है मंकी पाक्स
का वायरस मंकी-पॉक्स वायरस का संक्रमण पशु से मनुष्य में एवं मनुष्य से मनुष्य में फैल सकता है। मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण मुख्य रूप से लार्ज रेस्पिरेटरी सिस्टम के माध्यम से लम्बे समय तक संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में रहने से होता है।
वायरस का संक्रमण शरीर के तरल पदार्थ घाव के सीधे संपर्क में आने से अथवा अप्रत्यक्ष संपर्क जैसे दूषित कपड़ों, लिनेन इत्यादि के उपयोग से फैल सकता है। पशुओं से मनुष्यों में संक्रमण का प्रसार गांव के सीधे संपर्क में आने से हो सकता है।
Monkeypox: संभावित प्रकरणों के सर्वेलेंस के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। इसके अनुसार सर्विलांस कर त्वरित पहचान जांच और उपचार किए जाने के लिए संदिग्ध मरीज को आइसोलेट कर संक्रमण का प्रसार रोका जाना, मरीज को उपचार दिया जाना, मरीज के संपर्क व्यक्तियों की पहचान किया जाना, स्वास्थ्य कार्यकर्ता को संक्रमण से बचाव हेतु आगाह किया जाना एवं संक्रमण के नियंत्रण और प्रसार को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाया जाना आवश्यक है।
मंकी-पॉक्स सर्वेलेंस के लिए जारी दिशा-निर्देश में दिए मानक-परिभाषाओं का उपयोग किया जाना, प्रत्येक संभावित प्रकरण की सूचना जिला सर्वेलेंस इकाई/राज्य सर्वेलेंस इकाई में अनिवार्य रूप से दिया जाना आवश्यक होगा।
इसके एक भी पुष्टिकृत प्रकरण को माना जाए एवं जिला स्तरीय रैपिड रिस्पॉन्स टीम द्वारा तत्काल विस्तृत आउटब्रेक इनवेस्टिगेशन कर प्रतिवेदन राज्य कार्यालय को प्रेषित किया जाएगा। मंकी-पॉक्स के संभावित प्रकरणों की जांच के लिए निर्धारित प्रक्रिया अनुसार सैंपल संग्रहण कर जांच के लिए चिन्हांकित लेबोरेटरी में भेजा जाएगा।
Monkeypox: के प्रत्येक पॉजिटिव मरीज के सभी संपर्क व्यक्ति की पहचान करने के लिए सभी जिलों में जिला सर्वेलेंस अधिकारी के अधीन कांटेक्ट ट्रेसिंग दल का गठन किया जाएगा। संपर्क व्यक्ति को मंकीपाक्स मरीज के संपर्क में आने के 21 दिवस तक बुखार या त्वचा में चकत्ते के लिए दैनिक मॉनिटरिंग किया जाएगा।
संपर्क व्यक्तियों को 21 दिवस तक ब्लड, ऑर्गन, टिसू, सीमन इत्यादि डोनेशन करने से रोका जाए और ऐसे चिकित्सा कर्मी जो बिना प्रतिरक्षा उपकरण के मंकीपॉक्स मरीज या उसके द्वारा उपयोग किए हुए वस्तुओं के संपर्क में आया हो उसे 21 दिन तक मॉनिटर किया जाए व लक्षण-रहित चिकित्सा कर्मी को चिकित्सा कार्य से ना रोका जाए, ऐसे निर्देश दिए गए हैं।