Naxalite रायपुर। बस्तर में नक्सलियों के गढ़ सुरक्षाबलों की बढ़ती धमक और नक्सली संगठन में भगदगड़ की स्थिति के बीच नक्सली बार- बार शांति की बात करने लगे हैं। 15 दिन के भीतर नक्सलियों की तरफ से तीसरी बार शांति वार्ता का प्रस्ताव आया है। इस संबंध में नक्सलियों की तरफ से फिर एक पर्चा जारी किया गया है जिसमें शांतिवार्ता के लिए युद्ध विराम के घोषणा की अपील की गई है।
शांति वार्ता को लेकर नक्सलियों की तरफ से फिर यह पर्चा उनकी उत्तर- पश्चिम सब जोन ब्यूरो के प्रभारी रुपेश की तरफ से जारी किया गया है। रुपेश के ही नाम से इससे पहले आठ अप्रैल को भी एक इसी तरह का पर्चा जारी किया गया था। इसमें रुपेश ने राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा से शांति वार्ता की अपील की थी।
रुपेश के हस्ताक्षर से इस बार जारी पर्चा पर 17 अप्रैल की तारीख है। इसमें रूपेश ने लिखा है कि मेरा पहला बयान पर तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं। मेरी सुरक्षा का गारंटी देते हुए मेरी इस कोशिश को आगे बढ़ाने की अनुमति देने के लिए भी उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं।
रूपेश ने लिखा है कि हमारी शांति वार्ता की पेशकश के पीछे कोई रणनीति नहीं है। हमारी इस कोशिश का मुख्य उद्देश्य काडर (नक्सली) के नाम पर हो रही हत्याओं पर तुरंत रोक लगनी चाहिए। युद्ध विराम की मांग पर रूपश ने स्पष्ट किया है कि यह कोई शर्त नहीं है बल्कि यह वार्ता के अनुकूल माहौल बनाने के लिए जरुरी है।
रुपेश ने कहा है कि वार्ता के लिए हमारी तरफ से प्रतिनिधितव करने वाले मध्यस्थ और पार्टी का प्रतिनिधित्व तय करने के लिए हमें अपने केंद्रीय और स्पेशल जोनल कमेटी के नेतृत्व से मिलना जरुरी है। इस मुलाकात के लिए हमें सुरक्षा की गारंटी चाहिए। इस वजह से सरकार से हमारी अपील है कि वह एक महीने के लिए अपने ऑपरेशन रोक दे।
इस पत्र में रुपश ने कहा कि मेरे पत्र के बाद से हमारी तरफ से सुरक्षा बलों पर हमला नहीं किया जा रहा है, लेकिन सुरक्षाबलों की तरफ से आक्रामक अभियान चलाया जा रहा है। 12 अप्रैल को बीजापुर जिला, भैरमगढ़ ब्लॉक के इंद्रावति नदी के किनारे अनील पूनेम सहित तीन लोगों को पकड़कर हत्या किया गया। 16 अप्रैल को कोंडागांव जिले के किल्लेम के पास डीवीसी मेंबर होलदेर सहित दो लोगों का हत्या किया गया। ये हत्याकांड ऐसा ही जारी रहने से शांति वार्ता के लिए किए जा रहे यह प्रयास का कोई मतलब नहीं रहेगा।