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High Court अप्राकृतिक यौन संबंध के बाद पत्‍नी की मौत: निचली अदालत ने सुनाई सजा, हाईकोर्ट ने कहा…यह कोई…

High Court बिलासपुर। बिलासपुर हाईकोर्ट ने पत्‍नी के साथ अप्राकृतिक यौन के मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत से दोषी कारर दिए गए पति को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में पति-पत्‍नी के बीच यौन संबंधों को लेकर भी टिप्‍पणी की है।

घटना करीब सात साल पुरानी है। पत्‍नी से अप्राकृति यौन संबंध के मामले में निचली अदालत से दोषी करार दिया गया व्‍यक्ति पेशे से ड्राइवर है। घटना 11 दिसंबर 2017 की है। घटना की रात उसने अपनी अपनी पत्‍नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाया।

इसके बाद पत्‍नी की तबियब बिगड़ गई और उसे अस्‍पताल में भर्ती कराना पड़ा। ईलाज के दौरान पत्‍नी की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी, इसे देखते हुए अस्‍पताल प्रबंधन ने पुलिस को इसकी सूचना दी। इसके आधार पर पुलिस ने दंडाधिकारी को अस्‍पताल ले जाकर पत्‍नी का बयान दर्ज कराया।

इस बयान में पत्‍नी ने कहा कि उसके मना करने के बाद भी पति ने अप्राकृतिक सेक्‍स किया जिसके बाद उसकी तबियत बिगड़ गई। बयान दर्ज कराने के कुछ समय बाद ही पत्‍नी की मृत्‍यु हो गई। इसके आधार पर पुलिस ने आरोपी पति के खिलाफ बलात्‍कार के आरोप में 376 और अप्राकृतिक संबंध बनाने के आरोप में धारा 377 के तहत जुर्म दर्ज किया और कोर्ट में चालान पेश कर दिया।

High Court मामले में निचली अदालत ने पत्‍नी के मृत्‍यु पूर्व दर्ज कराए गए बयान को आधार बनाते हुए 11 फरवरी 2019 को अपना फैसला सुनाया। इसमें कोर्ट ने आरोपी पति को दोषी करार देते हुए 10 साल की कैद और एक हजार रुपये जुर्माना की सजा सुना दी। इसके बाद आरोपी निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट में जस्टिस एनके व्‍यास की बेंच में मामले की सुनवाई हुई। 19 नवंबर 2024 को मामले की सुनवाई पूरी कर ली गई थी। कोर्ट ने तब अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने 10 फरवरी को अपना फैसला सुनाया।

High Court जानिए.. पत्‍नी के साथ अप्राकृतिक संबंध में हाईकोर्ट ने क्‍या कहा

जस्टिस एनके व्‍यास ने इस मामले में अपने फैसले में कहा कि ऐसे मामलों में पत्नी की सहमति कानूनी रूप से महत्वहीन है। अगर पत्नी की उम्र 15 साल से अधिक है और पति उसके साथ संबंध बना रहा है तो इसे दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता। अप्राकृतिक संबंध के लिए पत्नी की स्वीकृति जरूरी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी पर अपराध का मामला नहीं बनता। कोर्ट ने कहा कि धारा 375 के तहत अपराधी के तौर पर पुरुष को वर्गीकृत किया गया है। इस मामले में आरोपी पति है और पीड़िता उसकी पत्नी थी। संबंध बनाने के लिए शरीर के उन्हीं हिस्सों का उपयोग किया गया, जो सामान्य हैं। इसलिए पति-पत्नी के बीच ऐसे संबंध को अपराध नहीं माना जा सकता।

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