Power News: रायपुर। छत्तीगसढ़ की सरकारी बिजली कंपनी जिस खर्च से लगातार बचने की कोशिश करती रही अब उसे वह खर्च करना ही पड़ेगा। यह मामला केंद्रीय कानून के साथ अब हाईकोर्ट से भी जुड़ चुका है, ऐसे में कंपनी इससे बच नहीं सकती।
दरअसल, यह मामला जंगल में गुजरे बिजली के तारों से जुड़ा है। शनिवार को रायगढ़ में करंट लगने से तीन हाथियों की मौत के बाद मामला और गंभीर हो गया है। अब कंपनी पर जंगल से गुजरे बिजली तारों को ऊंचा करने सहित शपथ पत्र के जरिये हाईकोर्ट में किए गए वादों को तेजी से पूरा करना होगा। वरना हाथी या अन्य किसी वन्यजीव की करंट से अब मौत हुई तो मामला गंभीर हो जाएगा।
केंद्र सरकार ने 2016 में जंगल से गुजरने वाली बिजली तारों को लेकर एक गाइड लाईन जारी किया है। इसके अनुसार हाथी वाले क्षेत्रों में बिजली के तारों की ऊंचाई हाथियों की पहुंच से दूर रखना जरुरी है। जानकारों के अनुसार एक व्यस्क हाथी अपने पीछे के पैरों पर खड़ा होकर सूंड ऊपर करे तो उसकी हाईट करीब 20 फीट हो जाती है। इस लिहाज से बिजली दरों की ऊंचाई न्यूनतम 20 फीट करना पड़ेगा।
छत्तीसगढ़ में पहले इस पर ध्यान नहीं दिया गया, लेकिन 2018 में वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी इस मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंच गए। सिंघवी ने जनहित याचिका दायर कर हाथी वाले क्षेत्रों से बिजली की तारों की ऊंचाई बढ़ाने की मांग की। कोर्ट केस के आधार पर पावर कंपनी ने इसका कास्ट निकला और बिजली तारों की ऊंचाई बढ़ाने के लिए वन विभाग को 1674 करोड़ का डिमांड नोट भेज दिया, लेकिन वन विभाग ने भी पैसे देने से हाथ खड़ा कर दिया और मामला लंबे समय तक लटका रहा।
शिफ्टिंग पर होने वाला खर्च कौन वहन करेगा इसी विवाद में मामला अब तक अटका रहा, इसबीच सिंघवी ने फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया। इसी महीने 3 अक्टूबर को इस मामले की चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान वन विभाग ने शपथ पत्र देकर बताया कि बिजली वितरण कंपनी केंद्र सरकार की गाइड लाईन के अनुसार हाथियों को करंट से बचाने के उपाय करेगी।
बिजली कंपनी को 33 केवी की 810 किलोमीटर और 11 केवी की 3781 किलोमीटर लाईन की ऊंचाई बढ़ानी पड़ेगी। वहीं, 3976 किलोमीटर एरियल बंच केबल लगाना पड़ेगा। पावर कंपनी ने पहले इसके लिए 1674 करोड़ रुपये की मांग वन विभाग से की थी, अब कंपनी से संशोधित कास्ट निकाला है जो 975 करोड़ रुपये करीब है।
सिंघवी ने कहा कि यदि कंपनी यह काम 6 साल पहले कर लेती तो 300 करोड़ में ही यह काम हो जाता। पावर कंपनी के अधिकारियों ने बताया है कि बीते 6 सालों में कंपनी ने 239 किलोमीटर एबीसी लगा है,जबकि 3976 किलो मीटर लगाना है।
छत्तीसगढ़ में 2001 से अब तक 224 हाथियों की मौत हो चुकी है। इनमें 78 हाथी बिजली का करंट लगने की वजह से मरे हैं। सिंघवी के अनुसार करंट से मरने वाले 78 में से 35 हाथियों की मौत पिछले 6 सालों हुई है।
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