Power News बिजली की मांग और आपूर्ति के बढ़ते अंतर ने बढ़ाई चिंता, अभियंता कल्‍याण संघ ने कहा…

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Power News बिजली की मांग और आपूर्ति के बढ़ते अंतर ने बढ़ाई चिंता, अभियंता कल्‍याण संघ ने कहा…

Power News  रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। 10 साल से भी कम समय में बिजली की मांग में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है। 2015 में बिजली की अधिकतम मांग तीन से चार हजार मेगावाट थी, जो अब बढ़कर छह हजार मेगावाट के पार चली गई है। अब बिजली की सामान्‍य मांग पांच हजार मेगावाट तक रह रही है।

एक तरफ बिजली की मांग बढ़ रही है दूसरी तरफ राज्‍य की बिजली कंपनी की उत्‍पादन क्षमता घटती जा रही है। 10 साल पहले राज्‍य की सरकारी बिजली उत्‍पादन कंपनी की स्‍थापित क्षमता 3424 मेगावट थी जो अब घटकर 2978 मेगावाट रह गई है। इसका सीधा असर उपभोक्‍ताओं की जेब पर पड़ रहा है। बिजली की बढ़ी हुई डिमांड पूरी करने के लिए वितरण कंपनी को बिजली खरीदनी पड़ रही है, जो राज्‍य की उत्‍पादन कंपनी की बिजली की तुलना में महंगी पड़ रही है।

छत्‍तीसगढ़ में बिजली संयंत्रों की स्‍थापित क्षमता

वर्ष          ताप         जल         कुल क्षमता
2001      1240      120        1360
2011      1786      138.70   1924.70
2018      3280      138.70   3424.70
2023      2840      138.70   2978.70
2023    2840 138.70   2978.70

Power News  गहरा सकता है संकट: एनआर छीपा

छत्‍तीसगढ़ में बिजली की मांग और उत्‍पादन के बीच बढ़ते अंतर पर अभियंता कल्‍याण संघ के प्रांताध्‍यक्ष इंजीनियर एनआर छीपा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रदेश में बिजली की मांग छह हजार मेगावट से अधिक हो गई है, जबकि उत्‍पादन तीन हजार मेगावट से भी कम है। मड़वा के बाद राज्‍य में कोई नया सरकारी पावर प्‍लांट नहीं लगा है। अब नए प्‍लांट के लिए कवायद शुरू हुई है। इंजीनियर छीपा ने कहा कि अभी जिन संयंत्रों की प्‍लानिंग की जा रही है उन्‍हें बनने और उत्‍पादन शुरू होने में करीब 10 साल लग जाएगा, तब तक मांग और बढ़ जाएगी। इस मांग की पूर्ति के लिए वितरण कंपनी को पूरी तरह प्राइवेट या सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों पर निर्भर होना पड़ेगा। इससे न केवल बिजली संकट की स्थिति उत्‍पन्‍न होगी बल्कि बिजली की दर भी अनियंत्रित हो जाएगी।

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इंजीनियर छीपा ने कहा कि राज्‍य में बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच बढ़ते अंतर को लेकर संघ ने काफी पहले कंपनी प्रबंधन और सरकार को आगाह किया गया था, इसके बावजूद इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई। इसका दुष्‍परिणाम अब नजर आने लगा है। मांग की पूर्ति के लिए पावर कंपनी को बड़े पैमाने पर बिजली खरीदनी पड़ रही है।

Power News  छीन गया सरप्‍लस स्‍टेट का तमगा

छत्‍तीसगढ़ देश का पहला पावर सरप्‍लस स्‍टेट था। इंजीनियर एनआर छीपा ने कहा कि पहले मांग की तुलना में उत्‍पादन अधिक था, लेकिन अब मांग ज्‍यादा उत्‍पादन कम हो गया है। ऐसे में अब छत्‍तीसगढ़ पावर सरप्‍लस स्‍टेट नहीं रह गया है। उन्‍होंने कहा कि 1320 मेगावाट के नए संयंत्र की प्‍लानिंग लंबे समय से चल रही है। इस संयंत्र के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन अब तक जमीन पर कुछ भी नजर नहीं आ रहा है।

प्रदेश में 30 हजार मेगावाट, लेकिन अपना कितना

इंजीनियर एनआर छीपा ने बताया कि छत्‍तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर पावर प्‍लांट लगे हैं। इनमें प्राइवेट और सार्वजनिक क्षेत्र के साथ सरकारी पावर प्‍लांट शामिल हैं। इनकी संयंत्रों की स्‍थापित क्षमता 22 हजार मेगावाट से अधिक है, लेकिन इससे छत्‍तीसगढ़ के आम उपभोक्‍ताओं को कोई लाभ नहीं हो रहा है।

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