CG News: रायपुर। छत्तीसगढ़ में नगरीय निकायों (नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत) के चुनाव होने हैं। राज्य निर्वाचन आयोग इसकी तैयारी में लगा हुआ है।
इस बीच राज्य सरकार एक के बाद एक नगर पालिका अधिनियम में संशोधन करती जा रही है। सरकार ने अध्यादेश जारी कर कानून में दो बदलाव किया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार दो और बड़े बदलाव करने की तैयारी में है।
छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार निकायों में महापौर और अध्यक्षों का चुनाव फिर से प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने की तैयारी में है। डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा कि महापौर शहर का प्रथम नागरिक होता है, शहर के प्रथम नागरिक को चुनने का अधिकार शहर की जनता को मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि विष्णुदेव साय सरकार इस दिशा में कार्यवाही करेगी।
सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार छत्तीसगढ़ में होने वाले अगले निकाय चुनाव में दो बड़े बदलाव किए जाएंगे। पहला नगरीय निकायों के साथ ही पंचायत के चुनाव के लिए मतदान बैलेट के बदले ईवीएम मशीन से कराए जाएंगे। इसके साथ ही महापौर और अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता करेगी।
बताते चलें कि 2019 से पहले छत्तीगसढ़ में यही व्यवस्था लागू थी, लेकिन भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने अधिनियम में संशोधन करके इसमें बदलाव कर दिया।
कांग्रेस सरकर ने ईवीएम के स्थान पर बैलेट पेपर से चुनाव कराया। इसके साथ ही प्रत्यक्ष तरीके से होने वाले महापौर और अध्यक्ष के चुनाव को अप्रत्यक्ष कर दिया। इस बदलाव के बाद महापौर और अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों के बीच से किया गया।
केंद्र सरकार एक राष्ट्र एक चुनाव के फार्मूले पर काम कर रही है। केंद्र सरकार की मंशा लोक सभा और विधान सभा का चुनाव एक साथ कराने की है। इसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ सरकार एक राज्य एक चुनाव की दिशा में आगे बढ़ रही है।
विष्णुदेव साय सरकार की मंशा राज्य में निकाय और पंचायत के चुनाव एक साथ कराने की है। सूत्रों के अनुसार उच्च स्तर पर यह फैसला हो चुका है, हालांकि अभी इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने हाल ही में एक अध्यादेश जारी कर नगर पालिका अधिनियम में बदलाव किया है। जानकारों के अनुसार निर्वाचित परिषद का कार्यकाल खत्म होने से पहले नई परिषद के गठन का नियम है।
नए संशोधन में समय पर चुनाव नहीं होने की स्थिति में सरकार निकायों में प्रशासक के रुप में किसी व्यक्ति या समिति को बैठा सकती है। प्रशासक की यह व्यवस्था केवल छह महीने के लिए होगी।
जानकारों के अनुसार निकायों में अभी भी प्रशासक बैठाए जाते हैं। मौजूदा नियम सिंगल- सिंगल निकायों के लिए है, इसके आधार पर सभी निकायों में प्रशासक नहीं बैठाया जा सकता था। इसी वजह से सरकार को अध्यादेश के जरिये नियमों में बदलाव करना पड़ा है। इसी बदलाव के आधार पर कहा जा रहा है कि राज्य सरकार निकाय और पंचायत के चुनाव एक साथ कराने की तैयारी में है।
छत्तीगसढ़ में पिछली बार 2019 में निकाय और पंचायत के चुनाव हुए थे। निकाय चुनाव के लिए नवंबर में चुनाव कार्यक्रम जारी किया गया था, जबकि पंचायत चुनाव के लिए दिसंबर में जारी किया गया था।
इस बार भी दिसंबर के अंत तक चुनाव कार्यक्रम जारी होने की संभावना जताई जा रही है। चुनाव का कार्यक्रम जारी करने से पहले वार्डों का परिसीमन और आरक्षण की प्रक्रिया पूरी करनी है।