Chhattisgarh DGP: रायपुर। छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक जुनेजा ने इस पद पर रहते हुए एक ऐसा रिकार्ड बना दिया है, जिसे दूसरा कोई आईपीएस अपनी मर्जी से तोड़ नहीं पाएगा। डीजीपी अशोक जुनेजा का यह रिकार्ड कोई दूसरा आईपीएस तभी तोड़ पाएगा जब वह भी अशोक जुनेजा की तरह किस्मत का धनी हो साथ ही राज्य और केंद्र सरकार भी उसके पक्ष में हो।
डीजीपी अशोक जुनेजा के इस रिकार्ड की चर्चा न केवल प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में हो रही है बल्कि केंद्र व दूसरे कई राज्यों के नौकरशाहों के बीच यह चर्चा का विषय बना हुआ है। डीजीपी अशोक जुनेजा के लिए दो बातें कही जा रही है पहली यह कि वे किस्मत के धनी हैं और दूसरी चर्चा उनके रिकार्ड की हो रही है।
डीजीपी अशोक जुनेजा को किस्मत का धनी कहे जाने के कई कारण है। पूरी सर्विस के दौरान जुनेजा हमेशा अच्छे पदों पर ही रहे हैं। रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग जैसे जिलों की कप्तानी की। बिलासपुर रेंज आईजी रहे, ट्रांसपोर्ट कमिशनर के पद पर रहे। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए तो वहां कामन वेल्थ गेम के सुरक्षा इंचार्ज की जिम्मेदारी संभाली।
यह तो सामान्य बातें हैं, बड़ी बात जो पीएचक्यू से लेकर ब्यूरोक्रेसी में चर्चा का विषय है वह यह है कि अशोक जुनेजा के डीजीपी बनने की संभावना ही नहीं थी। इसके पीछे तर्क यह है कि अशोक जुनेजा से पहले छत्तीसगढ़ के डीजीपी डीएम अवस्थी थे। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अचानक अवस्थी को हटाकर अशोक जुनेजा को डीजीपी बना दिया।
अवस्थी मार्च 2023 रिटायर हुए और जुनेजा का रिटायरमेंट जून 2023 में था। इस तरह अवस्थी के रिटायर होने के दो महीने बाद जुनेजा रिटायर होते। ऐसे में उन्हें दो महीने के लिए डीजीपी तो बनाया नहीं जाता, लेकिन तत्कालीन सरकार ने 11 नवंबर 2021 को अवस्थी को हटाकर जुनेजा को डीजीपी बना दिया। इसी वजह से जुनेजा को किस्मत का धनी कहा जा रहा है।
Chhattisgarh DGP: जानिए.. डीजीपी अशोक जुनेजा ने कैसा रिकार्ड बनाया है
आईपीएस अशोक जुनेजा छत्तीसगढ़ के पहले ऐसे डीजीपी हैं जो रिटायरमेंट की उम्र पार करने के बाद भी 20 महीने तक डीजीपी रहेंगे। अभी जुनेजा फरवरी 2025 तक पद पर रहेंगे, जबकि वे जून 2023 में रिटायर होने वाले थे। सेवानिवृत्ति की उम्र पार करने के बाद भी 20 महीने तक डीजीपी के पद पर बने रहना ही अशोक जुनेजा का रिकार्ड है।
ऐसे कैसे संभव हुआ कि रिटायरमेंट के बाद भी अशोक जुनेजा पद पर बने हुए हैं
दरअसल, डीजीपी के पद पर नियुक्ति की मंजूरी केंद्र सरकर देती है। नवंबर 2021 में राज्य सरकार ने जब अशोक जुनेजा को डीजीपी बनाया तो उन्हें चालू प्रभार दिया गया। इसके साथ ही उन्हें डीजीपी बनाए जाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया। केंद्र की मंजूरी आने में काफी समय लग गया।
केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद 5 अगस्त 2022 को पूर्णकालीन डीजीपी बनाया गया। सर्विस नियमों के अनुसार डीजीपी के पद पर नियुक्ति कम से कम 2 वर्ष के लिए होती है, ऐसे में डीजीपी अशोक जुनेजा को अगस्त 2024 में सेवा का मौका मिल गया। अगस्त में जब रिटायरमेंट का समय आया तो फिर मौजूदा सरकार ने उन्हें सेवा विस्तार देने का फैसला किया। राज्य सरकार के इस फैसले पर केंद्र ने मंजूरी की मुहर लगाते हुए डीजीपी अशोक जुनेजा को 6 महीने का सेवा विस्तार दे दिया। अब जुनेजा के फरवरी 2025 में सेवानिवृत्त होने की ‘संभावना’ है।
डीजीपी अशोक जुनेजा को सेवा विस्तार दिए जाने के पीछे दो बड़े कारण हैं। पहला जो सबसे महत्वपूर्ण है, वह यह है कि जुनेजा के नेतृत्व में बस्तर में पुलिस नक्सलियों के खिलाफ बेहद आक्रामक अभियान चला रही है। इसके कारण बस्तर में नक्सलियों के पैर उड़ख गए हैं। पुलिस की सुरक्षा में विकास के कामों में भी तेजी आई है।
पुलिस के इस आक्रामक रुख की केंद्र सरकार भी खुश है, क्योंकि केंद्रीय गृह मंत्री ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद के खात्मे का लक्ष्य तय कर रखा है। नए डीजीपी की नियुक्ति से इस अभियान पर असर पड़ सकता था। माना जा रहा है कि अशोक जुनेजा को सेवा विस्तार दिए जाने की यह बड़ी वजह है।
डीजीपी अशोक जुनेजा को सेवा विस्तार दिए जाने का दूसरा कारण भी महत्वपूर्ण है। जुनेजा को अगस्त 2024 में रिटायर होना था, तब छत्तीसगढ़ कैडर में डीजी रैंक पर केवल दो ही अफसर थे। इनमें 1992 बैच के अरुण देव गौतम और 1994 बैच के हिमांशु गुप्ता। 1992 बैच के ही पवन देव बाद में प्रमोट किए गए। अशोक जुनेजा को एक्शटेनशन दिए जाने के पीछे एक कारण यह भी बताया जा रहा है।
Chhattisgarh DGP: जानिए.. कौन- कौन हैं अशोक जुनेजा के उत्तराधिकारी
छत्तीसगढ़ कैडर में डीजी रैंक के अभी केवल तीन ही अफसर हैं। इनमें 1992 बैच पवन देव और अरुण देव गौतम के साथ 1994 बैच के हिमांशु गुप्ता। वरिष्ठता के क्रम में पवन देव सबसे ऊपर हैं। माना जा रहा है कि इन्हीं में से किसी एक को प्रदेश का अगला डीजीपी बनाया जा सकता है।
जुनेजा के रिटायर होने के बाद 1994 बैच के ही शिवराम प्रसाद कल्लूरी डीजी प्रमोट किए जाएंगे। कल्लूरी के बाद 1995 बैच के प्रदीप गुप्ता और 1996 बैच के विवेकानंद हैं। ये तीनों अभी एडीजी रैंक पर हैं। इनके बाद एडीजी रैंक पर ही 1997 बैच के दीपांशु काबरा और 1998 बैच के अमित कुमार भी हैं।
वरिष्ठ अफसर को डीजीपी बनाने की कोई मजबूरी नहीं
यहां गौर करने वाली बात यह है कि कैडर के वरिष्ठ अफसर को डीजीपी बनाया जाए यह जरुरी नहीं है। इसमें राज्य सरकार की मर्जी चलती है। लेकिन जूनयर बैच के अफसर को डीजीपी बनाए जाने की स्थिति में सभी वरिष्ठ अफसरों को पुलिस मुख्यालय के बाहर पदस्थ करने की परंपरा रही है।
ताजा उदाहरण डीएम अवस्थी और अशोक जुनेजा का है। जुनेजा को डीजीपी बनाए जाने के आदेश के साथ ही अवस्थी को पुलिस अकादमी भेज दिया गया। हालांकि जूनियर को डीजीपी बनाए जाने की स्थिति में वरिष्ठ अफसर कोर्ट या कैट की शरण में जा सकते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में अब तक ऐसा नहीं हुआ है।
पीएचक्यू से बाहर हैं डीजी रैंक के तीनों अफसर
यह संयोग ही है कि प्रदेश पुलिस के डीजी रैंक के तीनों अफसर पुलिस मुख्यालय से बाहर हैं। डीजी पवन देव पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन में हैं। अरुण देव गौतम नगर सेना और मंत्रालय की कामकाज संभाल रहे हैं। डीजी बनने के पहले तक हिमांशु गुप्ता पीएचक्यू में थे, लेकिन अब उन्हें डीजी जेल बना कर जेल मुख्यालय भेज दिया गया है।