Cooperative: रायपुर। छत्तीसगढ़ के सहकारी समितियों के कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। समिति के 13 हजार कर्मचारियों ने सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए अनिश्चितकाली हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है। सहकारी समितियों के कर्मचारियों का अनिश्चितकालीन हड़ताल 4 नवंबर से शुरू होगा।
सहकारी समितियों के कर्मचारी 4 नवंबर से हड़ताल पर जा रहे हैं, इसके ठीक 10 दिन बाद से छत्तीसगढ़ में किसानों से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी शुरू होनी है। राज्य सरकार ने इस बार किसानों से समर्थन मूल्य पर 1 लाख 60 हजार टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा है जो प्रदेश के अब तक के इतिहास का सबसे बड़ा लक्ष्य है। सहाकरी समितियों के कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने धान खरीदी की पूरी व्यवस्था प्रभावित होगी।
सहकारी समितियों के कर्मचारियों के हड़ताल पर रहने की स्थिति में सरकार किसानों से धान का एक दाना भी नहीं खरीद पाएगी, क्योंकि धान खरीदी का पूरा सिस्टम सहकारी समितियों के यही कर्मचरी चलाते हैं।
14 तारीख से किसानों से धान खरीदी शुरू होनी है। ऐसे में इसकी तैयारी अभी से शुरू हो चुकी है। 14 से पहले ही किसानों को टोकन देने का काम शुरू हो जाएगा, लेकिन सहाकारी समितियों के कर्मचारी नहीं रहेंगे तो न तैयारी हो पाएगी और न ही टोकन जारी हो पाएगा।
छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष नरेंद्र साहू के अनुसार महासंघ की केवल तीन मांगें हैं। इसमें समितियों को तीन-तीन लाख रुपये प्रबंधकीय अनुदान देने की मांग पहली है। साहू ने बताया कि मध्य प्रदेश में समितियों को यह राशि दी जा रही है। महासंघ की मांग में सेवानियम 2018 में आंशिक संशोधन भी शामिल है।
इस आंशिक संशोधन के जरिय सहकारी कर्मचारियों के लिए पुनरीक्षित वेतनमान लागू करने की मांग पूरी होगी। धान खरीदी वर्ष 2023-24 में धान संग्रहण के बाद हुई सूखत को मान्य करते हुए नए खरीदी वर्ष के लिए तैयार धान खरीदी नीति में सूखत 16.9 प्रतिशत करने की मांग शामिल है।
इन मांगों को लेकर प्रदेश के 2058 सहकारी समितियों के 13 हजार कर्मचारी लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। अनिश्वितकालीन हड़ताल पर जाने से पहले उन्होंने अपनी मांगों को लेकर चरणबद्ध आंदोलन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री से लेकर विभागीय मंत्री और वित्त मंत्री से मुलाकात कर अपनी मांगों से अवगत कराया, लेकिन अब तक सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं की गई है।
इन मांगों लेकर महासंघ की तरफ से 18 से 21 अक्टूबर तक काली पट्टी लगाकर काम किया गया। 21 और 22 अक्टूबर को दो दिवसीय सामूहिक अवकाश के जरिये सरकार को चेताया गया, लेकिन सरकार फिर भी नहीं मानी। सरकार को जगाने के लिए 23 अक्टूबर से भोजन अवकाश के दौरान नारेबाजी और प्रदर्शन किया जा रहा है जो 3 नवंबर तक चलेगा।
4 नवंबर से प्रस्तावित हड़ताल के दौरान नवा रायपुर के तूता में धरना- प्रदर्शन की अनुमति मांगी गई थी, लेकिन शासन ने अनुमति देने से मना कर दिया। ऐसे में अब 4 नवंबर से संभागीय स्तर पर धरना- प्रदर्शन किया जाएगा।