Peace talks रायपुर। मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश से नक्सलवाद के खात्मे का लक्ष्य लेकर चल रहे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इसी महीने बस्तर आ रहे हैं। शाह के बस्तर दौरा से पहले नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी ने शांतिवार्ता का प्रस्ताव भेजा है।
इस संबंध में सेंट्रल कमेटी की तरफ से एक लिखित बयान जारी किया गया है। 28 मार्च की तारीख पर तेलगू में जारी इस बयान में बताया गया है कि नक्सली संगठन की हैदराबाद (तेलंगाना) में एक अहम बैठक हुई। इसमें बिना किसी शर्त के शांति वार्ता के लिए आगे बढ़ने और बातचीत करने पर सहमति बनी है। इस बयान में छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा की तरफ से शांतिवार्ता को लेकर पहले जारी बयान का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि युद्धविराम की घोषणा होनी चाहिए।
नक्सली संगठन की तरफ से जारी इस बयान में कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकारें जन संघर्षों को दबाने के लिए सशस्त्र पुलिसबलों और एनआईए जैसी खुफिया एजेंसियों का उपयोग करके लड़ रही जनता पर हमला कर रही हैं। ऐसे में हम जनता के हित में शांति वार्ता के लिए हमेशा तैयार हैं। इस मौके पर हम केंद्र और राज्य सरकार के सामने शांति वार्ता के लिए सकारात्मक माहौल बनाने का प्रस्ताव रख रहे हैं। इसके लिए हमारा प्रस्ताव है कि केंद्र और राज्य सरकारें छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र (गढ़चिरौली), ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में की जा रही हत्याओं को रोकें और सशस्त्र बलों के नए शिविरों की स्थापना को रोकें। यदि केंद्र और राज्य सरकारें इन प्रस्तावों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देती हैं, तो हम तुरंत युद्धविराम की घोषणा कर देंगे।
नक्सलियों की तरफ से आए शांतिवार्ता के प्रस्ताव पर उप मुख्यमंत्री और राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि सरकार नक्सल समस्या के समाधान को लेकर सरकार पूरी गंभीरता से प्रयासरत है। राज्य सरकार किसी भी प्रकार की सार्थक वार्ता के लिए तैयार है, बशर्ते कि इसके लिए कोई शर्त न हो। शर्मा ने कहा कि यदि नक्सली वास्तव में मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं और बातचीत के लिए इच्छुक हैं, तो उन्हें अपने प्रतिनिधि और वार्ता की शर्तों को सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करना होगा। उन्होंने कहा कि वार्ता का स्वरूप आईएसआईएस जैसी किसी कट्टरपंथी विचारधारा की तर्ज पर नहीं हो सकता। कोई चर्चा करना चाहता है तो उसे भारतीय संविधान की मान्यता स्वीकार करनी होगी। अगर संविधान को नकारते हैं और समानांतर व्यवस्था थोपने की कोशिश करते हैं तो वार्ता का कोई औचित्य नहीं रहता।
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री ने 31 मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद के खात्मे का लक्ष्य रखा है। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए प्रभावित क्षेत्रों में तैनात पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बल लगातार आक्रामक अभियान चली रही हैं। सुरक्षाबल 2025 में अब तक बस्तर में 130 से ज्यादा नक्सलियों को ढेर कर चुके हैं, जबकि बीते 15 महीनों में यह आंकड़ा चार सौ से अधिक है। मारे गए नक्सलियों में कई बड़े लीडर शामिल हैं।
नक्सल मामलों के जानकारों के अनुसार सुरक्षाबलों का जब भी दबाव बढ़ता है, तब नक्सली इस तरह की पैंतरेबाजी करते हैं। इससे उन्हें संगठन को फिर से खड़ा करने का मौका मिल जाता है। इससे पहले 2010 में भी नक्सलियों की तरफ से सशर्त वार्ता का प्रस्ताव भेजा गया था। इसमें नक्सलियों ने अपनी तरफ से कुछ वार्ताकारों का नाम भी सुझाया था, लेकिन सरकार ने उनकी शर्तों को स्वीकार नहीं किया।