गोबर पर शिफ्ट हो रही सियासत: ऐसे समझिए उसका समाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समीकरण

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रायपुर। chaturpost.com (चतुरपोस्‍ट.कॉम)

गाय ही नहीं अब देश की राजनीति में गोबर भी अपना स्‍थान बनाने लगा है। गोबर के जरिये भी बड़े वोट बैंक को साधने का प्रयास चल रहा है। देश में अभी तक केवल गाय के नाम पर राजनीति होती थी, लेकिन छत्‍तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने गोधन न्‍याय योजना शुरू करके गोबर भी बड़ा मुद्दा बना दिया है।

दुनिया की इस अनोखी योजना की पूरे देश में ही नहीं अब‍ विदेशों में भी चर्चा होने लगी है। देश में संसद की समिति ने इस योजना को पूरे देश में लागू करने की सिफारिश की है। कई राज्‍य इस योजना को अपना

प्रदेश सरकार महिला स्‍व-सहायता समूहों के माध्‍यम से लोगों से दो रुपये प्रति किलो की दर से गोबर खरीदती है। सरकार इस योजना के तहत अभी तक करीब 170 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान हितग्राहियों को कर चुकी है। सरकार इस योजना के माध्‍यम से न केवल लोगों को विशेष रुप से कमजोर आर्थिक वर्ग के लोगों को अर्थिक रुप से मजबूत कर रही है बल्कि 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए बड़ा वोट बैंक भी तैयार कर रही है।

गोबर का आर्थिक गणित

गोधन न्‍याय योजना में गोबर बेचने के लिए करीब तीन लाख लोगों ने पंजीयन कराया है। गोबर बेचने वालों को सरकार हर पखवाड़े यानी 15 दिन में भुगतान करती है। गुरुवार काे मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने योजना के हितग्राहियों को आठ करोड़ 13 लाख रुपये का भुगतान किया। इसमें पांच करोड़ 34 लाख रुपये गोरब विक्रेताओं को दिया गया। गोठान समितियों को एक करोड़ 69 लाख और गोबर खरीदी करने वाली महिला स्‍व सहायता समूहों को एक करोड़ 11 लाख का लाभांश दिया गया।

यह है गोबर का सामजिक समीकरण

गोधन न्‍याय योजना के तहत जिन लोगों ने गोबर बेचा है उनमें 49 प्रतिशत अन्‍य पिछड़ा वर्ग (OBC) के हैं। गोबर बेचने वालों में ओबीसी के बाद सबसे बड़ी संख्‍या अनुसूचित जनजाति (ST) यानी आदिवासियों की है। इनका प्रतिशत लगभग 40 है। इसी तहर योजना का लाभ ले रहे हितग्राहियों में अनुसूचित जाति (SC) का प्रतिशत आठ और सामान्‍य वर्ग का (Gen) तीन प्रतिशत है।

गोबर का राजनीतिक समीकरण

अब समझिए गोबर का राजनीतिक समीकरण। प्रदेश की कुल आबादी में ओबीसी वर्ग का दावा करीब 52 प्रतिशत का है। इसी वर्ग के सबसे ज्‍यादा लोग इस योजना का लाभ ले रहे हैं। यह वर्ग राज्‍य की 90 विधानसभा सीटों में से 60 से अधिक को प्रभावित करता है। योजना का लाभ लेने वाले दूसरे सबसे बड़े वर्ग एसटी का राज्‍य की कुल आबादी में हिस्‍सा करीब 32 प्रतिशत माना जाता है। यह वर्ग आरक्षित 29 सीटों के साथ करीब 10 और सीटों पर प्रभाव डालता है। इसी तरह एससी की आबादी लगभग 13 प्रतिशत मानी जाती है। इस वर्ग के लिए राज्‍य में 10 सीटें आरक्षित हैं, लेकिन यह वर्ग भी कई सीटों को प्रभावित करता है।

गोबर बेचने वालों में भूमिहीन भी

सरकार की गोधन न्‍याय योजना के तहत गोबर बेचने वालों में 50 प्रतिशत भूमिहीन हैं। ऐसे लोगों को भी सरकार आर्थिक रुप से मजबूत करने की कोशिश कर रही है। योजना का महिला और पुरुष के हिसाब से आंकलन किया जाए तो गोबर बेचने वालों में 46 प्रतिशत महिलाएं और 54 प्रतिशत पुरुष शामिल हैं।

अब आश्रित गांवों से आ रही गोठान की मांग

मख्‍यमंत्री भूपेश बघेल के अनुसार प्रदेश में अब तक 10 हजार 624 गोठानों की स्वीकृति किए जा चुके हैं। इसमें से 8408 गोठान बन चुके हैं। बघेल ने बताया कि अब ग्राम पंचायतों के बाद उनके आश्रित गांवों में गोठान की मांग आ रही है। इन गांवों में गोठान शुरू करने की कार्ययोजना बनाई जानी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब गांवों में पहले पहल गांवों में गोठान बने तो स्व सहायता समूह की महिलाओं में इससे जुड़कर वहां आजीविका मूलक गतिविधियां चलाने के लिए होड मच गई। महिलाएं वर्मी कंपोस्‍ट के साथ सब्जी उत्पादन, मुर्गी पालन, मछली पालन, मशरूम उत्पादन जैसी गतिविधियों से जुड़ी।

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रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क की भी हो रही मांग

सरकार ने गोठानों में रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क बनाने का फैसला किया है। इसकी शुरुआत मुख्‍यमंत्री बघेल ने इसी 2 अक्टूबर से की है। उन्‍होंने गांधी जयंती के मौके पर300 रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क का शुभारंभ किया। बघेल ने बताया कि इसके बाद से कई गांवों से रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क प्रारंभ करने की मांग आ रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे गांवों में रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क शुरू करने के लिए कार्ययोजना तैयार की जानी चाहिए।

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि हमें युवाओं को भी गोठानों से जोड़ना होगा। गोठानों में इन पार्को में वार्किंग शेड, पहुंच मार्ग निर्माण और बिजली, पानी की व्यवस्था के लिए प्रति गोठान दो-दो करोड़ रुपये स्वीकृत की गई है। गोठानों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध होने से यहां ग्रामीण युवाओं को अपने उद्यम शुरू करने में आसानी होगी।

chatur postOctober 7, 2022
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