Rice Miller: रायपुर। छत्तीसगढ़ में खरीफ सीजन वर्ष 2024-25 की धान की खरीदी शुरू होने से पहले ही संकट के बाद मंडरा रहे हैं। सरकार जैसे- तैसे एक समस्या से निपटती है तो दूसरी आकर खड़ी हो जा रही है।
पहले धान खरीदी केंद्रों कें डाटा इंट्री ऑपरेटरों ने हड़ताल कर रखा था। ऑपरेटर महीनेभर तक नया रायपुर में धरना देते रहे। डाटा इंट्री ऑपरेटरों की हड़ताल चल ही रही थी कि सहकारी समितियों के कर्मचारियों ने आंदोलन की राह पकड़ ली।
सहाकरी समिति के कर्मचारी अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर 4 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए। आज (12 नवंबर) को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उन्हें बुलाकर बात की। कुछ मांगें मानी ली गई है। इसके बाद सहकारी समितियों के कर्मचारी आज से काम पर लौट आए हैं, लेकिन अब राईस मिलरों ने असहयोग का रास्ता अपना लिया है।
आज जिस वक्त मुख्यमंत्री विष्णुदेव सहाकारी समितियों के आंदोलनकारी कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल से चर्चा कर रहे थे लगभग उसी वक्त प्रदेश के सभी 33 जिला मुख्यालयों में राईस मिलर कलेक्टरों को ज्ञापन सौंप रहे थे। राईस मिलरों ने धान के उठाव से हाथ खड़ा कर दिया है। राईस मिलरों ने 14 नवंबर से धान का उठाव करने से मना कर दिया है। राइस मिलरों ने बारदाना जमा करने में भी असमर्थता जाहिर कर दी है।
प्रदेशभर के राईस मिलरों ने 25 बिंदुओं पर कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपा है। इसमें मिलरों ने पिछले तीन वर्ष से अलग-अलग मदों में बकाया राशि का भुगतान करने की मांग सरकार से की है। मिलरों ने नई धान खरीदी नीति में धान का उठाव और चावल समय पर जमा नहीं करने पर पेनाल्टी लगाने का प्रवधान किया है, राईस मिलर इसका विरोध कर रहे हैं।
मिलरों का कहना है कि वर्ष 2023-24 में मिलरों को अधिक समय तक धान रखना पड़ा था, जिसके कारण धान की प्रवृत्ति बदल गई। इससे मीलरों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।
इसी तरह खरीफ वर्ष 20219-20 में बारदाना जमा और उठाव की गड़ना पद्धति त्रुटिपूर्ण होने के कारण मिलरों को भुगतान नहीं हो पाया। 22-23 में बारदाना जमा पर उपयोगिता शुल्क की गणना सही नहीं की गई। राज्य सरकार ने 2024-25 में मिलिंग की दर 60 रुपये कर दी है, जबकि यह दर कम से कम 150 रुपये होनी चाहिए।
एफआरके का दो वर्ष का पेमेंट नहीं मिला है। 2017-18 का जो बारदाना 2018-19 में जमा किया गया रायगढ़ और बलौदाबाजार में उसका भुगतान आज तक नहीं किया गया है।
2022-23 में जमा किए गए प्लास्टिक बारदाना का भुगतान भी नहीं हुआ है। यही बारदानें जब मिलरों को फिर से दिए गए तो 19.55 रुपये प्रति बारदाना कटौती कर दी गई, जबकि कटौती 7.32 रुपये प्रति बारदाना होनी थ्ज्ञी जिसका भुगतान बाकी है।
खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में जमा प्लास्टिक बारदाना वर्ष 2020-21 को जमा लेकर धान खरीदी पश्चात मिलर को वापस दिए जाने पर कटौति 14.18 रुपये से की गई जबकि कटौति 5.48 रुपये से होनी थी। खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 से 2022-23 तक संग्रहण केंद्रों और समितियों से देर से उठाए गए धान के नाम पर लगाई गई पेनाल्टी वापस होना चाहिए।
खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में समितिया जीरो शॉर्टेज हो गई थी शासन को किसी प्रकार का नुकसान नहीं था लेकिन मिलर्स द्वारा 10 दिवस के बाद उठाए गए धान पर पेनाल्टी लगाया गया जिसे माफ किया जाना उचित है
खरीफ वर्ष 2021-22 में नए जुट SBT बारदाने की कटौति 92.46 रुपये कि दर से की गई है जिसे वर्ष 2022-23 में चावल के जमा करने के पश्चात भी वापस नहीं की जा रही है जेम्स बारदाना में भी यही हो रहा है जिसका निराकरण आवश्यक है। वर्ष 2022-23 का नागरिक आपुर्ति निगम में चावल के साथ के जमा FRK की राशि आज दिनांक तक नहीं मिला है।
कस्टम मिलिंग वर्ष 2023-24 में जिनका चावंल जमा हो गया है उनका कस्टम मिलिंग बिल और फोर्टीफाइड बिल बनाने के लिए NIC में सुधार की आवश्यकता है। मिलर ने वर्ष 2023-24 में जमा किए गए जिस दर (1500) उसी दर से रिलिज करने का कष्ट करें।
बारदाना चावंल डिलवरी के लिए स्थान की कमी के कारण चावंल जाना शेष हैं सभी मिलो अत्यधिक मात्रा में धान स्टाक होने के कारण हमारा बारदाना फसा हुआ है। प्रति वर्ष धान के जो बारदाने जो कटे फटे होते है उन्हे रिपेयर करना पड़ता है पिछले वर्षों की कस्टम मिलिंग / FRK / बारदाना उपयोगिता शुल्क / जमा बारदाना का भुगतान / पी पी बारदाना का भुगतान समिति तक का परिवहन अन्य मदो का भुगतान शेष है जिसके कारण आर्थिक तंगी के कारण बारदाना रिपेयर करवाना संभव नहीं हो पा रहा है।
वर्ष 2022-23 का भारतीय खाद्य निगम एवं नागरिक आपुर्ति निगम का परिवहन का भुगतान कराने का कष्ट करें। जीपी एस का भुगतान मिलर द्वारा किया गया है लेकिन मार्कफेड मिलर्स से साल भर का किराया लिया जा रहा है जो कि अनुचित है अतः आपसे है कि काटे गए जी पी एस का भुगतना करवाने का कष्ट करें।
अनुबधं में समय वृद्धि के प्रवधान को एक बार में एक साल तक समय दिया जाना चाहिए। अनुबधं पुर्ण होने के पश्चात कस्टम मिलिंग भुगतान की समय सीमा निर्धारित करने का कष्ट करे। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में राईस मिलो संख्या अत्यधिक बढ़ गई है अतः कस्टम मिलिंग को बन्धन से मुक्त कर एच्छिक करने का कष्ट करें।
राईस मिलो की एल्टीलाईन को 150 एच पी से बढ़ा कर 250 एच पी करवाने का कष्ट करें। भारतीय खाद्य निगम में रेक नहीं लगने के कारण जगह का अभाव होने के कारण चावल डिलवरी प्रभवित हो रही है अतः आपसे निवेदन है भारतीय खाद्य निगम को ज्यादा से ज्यादा रेक लगाने हेतु प्रेरित करने का कष्ट करें। मिलर का एक खरीफ वर्ष का सम्पुर्ण भुगतान एक ही बिल में एक साथ करवाने का कष्ट करें।