Bijli: रायपुर। छत्तीसगढ़ में बिजली बिजली उत्पान, पारेषण और वितरण तीन अलग-अलग कंपनियां कर रही हैं। 2008 के पहले यह पूरा काम राज्य विद्युत मंडल (CSEB) करता था। बिजली बोर्ड से बिजली कंपनी तक के सफर में काफी कुछ बदल गया, लेकिन एक चीज कामन है, वह है चेयरमैन का पद।
सीएसईबी में भी चेयरमैन का पद था, बाकी जो काम आज अलग-अलग कंपनियों के एमडी कर रहे हैं, वह काम बोर्ड के मेम्बर करते थे। बोर्ड में मेम्बर जरनेशन, ट्रांसमिशन और डिट्रिब्यूशन रहते थें। छत्तीसगढ़ बिजली बोर्ड के पहले अध्यक्ष कौन थें, अब तक कौन-कौन अध्यक्ष रहे हैं। इसकी चर्चा से पहले बिजली बोर्ड के गठन और बिजली बोर्ड से बिजली कंपनियों तक के सफर की बात कर लेते हैं।
नवंबर 2000 में मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना। छत्तीगसढ़ में पदस्थ बिजली इंजीनियर और कर्मचारियों काफी जोश में थे। उन्हें एमपीईबी से अलग होने की इतनी हड़बड़ी थी कि बताते हैं चालू लाईन में ही उन्होंने अपना पूरा सिस्टम अलग कर लिया। बिजली कर्मियों के इस जोश की कहानी की चर्चा तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी भी कई बार सुनाते थे। बिजली कर्मचारियों के इस प्रयास की वजह से 15 नवंबर 2000 छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल के गठन की अधिसूचना जारी हो गई और 01 दिसंबर 2000 से बोर्ड अस्तित्व में आ गया।
2008 में बनी पांच कंपनियां
बिजली बोर्ड के इंजीनियरों और कर्मचारियों के विरोध के बावजूद राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ में केंद्र सरकार का विद्युत सुधार अधिनियम लागू कर दिया। इसकी वजह से बोर्ड का पुनर्गठन (विखंडन) करके 5 कंपनी बना दी गई। बोर्ड के विखंडन की अधिसूचना 19 दिसंबर 2008 को जारी की गई। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में पॉवर होल्डिंग, जनरेशन, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रिब्यूशन के साथ ट्रेडिंग कंपनियां अस्तित्व में आ गईं।
बिजली बोर्ड बना तब आईएएस सुयोग्य कुमार मिश्रा कार्यवाह अध्यक्ष बनाए गए। बोर्ड के पूरी तरह अस्तित्व में आते ही गोपाल तिवारी को बोर्ड के अध्यक्ष की कुर्सी सौंप दी गई। उनके बाद बीएस बनाफर को बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया। बनाफर के बाद फिर कुछ समय के लिए आईएएस एसके मिश्रा को बिजली बोर्ड की जिम्मेदारी दी गई। मिश्रा के बाद फिर एक आईएएस अजय सिंह को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। अजय सिंह के बाद बोर्ड में राजीव रंजन का दौर आया।
राजनीतिक पृष्ठभूमि से आने वाले राजीव रंजन बिजली बोर्ड के आखिरी अध्यक्ष थे। राजीव रंजन की कई कारणों से आलोचना होती है, लेकिन उन्हीं के कार्यकाल में सरकारी बिजली सेक्टर में कई बड़े बदलाव हुए। छत्तीसगढ़ का पहला पॉवर प्लांट उन्हीं के कार्याकल में शुरू हुआ। छत्तीसगढ़ देश का पहला जीरो पॉवर कट स्टेट भी उन्हीं के कार्यकाल में बना। उपभोक्ता सेवा में सुधार की दिशा में काम भी तभी शुरू हुआ और एटीपी की सुविधा शुरू की गई। नए सब स्टेशनों के निर्माण के साथ बिजली की अधोसंरचना के विकास के भी काफी काम हुए।
बिजली बोर्ड का विखंडन हुआ तो राजीव रंजन को अध्यक्ष के पद से हटाकर ओएसडी बना कर दिल्ली भेज दिया गया। कुछ समय तक ओएसडी रहने के बाद रीजव रंजनAMP अपने मूल प्रदेश बिहार लौट गए और जदयू में शामिल होकर राजनीति में सक्रिय हो गए। इस्लामपुर सीट से विधायक भी चुने गए। जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता थे। इसी साल दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनका निधन हो गया।
जानिए.. कौन थे बिजली कंपनियों के पहले चेयरमैन
बिजली कंपनियों के गठन के साथ ही सरकार ने तत्कालीन मुख्य सचिव पी. जाय उम्मेन को बिजली कंपनियों का चेयरमैन बना दिया गया। जब जाय उम्मेन को सीएस के पद से हटाया गया तो उन्होंने नौकरी छोड़ दी। उम्मेन के अचाकन जाने के बाद चेयरमैन का अतिरिक्त प्रभार कुछ समय के लिए तत्कालीन ऊर्जा सचिव को दिया गया था। इसके बाद सेवानिवृत्त आईएएस शिवराज सिंह को चेयरमैन बनाया गया। शिवराज सिंह मुख्य सचिव के पद से रिटायर हुए थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री के सलाहकार थे।
2018 में प्रदेश में जब सत्ता परिवर्तन हुआ तब शिवराज सिंह ने कंपनी के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस सरकार ने ऊर्जा विभाग के तत्कालीन विशेष अंकित आनंद को कंपनी का चेयरमैन बना दिया। इसका आदेश भी जारी कर दिया गया, लेकिन अंकित आनंद धर्म संकट में फंस गए, क्योंकि उस वक्त बिजली कंपनी के बोर्ड ऑफ डॉयरेक्टर में प्रमुख सचिव स्तर के अफसर शामिल थे। अंकित आनंद ने पदभार ग्रहण नहीं किया। ऐसे में सप्ताहभर बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कंपनियों का चेयरमैन बनाए जाने का आदेश जारी हुआ।
इस बीच सरकार ने शैलेंद्र शुक्ला को चेयरमैन बनाया। शुक्ला लंबे समय तक क्रेडा में काम कर चुके थे, लेकिन बिजली कंपनी में उनकी पारी लंबी नहीं चली और सरकार की अपेक्षा पर खरा नहीं उतर पाने की बात कहते हुए उन्होंने इस्तीफा दे दिया। शुक्ला के इस्तीफा के बाद एसीएस सुब्रत साहू को कंपनी का अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद फिर आईएएस अंकित आनंद की चेयरमैन की कुर्सी पर वापसी हुई तब वे वितरण कंपनी के एमडी भी थे।
अंकित आनंद मौजूदा बीजेपी सरकार के सत्ता में आने तक चेयरमैन रहे। इसके बाद मुख्यमंत्री के सचिव पी. दयानंद को अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। दयानंद के बाद अब केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे आईएएस डॉ. रोहित यादव चेयरमैन बनाए गए हैं। आईएएस डॉ. रोहित यादव छत्तीसगढ़ की सरकारी बिजली कंपनियों के मौजूदा अध्यक्ष हैं। 2002 बैच के आईएएस डॉ. रोहित यादव 3 दिन पहले ऊर्जा सचिव के पद के साथ बिजली कंपनियों के चेयरमैन की जिम्मेदारी दी गई है।
मुख्यमंत्री ही रहे हैं ऊर्जा विभाग के मंत्री
छत्तीसगढ़ में यह भी संयोग है कि प्रदेश का ऊर्जा विभाग ज्यादातर समय मुख्यमंत्री के पास ही रहा है। अजीत जोगी के नेतृत्व वाली पहली सरकार में धनेश पाटिला ऊर्जा मंत्री थे। इसके बाद डॉ. रमन सिंह के पूरे कार्यकाल में ऊर्जा विभाग मुख्यमंत्री के पास ही रहा। 2018 में सीएम बने भूपेश बघेल ने भी ऊर्जा विभाग अपने ही पास रखा था। अब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी ऊर्जा विभाग के भारसाधक मंत्री हैं।