CG News: रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने इस वर्ष धान खरीदी का सबसे बड़ा लक्ष्य रखा है। सरकार ने फैसला किया है कि खरीफ सीजन 2024 में प्रदेश के के किसानों से 1 लाख 60 हजार टन धान खरीदी की जाएगी। सरकार ने बड़ा लक्ष्य तो तय कर लिया है, लेकिन धान खरीदी की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी (डाटा इंट्री ऑपरेटर) हड़ताल पर चले गए हैं।
प्रदेशभर के धान खरीदी केंद्रों के डाटा ऑपरेटर नवा रायपुर स्थित धरना स्थल पर बीते 14 दिनों से बैठे हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है। सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए आंदोलनकारी डाटा इंट्री ऑपरेटर रोज नए- नए प्रयास कर रहे हैं। रैली के जरिये वे नवा रायपुर की सड़कों पर शक्ति प्रदर्शन कर चुके हैं। सरकार की सदबुद्धि के लिए यज्ञ भी करा चुके हैं, लेकिन सरकार लगातार अनदेखी कर रही है। डाटा इंट्री ऑपरेटर मांग पूरी हुए बिना काम पर लौटने को राजी नहीं हैं। ऐसे में सरकार के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है।
जानिए.. किन मांगों को लेकर कर रहे हैं आंदोलन
ऋषिकांत मोहरे संघ के प्रांताध्यक्ष हैं। विद्याशंकर यादव प्रदेश संयोजक, संतोष साहू और नरेश साहू संरक्षक हैं। प्रदेश के सरकारी धान खरीदी केंद्रों में 2739 डाटा इंट्री ऑपरेटर हैं। इनकी दो ही मांग है। संघ के अध्यक्ष ऋषिकांत मोहरे के अनुसार हमारी पहली मांग डाटा इंट्री ऑपरेटरों का विभाग तय करके उन्हें नियमित किया जाए। दूसरा राज्य में संविदा वेतनमान में की गई 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी का लाभ इन्हें भी दिया जाए। इसके साथ ही 23350 रुपये मासिक संविदा वेतन का भुगतान अगस्त 2023 से किया जाए।
प्रदेश के डाटा इंट्री ऑपरेटर यदि काम पर नहीं लौटे तो धान खरीदी की पूरी व्यवस्था चरमरा जाएगी। प्रदेश के सभी सरकारी धान खरीदी केंद्र 2017 से कम्प्यूटराइज किए जा चुके हैं। धान बेचने वाले किसानों का पंजीयन, किसानों को टोकन जारी करने से लेकर खरीदे गए धान की इंट्री सब कुछ ये ही करते हैं। इनकी इंट्री के आधार पर ही किसानों को धान की कीमत का भुगातन किया जाता है।
ऐसे में अगर ये काम पर नहीं लौटे तो सबसे पहले धान खरीदी का टोकन सिस्टम प्रभावित होगा। किसानों को टोकन जारी नहीं हो पाएगा। इससे धान खरीदी नहीं हो पाएगी।
सोमवार को हुई मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक में धान खरीदी की संभावित तारीख 15 नवंबर तय की गई है। हालांकि फाइनल डेट कैबिनेट की बैठक में तय होगा। इसके बावजूद धान खरीदी में अभी करीब डेढ़ महीने का वक्त है। इसी वजह से सरकार फिलहाल डाटा इंट्री ऑपरेटरों के आंदोलन को उतनी गंभीरता से नहीं ले रही है।
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