CSPDCL रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी ने बिजली सब स्टेशनों के संचालन के लिए टेंडर जारी किया है। टेंडर की तारीखों में अब तक छह बार बदलाव किया जा चुका है। इसकी वजह से पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। आरोप लग रहा है कि अपात्र ठेकेदारों को पात्र बनाने के लिए टेंडर के नियमों बार- बार बदलाव किया जा रहा है।
बिजली वितरण कंपनी में 33/11 केवी के 1950 सब स्टेशनों के संचालन के लिए टेंडर जारी किया गया है। बोर्ड की ओर से इन सब स्टेशनों को तीन साल के संचालन के लिए ठेकेदारों को देना है। टेंडर की लागत 428 करोड़ रुपए को बताई जा रही है।
इससे पहले सब स्टेशनों के संचालन के लिए जून 2022 में टेंडर हुआ था। आरोप है कि तब श्रम कानूनों का पालन नहीं किया गया। जानकारों के अनुसार श्रम कानून के अनुसार किसी भी ठेका कंपनी के अंदर एक जिले में 20 से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत होने पर लेबर लाइसेंस लेना अनिवार्य है। ऐसा इसलिए ताकि किसी दुर्घटना या हादसे जैसी स्थिति में कर्मचारियों को इलाज से लेकर अन्य सुविधाओं का लाभ मिल सके।
जून 2022 में हुए टेंडर में सब स्टेशन का ठेका लेने वाले 15 से ज्यादा ठेकेदारों के पास लेबर लाइसेंस नहीं था। बिना लेबर लाइसेंस के ही वे करोड़ों का काम कर चुके हैं। बोर्ड के अफसर इसकी अनदेखी करते रहे और इसी तरह ठेका की अवधि पूरी हो गई।
नए टेंडर की शर्तों के अनुसार ठेकेदार को पुराना लेबर लाइसेंस जमा करना पड़ेगा लेकिन ज्यादातर पुराने ठेकेदारों के पास लेबर लाइसेंस नहीं है। नए ठेका करने के लिए मार्च में नया टेंडर निकाला गया। इसमें कहा गया कि ठेकेदारों को पुराने दोनों सत्र के लेबर लाइसेंस जमा करना है। लेकिन अब इस शर्त को हटा दिया गया है ताकि जिन ठेकेदारों के पास लाइसेंस नहीं हैं वे भी इस टेंडर में भाग ले सकें। लेकिन इसमें सबसे बड़ा नुकसान सात हजार से ज्यादा कर्मचारी व उनके परिजनों का है।
छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों में 33/11 केवी के 1950 सब स्टेशन हैं। बोर्ड की ओर से ठेकेदारों को तीन साल के लिए टेंडर दिया जाएगा। इसकी लागत 428 करोड़ रुपये से ज्यादा को बताई जा रही है। इसमें कर्मचारियों का वेतन और ठेकेदारों का मुनाफा भी शामिल है। 1950 सब स्टेशन के हिसाब से करीब 7800 कर्मचारी इन स्टेशनों में काम करेंगे। लेबर लाइसेंस नहीं होने से कर्मचारी समेत परिजनों को कई तरह के लाभ से यथित होना पड़ेगा।
सब स्टेशनों के लिए 17 जनवरी को निकाला गया था। अंतिम तारीख 3 मार्च थी। इस टेंडर को जब निकाला गया तो इसमें लेबर लाइसेंस की अनिवार्यता रखी गई थी।
28 फरवरी को टेंडर की तारीखों में बदलाव किया गया और टेंडर जमा करने की अंतिम तारीख 11 मार्च कर दी गई। इसमें भी लेबर लाइसेंस अनिवार्य रखा गया था।
10 मार्च को फिर टेंडर तारीखों में बदलाव किया गया टेंडर भरने की तारीख 28 मार्च तय की गई। लेबर लाइसेंस वाला नियम इस टेंडर में भी शामिल था।
27 मार्च को फिर टेंडर नियमों में बदलाव किया गया। अब टेंडर भरने की अंतिम तारीख 11 अप्रैल रखी गई। इस टेंडर में भी लेबर लाइसेंस की अनिवार्या का नियम लागू था।
अप्रैल को पांचवी बार टेंडर की तरीखों में बदलाव किया गया। टेंडर भरने की अंतिम तिथि 29 अप्रैल रखी गई। इसमें भी ठेका एजेंसियों के लिए लेबर लाइसेंस संबंधी नियम लागू था।
28 अप्रैल को टेंडर निकाला गया अंतिम तारीख 29 मई है। इसी बीच 14 मई को एक संशोधन पत्र जारी किया गया। इसमें टेंडर के लिए लेबर लाइसेंस के लिए बदलाव किया गया। जिसमें पिछला लेबर लाइसेंस देने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है, लेकिन भविष्य में लेबर लाइसेंस लेबर लाइसेंस देना होगा