CSPTCL रायपुर। छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी का तकनीकी ज्ञान अब मध्यप्रदेश के विद्युत विस्तार में योगदान देगा। छत्तीसगढ़ 400 केवी के टॉवर की डिजाइन मध्यप्रदेश को देगा और मध्यप्रदेश के 220 केवी और 132 केवी के टॉवर की डिजाइन लेगा। इस तकनीक व कौशल के आदान-प्रदान से दोनों प्रदेश की पॉवर कंपनी का लाभ होगा। इस नई तकनीक से ट्रांसमिशन कंपनी के विशाल टावरों के स्थापना में कम भूमि की जरूरत पड़ेगी।
CSPTCL छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी के अध्यक्ष सुबोध कुमार सिंह ने कहा कि प्रौद्योगिकियों के परस्पर विनियम से सभी पक्षों की दक्षता बढ़ती है । इसका लाभ दोनों राज्यों को मिलना सुखद है । प्रौद्योगिकीय उन्नयन से ही भावी चुनौतियों का सामना किया जा सकेगा । एमडी राजेश कुमार शुक्ला ने कहा कि दोनों कंपनी के आपसी सहयोग व तकनीक साझेदारी का लाभ दोनों राज्यों को मिलेगा। इससे अत्याधुनिक पारेषण प्रणाली, तकनीक और प्रशिक्षण का आदान-प्रदान हो सकेगा।
छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी और मध्यप्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी के बीच जबलपुर के शक्ति भवन में अनुबंध हुआ। इसमें छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी के कार्यपालक निदेशक (योजना, वाणिज्यिक एवं विनियामक मामले) के. एस. मनोठिया और मध्यप्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी के कार्यपालक निदेशक समीर नगोटिया (वाणिज्यिक एवं विनियामक मामले) ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर एमपीपीटीसीएल के प्रबंध निदेशक इंजी. सुनील तिवारी विशेष रूप से उपस्थित थे।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी को 400 केवी अति उच्च दाब टॉवर खड़ा करने में विशेष दक्षता हासिल है। इसकी डिजाइन को छत्तीसगढ़ ने केंद्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) बैंगलोर को भेजा था, जहां वेटिंग, चेकिंग और स्क्रूटनी के पश्चात् टॉवर स्ट्रक्चर की डिजाइन को बेहतर माना गया।
CSPTCL वहीं मध्यप्रदेश में 220 केवी और 132 केवी के अतिउच्च दाब टॉवर की नेरो बेस डिजाइन बेहतर मानी जाती है, जिसमें कम जमीन का उपयोग करते हुए सकरे फाउंडेशन में विशाल टॉवर खड़े किए जाते हैं। खासकर शहर में जमीन की उपलब्धता कम होने पर इस डिजाइन की अधिक आवश्यकता थी। इस डिजाइन में जहां सामान्य टॉवर के लिए जो जगह फाउंडेशन में लगती थी उससे अब लगभग आधी लगेगी। इससे टॉवर खड़ा करने में लगने वाली किसानों की कम जमीन प्रभावित होगी। मध्यप्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी ने इन दोनों टॉवर की डिजाइन देने के एवज में 2.89 करोड़ रूपए का शुल्क मांगा गया था। अब छत्तीसगढ़ के 400 केवी टॉवर की डिजाइन के बदले मध्यप्रदेश 220 केवी और 132 केवी नैरो बेस डिजाइन साझा कर रहा है, इससे छत्तीसगढ़ को 2.89 करोड़ रुपए का सीधा लाभ हो रहा है।
CSPTCL छत्तीसगढ़ ट्रांसको के प्रबंध निदेशक राजेश कुमार शुक्ला ने बताया कि यह साझेदारी दोनों राज्यों की ऊर्जा अवसंरचना को और अधिक सक्षम बनाएगी तथा टेक्नो कमर्शियल क्षेत्र मे बड़ा नवाचार होगा। यह एक “मील का पत्थर” साबित होगा, जो भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक सिद्ध होगा। यह समझौता न केवल दोनों राज्यों के तकनीकी विकास को गति देगा, बल्कि क्षेत्रीय ऊर्जा सहयोग को भी नई दिशा प्रदान करेगा।
इस अवसर पर मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के मुख्य अभियंता देवाशीष चक्रवर्ती, अधीक्षण अभियंता सुधीर नेमा तथा छत्तीसगढ़ ट्रांस्को से कार्यपालन अभियंता टी. के. कुंभज उपस्थित थे। इस सहयोग का प्रमुख उद्देश्य विद्युत आपूर्ति की विश्वसनीयता को बढ़ाना, तकनीकी दक्षता में सुधार लाना तथा संचालन और रखरखाव की लागत को न्यूनतम करना है।