EOW Raid रायपुर। छत्तीसगढ़ ईओडब्ल्यू ने शनिवार को राज्य के पांच जिलों में कार्यवाही की। ये छापे शराब घोटाला की जांच के सिलसिले में मारे गए हैं। इनमें दंतेवाड़ा, अंबिकापुर, सुकमा, जगदलपुर और रायपुर शामिल है। इन जिलों में करीब 15 से ज्यादा ठिकानों पर जांच की गई। बताया जा रहा है कि जिन लोगों के यहां छापा मारा गया है वे सभी पूर्व मंत्री कवासी लखमा से जुड़े हैं।
रायपुर के देवेंद्र नगर के शहीद हेमू कलाणी वार्ड स्थित जी नागेश्वर राव और जी श्रीनिवास राव के घर भी छापा पड़ा है। जी नागेश्वर कंस्ट्रक्शन का काम करते हैं। छापेमारी के दौरान टीम कई दस्तावेज और डिजिटल सबूत अपने साथ ले गई है। श्रीनिवास कांग्रेस से पार्षद प्रत्याशी थे। नागेश्वर राव को पूर्व मंत्री लखमा करीबी बताया जा रहा है। रावा का लखमा के पुत्र हरीश लखमा से भी नजदीकी संबंध था। इसके साथ ही संतोषी नगर स्थित कमलेश नहाटा के घर पर भी छापा पड़ा है।
वहीं दंतेवाड़ा में कांग्रेस नेता राजकुमार तामो के घर भी ईओडब्ल्यू की टीम ने दबिश दी है। राजकुमार तामो को कवासी लखमा का करीबी माना जाता है। सुकमा जिले में चार स्थानों पर छापेमारी हुई है। इसमें जिला मुख्यालय के तीन और तोंगपाल के एक स्थान शामिल है। इनमें हार्डवेयर और पेट्रोल पंप कारोबारी भी शामिल हैं। ये सभी व्यक्ति भी पूर्व मंत्री लखमा का खास बताया जा रहा है।
वहीं अंबिकापुर में भी कार्रवाई की गई है। वहां ईओडब्ल्यू की टीम ने कपड़ा व्यवसाय से जुड़ी फर्म धजाराम-विनोद कुमार के संचालकों के ठिकानों पर छापा मारा है। इस फर्म का नाम पहले भी चर्चित डीएमएफ घोटाले में आ चुका है। इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज है। पहले भी ईडी और आयकर विभाग इन व्यापारियों पर कार्रवाई कर चुके हैं। फर्म के संचालक मुकेश अग्रवाल और विनोद अग्रवाल हैं, जिनके घरों पर शनिवार सुबह छापेमारी शुरू हुई।
छापेमारी के दौरान दस्तावेजों और लेन-देन से जुड़ी कई अहम जानकारियां जुटाई गई है। इस दौरान इलेक्ट्रानिक डिवाइसों की भी जांच की गई है। छापे के दौरान ईओडब्ल्यू ने दस्तावेज भी जब्त किया है।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान हुए दो हजार करोड़ रुपए से अधिक के इस घोटाला का खुलासा ईडी ने किया था। ईडी के पत्र के आधार पर ईओडब्ल्यू मामला दर्ज करके जांच कर रही है।
ईडी ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में कारोबारी अनवर ढेबर, आईएएस अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी अरुणपति त्रिपाठी के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।
आरोप है कि इन लोगों ने मिलकर 2019 से 2022 सरकारी शराब दुकानों से डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर शराब बेचवाया और उसका पूरा पैसा खुद रख लिया। ईडी की रिपोर्ट के अनुसार शराब के कारोबार में जमकर कमीशनखोरी भी की गई।