Kawasi Lakhma रायपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाला में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को पूछताछ के लिए अपने कार्यालय बुलाया है। लखमा के साथ उनके पुत्र हरीश लखमा को भी केंद्रीय जांच एजेंसी ने तलब किया है। इसके साथ ही पूर्व मंत्री की गिरफ्तारी का खतरा बढ़ गया है।
बता दें कि एक दिन पहले ही ईडी ने प्रेसनोट जारी कर शराब घोटाला में लखमा के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलने का दावा किया है। ईडी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि शराब घोटाला से होने वाली भ्रष्टाचार की कमाई में से हर महीने तत्काली आबकारी मंत्री लखमा को भी हिस्सा मिलता था। ईडी का दावा है कि छापे में इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले हैं।
कोंटा सीट से लगातार छठवीं बार के विधायक और कांग्रेस सरकार में आबकारी मंत्री रहे कवासी लखमा के यहां 28 दिसंबर को ईडी ने छापामार कार्रवाई की थी। ईडी की टीमों ने लखमा के साथ ही उनके पुत्र और करीबी लोगों के रायपुर, धमतरी और सुकमा में सात से ज्यादा ठिकानों पर जांच की थी। दो दिन तक चली इस कार्रवाई के दौरान ईडी ने लखमा के खिलाफ पुख्ता सबूत मिलने का दावा किया है। छापों के बाद लखमा ने कहा था कि ईडी को मेरे खिलाफ कुछ नहीं मिला है, लेकन ईडी की टीम मेरा और मेरे बेटा का मोबाइल अपने साथ ले गई है।
करीब 21 सौ करोड़ रुपये से अधिक के इस शराब घोटाला में अब तक पांच लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इसमें रायपुर के महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर, सेवानिवृत्त आईएएस अनिल टुटेजा, पूर्व आईटीएस अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी शामिल है। ईडी ने अपनी चार्जशीट में अनवर ढेबर को इस पूरे मामले का मास्टर माइंड बताया है। दूरसंचार सेवा से प्रतिनियुक्ति पर आए अरुणपति त्रिपाठी और अनिल टुटेजा ने इस घोटाला में मुख्य भूमिका निभाई।
ईडी ने अपनी चार्जशीट में आबकारी घोटाला की पूरी कहानी बताई है। इसके अनुसार आरोपियों ने मिलकर शराब में कई तरह से काली कमाई की। इसमें शराब बनाने वाली कंपनियों ने कमीशन लिया। नकली होलोग्राम लगातार सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब की बिक्री कराई, जिसकी पूरी कमाई आरोपियों के पास गई। आबकारी घोटाला में कैसे हुई काली कमाई की पूरी कहानी जानने के लिए यहां क्लिक करेंAMP
कवासी लखमा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और बस्तर संभाग की कोंटा सीट से विधायक हैं। लखमा ने पहली बार 1998 में विधानभा का चुनाव जीता था, उसके बाद से वे लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। अब तक वे एक भी चुनाव नहीं हारे हैं। लखमा को अक्षर ज्ञान नहीं है। 2018 में भूपेश बघेल की सरकार में उन्हें छत्तीसगढ़ का आबकारी मंत्री बनाया गया था।
बस्तर में 2013 हुई झीरमघाटी में कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हुए भीषण नक्सली हमले में मौके से सुरक्षित बच निकलने वाले लखमा एक मात्र नेता था। बता दें कि उस घटना में नक्सलियों ने कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, उनके पुत्र और महेंद्र कर्मा के साथ ही काफिले में शामिल कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं की हत्या कर दी थी। गोली लगने से गंभीर रुप से घायल हुए विद्याचरण शुक्ल की भी ईलाज के दौरान मौत हो गई थी। इन सबके बीच लखमा मौके से बाइक लेकर निकलने में सफल रहे थे।