Pitr Paksh 2024: रायपुर। हिंदू धर्म के हिसाब से साल के 15 दिन पूर्वजों को समर्पित है। इसे ही पितृपक्ष कहते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा से पितृपक्ष शुरू होता है। इसका समापन अश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि होता है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष (2004) भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 18 सितंबर को सुबह 8 बजकर 4 मिनट पर समाप्त हो रही है। इस दौरान धृति योग और शतभिषा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। चूंकि 18 सितंबर को प्रतिपदा होने से श्राद्ध पक्ष का आरंभ 18 सितंबर को माना जाएगा।
जानिए… पितृपक्ष में किन तिथियों का है खास महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार यह अनुष्ठान परिवार के सबसे बड़े बेटे द्वारा किया जाता है। इसमें विभिन्न रीति रिवाज शामिल होते हैं। श्राद्ध पक्ष की सभी तिथियां वैसे तो स्वयं में खास हैं लेकिन श्राद्ध पक्ष में तीन खास तिथियों का महत्व ज्यादा माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार पितरों को प्रसन्न करने के लिए और पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए इस बार श्राद्ध पक्ष की ये तिथियां काफी महत्वपूर्ण होंगी।
जानिए- तिथि नहीं मालमू है तो कैसे करें श्राद्ध
किसी भी माह की जिस तिथि में परिजन की मृत्यु हुई हो, श्राद्धपक्ष में उसी से संबधित तिथि में उस पितृ का श्राद्ध करना चाहिए। कुछ खास तिथियां भी हैं जिनमें किसी भी प्रकार से मृत हुए परिजन का श्राद्ध किया जाता है। सौभाग्यवती अर्थात पति के रहते ही जिस महिला की मृत्यु हो गयी हो, उन नारियों का श्राद्ध नवमीं तिथि में किया जाता है। ऐसी स्त्री जो मृत्यु को तो प्राप्त हो चुकी लेकिन उनकी तिथि नहीं पता हो तो उनका भी श्राद्ध मातृनवमी को ही करने का विधान है।
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Pitr Paksh 2024: वर्ष 2024 में श्राद्ध की प्रमुख तिथियां
पूर्णिमा का श्राद्ध 17 सितंबर, पितृ पक्ष प्रारंभ प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध 18 सितंबर, द्वितीया तिथि का श्राद्ध 19 सितंबर, तृतीया तिथि का श्राद्ध 20 सितंबर, चतुर्थी तिथि का श्राद्ध 21 सितंबर, पंचमी तिथि का श्राद्ध 22 सितंबर, षष्ठी और सप्तमी तिथि का श्राद्ध 23 सितंबर, अष्टमी तिथि का श्राद्ध 24 सितंबर, नवमी तिथि का श्राद्ध 25 सितंबर, दशमी तिथि का श्राद्ध 26 सितंबर गुरुवार, एकादशी तिथि का श्राद्ध 27 सितंबर, द्वादशी तिथि का श्राद्ध 29 सितंबर, त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध 30 सितंबर, चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध 1 अक्टूबर, सर्व पितृ अमावस्या, पितृ पक्ष समाप्त 2 अक्टूबर।
वर्ष 2024 में श्राद्ध मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी। पूर्णिमा तिथि का समापन 18 सितंबर को सुबह 8 बजकर 4 मिनट पर होगा। श्राद्ध संपन्न करने के लिए कुतुप, रोहिणी मुहूर्त अच्छा माना गया है। कुतुप मूहूर्त 11 बजकर 51 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट, रोहिणी मूहूर्त 12 बजकर 40 मिनट से 1 बजकर 29 मिनट, अपरान्ह काल 1 बजकर 29 मिनट से 3 बजकर 56 मिनट।
Pitr Paksh 2024: जानिए…पितृ पक्ष में क्या करते हैं और कैसे देते हैं जल
पितृ पक्ष में पितरों का जल दिया जाता है। इसका भी विधान है। जल हमेशा दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके यिा जाता है। जल देते समय अपने पितरों का ध्यान करना चाहिए। तपर्ण के लिए लोटे में जल के साथ हाथ में कुशा, अक्षत, काले तिल और जौ रखना चाहिए। इसे लोटे के जल में डाल सकते हैं। पितरों के नाम पर 5, 7 या 11 अंजलि जल गिराना चाहिए।