Sanskrti Parishad रायपुर। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने दो दिन पहले निगम- मंडलों में नियुक्ति की पहली सूची जारी की है। इसमें 33 निगम- मंडल और परिषदों में 36 नेताओं की नियुक्ति की गई है। निगम मंडल में नियुक्तियों की इस सूची में अब कई विसंगति सामने आने लगी है।
छत्तीसगढ़ की जिन 33 निकायों में नियुक्ति का आदेश जारी किया गया है उसमें से कुछ का मामला हाईकोर्ट के विचाराधीन है। इसके बावजूद नियुक्ति कर दी है। बता दें कि भाजपा ने सत्ता में आते ही कांग्रेस सरकार के दौरान की गई निगम मंडलों की नियुक्ति को रद्द करने का आदेश जारी कर दिया था। सरकार के इस आदेश को कुछ निगम- मंडल के अध्यक्षों ने हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है। इन मामलों क इसी महीने सुनवाई होनी है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सहलाकार रहे विनोद वर्मा ने छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के अध्यक्ष की नियुक्ति नियमों की अनदेखी की ओर सरकार का ध्यान खींचा है। सोशल मीडिया में किए पोस्ट में वर्मा ने कहा है कि संस्कृति परिषद में राज्य सरकार ने शशांक शर्मा की नियुक्ति की है। शशांक शर्मा को बधाई देने से पहले पर यह जानना अच्छा होगा कि यह नियुक्ति नियमानुसार ठीक नहीं है।
वर्मा ने लिखा है कि परिषद का जिस तरह से गठित और अधिसूचित किया गया है उसके अनुसार परिषद के पदेन अध्यक्ष तो मुख्यमंत्री होंगे और पदेन उपाध्यक्ष संस्कृति मंत्री। ऐसे में शशांक शर्मा तभी अध्यक्ष नियुक्त हो सकते हैं जब परिषद को पुनर्गठन कर अधिसूचित किया जाए और मुख्यमंत्री को अध्यक्ष के पद से हटा दिया जाए।
वर्मा ने लिखा है कि मैं इसे एक चूक की तरह ही देख रहा हूं जिसमें तत्काल सुधार किया जा सकता है। अधिसूचना के अनुसार परिषद में कुल 9 सदस्य होंगे। सदस्यों में प्रतिष्ठित विद्वजन मनोनीत किए जायेंगे. परिषद के अंतर्गत कला संस्कृति की इकाइयों को समाहित किया गया है। परिषद का गठन करते हुए तीन महत्वपूर्ण अकादमियां बनाई गईं थीं। साहित्य अकादमी, आदिवासी लोककला अकादमी और कला अकादमी। इन तीनों अकादमियों में अध्यक्ष/निदेशक नियुक्त होने चाहिए।
उन्होंने लिखा है कि इसके अलावा संस्कृति विभाग की कुछ और संस्थाओं को परिषद के अंतर्गत रखा गया है, जिसमें बख़्शी पीठ और श्रीकांत वर्मा पीठ शामिल हैं। सरकार को पहले परिषद के सदस्यों का चयन करना चाहिए फिर अकादमियों और पीठों में नियुक्ति करनी चाहिए।