Bharatmala Project रायपुर। भारतमाला प्रोजेक्ट के मुआवजा घोटाला में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने गिरफ्तारी शुरू कर दी है। ईओडब्ल्यू ने अभी चार लोगों को गिरफ्तार किया है। अभी दर्जनभर से ज्यादा सरकारी कर्मचारी इस मामले में जांच के घेरे में है। इनमें तीन आईएएस भी शामिल हैं।
ईओडब्ल्यू ने अभी जिन चार लोगों को पकड़ा है उनमें हरमीत खनूजा, उमा तिवारी, केदार तिवारी और विजय जैन शामिल हैं। चारों को ईओडब्ल्यू ने शनिवार को रायपुर की विशेष कोर्ट में पेश कर पूछताछ के लिए रिमांड मांगी। कोर्ट ने छह दिन की रिमांड मंजूर की है।
ईओडब्ल्यू ने जिन चार लोगों को पकड़ा है उनमें उमा तिवारी और केदार तिवारी पति- पत्नी हैं। इन लोगों को मुआवजा मिला है। हरमीत जमीन दलाल है और विजय जैन व्यापारी है।
तिवारी पति- पत्नी को जमीन के मुआवजा के रुप में दो करोड़ 13 लाख रुपए मिला। इसमें से एक करोड़ 70 लाख रुपए इन लोगों ने हरमीत और विजय जैन को दे दिया। इन चारों से पूछताछ में सामने आने वाले तथ्यों के आधार पर और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
भारतमाला प्रोजेक्ट के मुआवजा घोटाला में ईओडब्ल्यू राज्य के तीन आईएएस अफसरों की भूमिका की जांच कर रही है। तीनों आईएएस मुआवजा वितरण के दौरान रायपुर के कलेक्टर रहे। इन आईएएस अफसरों में भारतीदासन, सौरभ कुमार और सर्वेश्वर भूरे शामिल हैं।
इस बीच ईओडब्ल्यू के सूत्रों ने बताया कि इस मामले में संदेही तहसीलदार की पत्नी हरमती खनूजा की पार्टनर है। तहसीलदार शशिकांत कुर्रे की पत्नी का नाम भावना है। दो दिन पहले ईओडब्ल्यू ने कुर्रे के यहां भी छापा मारा था।
ईओडब्ल्यू ने मामले की जांच के लिए 25 अप्रैल को राज्य के अलग-अलग शहरों में करीब 20 स्थानों पर छापा मारा था। नवा रायपुर, भिलाई, दुर्ग, अभनपुर, आरंग, बिलासपुर में ईओडब्ल्यू ने सरकारी और निजी लोगों के यहां दबिश दी थी। इसमें एक एसडीएम के साथ तीन तहसीलदार, तीन पटवारी भी शामिल थे।
सूत्रों के अनुसार ईओडब्ल्यू ने अभी जिन चार लोगों को पकड़ा है वे सभी प्राइवेट लोग हैं। अब इनसे पूछताछ और छापे में मिले दस्तावेजों के आधार पर सरकारी कर्मचारियों की भी गिरफ्तारी होगी। संभव है कि चारों आरोपियों की छह दिन की रिमांड पूरी होने से पहले ही कुछ लोगों को ईओडब्ल्यू गिरफ्तार कर ले।
रायपुर से विशाखापट्टनम तक बन रही इस इकानामी कॉरिडोर का निर्माण एनएचआई करा रहा है। सड़क चौड़ीकरण के लिए प्रोजेक्ट में निजी लोगों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया है। बताया जा रहा है कि जमीन अधिग्रहण के दौरान मुआवजा वितरण में बड़ा खेल हुआ है। एक बड़े खसरे को कई लोगों के नाम पर रजिस्ट्री करके छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट दिया गया। इससे मुआवजा की राशि कई गुना बढ़ गई।