CBI रायपुर। छत्तीसगढ़ के सेवानिवृत्त आईएएस डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा के खिलाफ सीबीआई ने नया एफआईआर दर्ज कर लिया है। इस केस में छत्तीसगढ़ के पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को भी आरोपी बनाया गया है। नई दिल्ली स्थित सीबीआई मुख्यालय में यह एफआईआर 16 अप्रैल को दर्ज किया गया है।
सीबीआई ने यह एफआईआर चार नवंबर 2024 को राज्य के आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) में दर्ज एफआईआर के आधार पर दर्ज की है। बता दें कि यह केस हाल ही में राज्य सरकार ने सीबीआई को ट्रांसफर किया है।
एफआईआर में लिखा है कि information under sec. 66 of PMLA 2002, with regard to large scale scame at Nagrik Apurti Nigam (NAN), Chhattisgarh in CIR/RPZO/01/2019 विषय से संबंधित report और दस्तावेज संलग्न कर भेजे गए।
इस पत्र के माध्यम से बताया गया कि EOW में पंजीबद्ध अपराध क्रमांक 09/2015 और इसके आधार पर प्रवर्तन निदेशालय में पंजीबद्ध ECIR/RPSZO/01/2019 के आरोपी अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला के विरूद्ध आयकर विभाग के द्वारा Income Tax की धारा 132(1) के तहत कुछ डिजिटल सबूत एकत्रित किए गए थे।
इन डिजिटल साक्ष्यों का आकलन करने पर पाया गया कि अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला ने न केवल प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा फंजीबद्ध ECIR/RPSZO/01/2019 की प्रकिया को बाधित करने का प्रयास कर है थे बल्कि छत्तीसगढ़ सरकार के ब्यूरोकेट और संवैधानिक पद पर बैठे अधिकारियों के साथ मिलकर अपराध क्रमांक 09/2015 के ट्रायल जो विशेष न्यायालय रायपुर में विचाराधीन था, को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे थे।
प्रवर्तन निदेशालय के पत्र क्रमांक F.No. ECIR/RPSZO in CIR/RPSZ0/01/2019, दिनांक 02.04.2024 और उससे प्राप्त रिपोर्ट व दस्तावेज और सूचना संकलन से प्राप्त जानकारी का गोपनीय सत्यापन किया गया। गोपनीय सत्यापन पर यह पाया गया कि आलोक शुक्ला 2018 से 2020 तक प्रमुख सचिव के पद पर पदस्थ थे।
अनिल टुटेजा 2019 से 2020 के बीच संयुक्त सचिव के पद पर पदस्थ थे। सतीश चन्द्र वर्मा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में वर्ष 2019 से 2020 तक महाधिवक्ता के पद पर थे, जो लोक सेवक की श्रेणी में आता है।
एफआईआर के अनुसार अनिल टुटेजा व डॉ. आलोक शुक्ला शासन में महत्वपूर्ण पदाधिकारी बन गए थे। इन अधिकारियों का वर्ष 2019 से लगातार सरकार के संचालन निति निर्धारण और अन्य कार्यों में काफी हस्तक्षेप था। दोनों अफसर सरकार के पॉवरफुल अधिकारी थे। सभी महत्वपूर्ण पदों पर ट्रांसफर और पोस्टिंग में इनका सीधा हस्तक्षेप था।
एक तरह से कहा जाए कि छत्तीसगढ़ सरकार की सारी ब्यूरोक्रेसी इनके नियंत्रण में थी तो यह कहना कोई अतिशोक्ति नहीं था। वांछित अधिकारियों को वांछित पदस्थापना भी इनके नियंत्रण में थी। इस कारण राज्य सरकार के महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थ अधिकारियों पर इनका नियंत्रण था।
एफआईआर के अनुसार मामले WhatsApp chats व अटैच दस्तावेजों का गोपनीय सत्यापन के साथ सूचना संकलन पर प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि, वर्ष 2019 से वर्ष 2020 तक लगातार डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा ने सरकार में लोक सेवक के पद पर पदस्थ रहते हुए अपने अपने पदो का दुरुपयोग करते हुए तत्कालीन महाधिवक्ता सतीशचन्द्र वर्मा, को असम्यक लाभ इस आशय से दिया गया कि, वे लोक कर्तव्य को अनुचित रुप से करने के लिए प्रेरित किया, ताकि वह लोक कर्तव्य का कार्यपालन अनुचित रुप से कराया जाए।
साथ मिलकर आपराधिक षड़यंत्र करते हुए EOW में पदस्थ उच्चाधिकारियों के प्रक्रियात्मक और विभागीय कार्यों से संबंधित दस्तावेज व जानकारी में बदलाव करवाते हुए अपने विरुद्ध ईओडब्ल्यू और ईडी में दर्ज प्रकरण में अपने पक्ष में हाईकोर्ट में प्रस्तुत किए जाने वाले जवाबदावा तैयार कराया जिससे उन्हें अग्रिम जमानत मिल सके।
आरोप है कि इसके लिए आरोपियों ने मिलकर गवाहों पर अपने बयान बदलने का दबाव बनाया। EOW में पदस्थ उच्चाधिकारियों से मिलकर अपराध से संबंतिध दस्तावेज, व्हाट्सएप चैट्स के माध्यम से प्राप्त करते हुए अपराध अभियोजन साक्ष्य को प्रभावित किया गया।