CSPDCL रायपुर। छत्तीसगढ़ में बिजली की नई दरें अब तक तय नहीं हो पाई है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बिजली वितरण कंपनी की तरफ से राज्य विद्युत नियामक आयोग को जो टैरिफ प्रस्ताव दिया गया है उसमें कंपनी ने साढ़े चार हजार करोड़ रुपए से अधिक के घाटे की पूर्ति का आग्रह किया गया है। कंपनी ने 367 करोड़ रुपए अतिरक्ति राजस्व की मांग का प्रस्ताव आयोग के सामने रख दिया है।
पावर कंपनी की तरफ से विद्युत नियामक आयोग में एक नई याचिका दाखिल की गई है। इसके जरिये पावर कंपनी ने 367 करोड़ रुपए की मांग की है। कंपनी को यह पैसा स्मार्ट मीटर के लिए चाहिए। कंपनी ने इस राशि को उपभोक्ताओं से सरचार्ज के रुप में वसूलने का प्रस्ताव दिया है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ में स्मार्ट मीटर लगाने का काम तेजी से चल रहा है। एग्रीकल्चर श्रेणी को छोड़कर बाकी सभी उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट मीटर लगाने का काम चल रहा है। अफसरों के अनुसार 367 करोड़ अतिरिक्त राजस्व की जरुरत वाली याचिका पर नए टैरिफ के निर्धारण के दौरान परीक्षण कर निर्णय होगा।
बता दें कि बिजली की नई दरों पर अब सुनवाई मई के बाद ही हो पाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग में सदस्य के दोनों पद खाली हैं। इन पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी कर दिया गया है। नियुक्ति की प्रक्रिया मई तक चलेगी। ऐसे में नए सदस्यों की नियुक्ति के बाद ही टैरिफ पर जन सुनवाई हो पाएगी।
प्रदेश में घरेलू कनेक्शनों में पुराने इलेक्ट्रॉनिक मीटर के बदले स्मार्ट मीटर लगाने का काम तेजी से चल रहा है। अब तक साढ़े 11 लाख से अधिक घरेलू कनेक्शनों में स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। वर्तमान में स्मार्ट मीटर लगाने पर उपभोक्ताओं से किसी भी प्रकार का चार्ज नहीं लिया जा रहा है। बताया गया कि यह निःशुल्क लगेगा, परंतु पिछले दरवाजे से उपभोक्ताओं पर स्मार्ट मीटर लगाने का सरचार्ज लेने की तैयारी हो रही है।
स्मार्ट मीटर पर खर्च होने वाले 367 करोड़ रुपए की मांग करते कंपनी ने रिवाइज पीटिशन दाखिल किया है। पहले दाखिल पीटिशन में 4559 करोड़ रुपए का घाटा बताते हुए उसकी भरपाई टैरिफ से करने का आग्रह आयोग से किया था। अब 367 करोड़ रुपए जोड़ने के बाद 4926 करोड़ रुपए से का अंतर आ गया है।
विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन हेमंत वर्मा ने कहा कि वितरण कंपनी की तरफ से रिवाइज पीटिशन दाखिल की गई है। इसमें स्मार्ट मीटर के सरचार्ज के लिए 367 करोड़ रुपए की मांग की गई है। याचिका का परीक्षण करने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा। अभी याचिकाओं पर जनसुनवाई भी होनी है।