CSPDCL रायपुर। छत्तीसगढ़ की सरकारी बिजली कंपनी को सरकार ही दिवालिया बनाने पर तुली हुई है। 21 हजार करोड़ रुपये के वार्षिक टर्न ओवर वाली राज्य की बिजली वितरण कंपनी का राज्य सरकार पर बकाया 10 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। यह बकाया सरकारी विभागों के साथ ही राज्य सरकार की तरफ से विभिन्न योजना के तहत दी जा रही सब्सिडी का है। इससे पावर कंपनी पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है।
पावर कंपनी पर मंडरा रहे इस खतरे से चिंतित छत्तीसगढ़ रिटायर्ड पावर इंजीनियर्स-ऑफिसर्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखा है। बता दें कि यह एसोसिएशन राज्य बिजली मंडल/उत्तरवर्ती बिजली कंपनियों से सेवा निवृत्त इंजीनियर्स/आफिसर्स का संगठन है जो व्यापक राज्य हित में निष्पक्ष और निर्भीक राय देने के लिए प्रतिबद्ध है। एसोसिएशन के अध्यक्ष एमजी ओक ने सीएम को लिखे पत्र में कहा है कि किसी भी व्यक्ति या संस्था के स्वास्थ्य और विकास की दृष्टि से यह अत्यावश्यक है कि उसको आवश्यक जीवन तत्व समय से और पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हों।
राज्य बिजली वितरण कंपनी इस सार्वभौमिक नियम का अपवाद नहीं है। आज की तारीख में बिजली का कोई विकल्प नहीं है ऐसे में बिजली वितरण कंपनी का स्वस्थ्य होना और निरंतर विकास की ओर अग्रसर होना राज्य के विकास की दृष्टि से पहली और सबसे मूलभूत आवश्यकता है।
इसी दृष्टि से एसोसिएशन आपका ध्यान एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण विषय पर आकर्षित करना चाहता है। वर्तमान में राज्य बिजली कंपनी को शासन से अपेक्षित देयक लगभग 10 हजार करोड़ से अधिक के हो गया है। लगभग 21 हजार करोड़ रुपये वार्षिक राजस्व वाली कंपनी के लिए इतने बिलों का लंबित होना न केवल चिंतनीय है, वरन अव्यावहारिक है।
बिजली का प्रयोग राज्य शासन के विभिन्न विभाग नियमित रूप से करते हैं, लेकिन समय पर बिजली बिलों का भुगतान नहीं करते। इससे बकाया राशि निरंतर बढ़ती जाती हैं। नवंबर 2024 कि स्थिति में कुल बकाया राशि लगभग 2290 करोड़ रुपये थी। इसमें से लगभग 1378 करोड़ नगरीय निकाय विभाग द्वारा ही देय थी। इसके अतिरिक्त पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा देय राशि लगभग 472 करोड़ की एवं स्कूल शिक्षा / चिकित्सा विभाग / लोक स्वास्थ्य विभाग में से प्रत्येक द्वारा देय राशि लगभग 80 करोड़ है।
कृषक जीवन ज्योति योजना के अंतर्गत निःशुल्क बिजली प्रदाय के लिए शासन से प्राप्त होने वाली राशि- राज्य शासन द्वारा 5 हार्स पॉवर बिजली पंप पर निर्धारित सीमा तक निःशुल्क बिजली प्रदाय की योजना 02 अक्टुबर 2009 से प्रभावशील है।
इस योजना का विस्तार करते हुए 19 सितंबर 2013 से फ्लैट रेट के विकल्प के आधार पर बिजली सप्लाई प्राप्त करने का प्रावधान लागू किया गया है। फ्लैट रेट का विकल्प चुनने वाले किसानों पर प्रतिवर्ष खपत की कोई सीमा लागू नहीं होती है।
परंतु राज्य शासन द्वारा दी गई सब्सिडी में मात्र 6000/7500 यूनिट (3/5 एच.पी. पंप) गणना की गई। इस संबंध में बिजली वितरण कंपनी द्वारा वास्तविक खपत के आधार पर अतिरिक्त राशि भुगतान के लिए समय-समय पर मांग की गई जो कि अभी भी लंबित हैं। 31 मार्च 2024 की स्थिति में इस तरह से लंबित राशि (ब्याज सहित) लगभग 5260 करोड़ रुपये हो गई थी।
राज्य शासन द्वारा विभिन्न योजनाओं के मद मे देय राशि में से अप्राप्त भुगतान -राज्य शासन द्वारा विभिन्न उद्देश्यों से समय-समय पर अलग-अलग वर्गों के लिए टैरिफ संबंधित निर्णय लिए गए। परंतु उनके कारण वितरण कंपनी को होने वाले घाटे की प्रतिपूर्ति के लिए देय राशि का पूर्ण भुगतान अभी तक प्राप्त नहीं हुआ हैं। इस संबंध में बिंदुवार विवरण निम्ननुसार है:-
> वर्ष 2024-25 में लागू टैरिफ दरों में बहुत ज्यादा वृद्धि न हो इस के लिए 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान राज्य शासन द्वारा किया गया था। परंतु अभी तक लगभग 250 करोड़ का ही भुगतान वितरण कंपनी को मिल पाया है।
> इसी तरह से एकल बत्ती के लिए 540 करोड़ का प्रावधान था, परंतु अभी तक रू. 417 करोड़ का ही भुगतान प्राप्त हुआ है।
> हाफ बिजली योजना के अंतर्गत वर्ष 2024-25 में वितरण कंपनी को राज्य शासन से प्राप्त होने वाली राशि लगभग 1340 करोड़ है, जिसके विरूद्ध 985 करोड़ का ही भुगतान प्राप्त हुआ है।
> इसी तरह से किसानों को दी जाने वाली मुफ्त बिजली के विरूद्ध वितरण कंपनी को लगभग 4200 करोड़ की मांग राशि के विरूद्ध लगभग 2700 करोड़ भी प्राप्त हुये हैं। इस तरह से विभिन्न योजनाओं के लिए घोषित प्रतिबद्धता के विरूद्ध बकाया राशि ही लगभग रू. 2200 करोड़ से अधिक है।
यह भी कि बिंदु क्रमांक 01 से 03 तक के समस्त मदों पर कुल लगभग. 9800 रुपये करोड़ बकाया है जिसका भुगतान 31 मार्च के पूर्व कराया जाना अत्यावश्यक है।
साथ ही आगामी वर्ष के बजट में पर्याप्त राशि का समुचित प्रावधान (लगभग 8600 करोड़ रुपये, टैरिफ सब्सिडी के अतिरिक्त) नियमित मासिक भुगतान की व्यवस्था के साथ किया जाए।
राज्य में बिजली क्षेत्र के सतत् और समग्र विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है कि राज्य बिजली वितरण कंपनी के बिलों का पूर्ण और समय पर भुगतान प्राप्त हो। वितरण ‘कंपनी को समय पर राजस्व प्राप्त न होने पर न केवल वितरण कंपनी के वित्तीय प्रबंधन एवं कार्य निष्पादन पर विपरित प्रभाव पड़ता है वरन् वितरण कंपनी द्वारा राज्य बिजली उत्पादन कंपनी एवं राज्य बिजली पारेषण कंपनी को देय राशि का भुगतान भी नहीं हो पाता है। जिसके कारण उक्त दोनों कंपनियां कागज पर लाभ होने पर भी नगद प्रवाह के संकट से प्रभावित होती है। यह स्थिति राज्य के लिए उचित नहीं है।
सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह कि आज राज्य की विद्युत व्यवस्था के उन्नयन और सुचारु संचालन के लिए यह अत्यावश्यक है कि केंद्र शासन की आर डी एस एस योजना में राज्य की सहभागिता बनी रहे। योजना की शर्तों के अनुसार यह जरुरी है कि राज्य शासन द्वारा देय राशि का भुगतान राज्य विद्युत वितरण कंपनी को समय से प्राप्त हो। ऐसा न होने पर ने केवल राज्य को प्राप्त होने वाली केंद्रीय सहायता बाधित हो जाएगी वरन राज्य की छवि राष्ट्रिय स्तर धूसरित होगी। हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया” के मूल मंत्र पर पर विश्वास करने वाला आपका शासन ऐसा कतई नहीं होने देगा।
ओक ने लिखा है कि इस परिपेक्ष में एसोसिएशन आपसे विनम्र अनुरोध करता है कि राज्य के दूरगामी हितों के दृष्टिगत कृपया आगामी बजट में उपरोक्त समस्त बकाया राशि के भुगतान और आगामी वर्ष में नियमित भुगतान के लिए पर्याप्त राशि का प्रावधान किये जाने के लिए समुचित निर्देश प्रसारित करने का कष्ट करें।
हमें आशा ही नहीं विश्वास भी है कि आपके नेतृत्व में राज्य का बिजली क्षेत्र निरंतर विकास करेगा और समग्र विकास की राह प्रकाशित होगी।