नीलामी नहीं, अब मछली पालन के लिए 10 वर्षीय पट्टे पर दिए जाएंगे तालाब और जलाशय

schedule
2022-11-21 | 14:48h
update
2022-11-21 | 14:48h
person
chaturpost.com
domain
chaturpost.com
नीलामी नहीं, अब मछली पालन के लिए 10 वर्षीय पट्टे पर दिए जाएंगे तालाब और जलाशय 1 min read

रायपुर। chaturpost.com (चतुरपोस्ट.कॉम)

राज्य में मछली पालन के लिए अब तालाबों और सिंचाई जलाशयों की अब नीलामी नहीं की जाएगी, बल्कि 10 साल के पट्टे पर दिए जाएंगे। तालाब और जलाशय के आवंटन में सामान्य क्षेत्र में ढ़ीमर, निषाद, केंवट, कहार, कहरा, मल्लाह के मछुआ समूह और मत्स्य सहकारी समिति को व अनुसूचित जनजाति अधिसूचित क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति वर्ग के मछुआ समूह और मत्स्य सहकारी समिति को प्राथमिकता दी जाएगी।

मछुआरा सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने की घोषणा

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में आज विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर रायपुर के साईंस कॉलेज परिसर स्थित डीडीयू ऑडिटोरियम में आयोजित मछुआरा सम्मेलन में कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने छत्तीसगढ़ राज्य की नई मछली पालन नीति में मछुआरा के हितों को ध्यान में रखते हुए संशोधन किए जाने की घोषणा की। मछली पालन नीति में संशोधन की यह घोषणा कैबिनेट के अनुमोदन की प्रत्याशा में की गई। आगामी कैबिनेट बैठक में नई मछली पालन नीति में संशोधन प्रस्ताव को मंजूर मिलने की उम्मीद है।

मछली पालन के लिए नीलामी करने के बजाय लीज पर देने का फैसला

मंत्री चौबे ने कहा कि मछुआ समुदाय के लोगों की मांग और उनके हितों को संरक्षित करने के उद्देश्य से मछली पालन नीति में तालाब और जलाशयों को मछली पालन के लिए नीलामी करने के बजाय लीज पर देने के साथ ही वंशानुगत-परंपरागत मछुआ समुदाय के लोगों को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया है। तालाबों और सिंचाई जलाशयों के जलक्षेत्र आबंटन सीमा में 50 फीसद की कमी कर ज्यादा से ज्यादा मछुआरों को रोजी-रोजगार से जोड़ने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि प्रति सदस्य के मान से आबंटित जलक्षेत्र सीमा शर्त घटाने से लाभांवित मत्स्य पालकों की संख्या दोगुनी हो जाएगी।

Advertisement

मछली पालन नीति में सरकार कर रही है बदलाव

नई मछली पालन नीति में प्रस्तावित संशोधन के अनुसार मछली पालन के लिए तालाबों और सिंचाई जलाशयों की अब नीलामी नहीं की जाएगी, बल्कि 10 साल के पट्टे पर दिए जाएंगे। तालाब और जलाशय के आबंटन में सामान्य क्षेत्र में ढ़ीमर, निषाद, केंवट, कहार, कहरा, मल्लाह के मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति को तथा अनुसूचित जनजाति अधिसूचित क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति वर्ग के मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति को प्राथमिकता दी जाएगी। मछुआ से तात्पर्य उस व्यक्ति से है, जो अपनी अजीविका का अर्जन मछली पालन, मछली पकड़ने या मछली बीज उत्पादन का कार्य करता हो, के तहत वंशानुगत-परंपरागत धीवर (ढ़ीमर), निषाद (केंवट), कहार, कहरा, मल्लाह को प्राथमिकता दिया जाना प्रस्तावित है।

तालाब आवंटन के नियम में भी बदलाव

इसी तरह मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति अथवा मछुआ व्यक्ति को ग्रामीण तालाब के मामले में अधिकतम एक हेक्टेयर के स्थान पर आधा हेक्टेयर जलक्षेत्र तथा सिंचाई जलाशय के मामले में चार हेक्टेयर के स्थान पर दो हेक्टेयर जलक्षेत्र प्रति सदस्य/प्रति व्यक्ति के मान से आवंटित किया जाएगा। मछली पालन के लिए गठित समितियों का ऑडिट अभी तक सिर्फ सहकारिता विभाग द्वारा किया जाता था। प्रस्तावित संशोधन में सहकारिता एवं मछली पालन विभाग की संयुक्त टीम ऑडिट की जिम्मेदारी दी गई है।

अवैध कॉलोनाइजरों के खिलाफ होगा एफआईआर मुख्यमंत्री ने दिए सख्त निर्देशAMP

मछली पालन के लिए आवंटन का अधिकार

त्रि-स्तरीय पंचायत व्यवस्था अंतर्गत शून्य से 10 हेक्टेयर औसत जलक्षेत्र के तालाब एवं सिंचाई जलाशय को 10 वर्ष के लिए पट्टे पर आवंटित करने का अधिकार ग्राम पंचायत का होगा। जनपद पंचायत 10 हेक्टेयर से अधिक एवं 100 हेक्टेयर तक, जिला पंचायत 100 हेक्टेयर से अधिक एवं 200 हेक्टेयर औसत जलक्षेत्र तक, मछली पालन विभाग द्वारा 200 हेक्टेयर से अधिक एवं 1000 हेक्टेयर औसत जलक्षेत्र के जलाशय, बैराज को मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति को पट्टे पर देगा। नगरीय निकाय अंतर्गत आने वाले समस्त जलक्षेत्र नगरीय निकाय के अधीन होंगे, जिसे शासन की नीति के अनुसार 10 वर्ष के लिए लीज पर आबंटित किया जाएगा।

Advertisement

Imprint
Responsible for the content:
chaturpost.com
Privacy & Terms of Use:
chaturpost.com
Mobile website via:
WordPress AMP Plugin
Last AMPHTML update:
11.11.2024 - 03:50:34
Privacy-Data & cookie usage: