Power company रायपुर। छत्तीसगढ़ की सरकारी पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने दो दिन पहले (17 दिसंबर) एक आदेश जारी किया। इसे देखते ही तीनों पावर कंपनियों के अफसरों और कर्मचारियों के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ गई, लेकिन आर्डर समझते ही कर्मचारियों के चहरे पर फिर वही उदासी छा गई। क्योंकि कंपनी प्रबंधन के इस आदेश से फायदा केवल अफसरों और इंजीनियरों को होगा।
ट्रांसमिशन कंपनी का यह आर्डर पावर कंपनियों में प्रमोशन को लेकर है। यहां यह बताते चले कि पावर कंपनियों में बीते छह महीने से प्रमोश की प्रक्रिया रुकी हुई है। पदोन्नति के लिए अफसर और कर्मचारी लगातार संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में ट्रांसमिशन कंपनी के इस आर्डर को कर्मचारियों के छह महीने के संघर्ष की जीत बताया गया, लेकिन कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि यह केवल अफसरों और इंजीनियरों के फायदे के लिए निकाला गया है। इसमें तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की पदोन्नति की बात ही नहीं है।
बिजली कंपनी के जानकारों के अनुसार दरअसल दिसंबर अफसरों की पदोन्नति का समय है। इसी वजह से यह आर्डर जारी किया गया है। इस आदेश के आधार पर अफसरों की पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। आर्डर में कमेटी बनाने की भी बात कही गई है। कर्मचारी नेताओं का आरोप है कि यह कमेटी पदोन्न्ति का मामला कोर्ट में चुनौती दिए जाने की स्थिति में बचाव के साथ ही तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को टालने के लिए बनाने की घोषणा की गई है।
Power company इस सब क्रियाकलाप में तृतीय-चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का क्या होगा इसे कहीं इंगित नहीं किया गया, क्योंकि वर्ष 2000 से 2018 तक क्षेत्रीय स्तर पर तृतीय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का पदोन्नति किया जाता था। न्यायालय द्वारा 2004 की पदोन्नति नीति को ही खारिज करने से उत्पन्न स्थिति के बाद कंपनी के जवाबदारों द्वारा संबंधित कंपनियों या क्षेत्रीय कार्यालयों को उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में क्या और कैसे किया जाना है इस संबंध में कोई निर्देश जारी नहीं किए गए। न ही तीनों ही कंपनियों के HR विभाग ने इस संबंध में आपस में कोई समन्वय ही स्थापित किया जिससे पूरे क्षेत्रीय मुख्यालय में शून्यता की स्थिति बन गई। बताया जाता है कि मुख्यालय द्वारा आगामी आदेश तक वरीयता सूची न बनाने की मौखिक निर्देश दिए गए जिससे सारा काम स्थगित रह गया।
Power company बिजली कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय पदाधिकारी अरुण देवांगन ने पदोन्नति संबंधी निर्देश की शून्यता की वज़ह से तृतीय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को बगैर पदोन्नति सेवानिवृत्त होने या आगामी दिनों में भी 20 वर्ष के रिकॉर्ड को दुरुस्त करने के संबंध में कोई उचित निर्देश नहीं दिया गया है जो कि दुर्भाग्य जनक है। साथ ही मांग किया गया है कि जब तक तृतीय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के वरिष्ठता सूची को न्यायिक आदेश के अनुरूप अंतिम रूप नहीं दिया जाता तब तक प्रथम और द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों के पदोन्नति प्रकरण भी लंबित रखे जाएं। साथ ही सभी श्रेणी के अधिकारियों कर्मचारियों के पदोन्नति आदेश एक साथ जारी किए जाएं।