Sai Cabinet रायपुर। छत्तीसगढ़ में कैबिनेट विस्तार को लेकर चर्चा गरम है। नियमानुसार छत्तीसगढ़ की कैबिनेट में अभी केवल दो मंत्रियों की कुर्सी खाली है, लेकिन हरियाणा की तर्ज पर यहां भी तीन नए मंत्री बनाए जाने की चर्चा चल रही है।
बता दें कि हरियाणा विधानसभा भी 90 सदस्यीय है, लेकिन वहां मुख्यमंत्री के अलावा कैबिनेट में 13 और मंत्री हैं। यानी वहां मंत्रिमंडल में शामिल कुल मंत्रियों की संख्या 14 है। इसी आधार पर कहां जा रहा है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा भी 90 सदस्यीय है तो यहां भी हरियाणा की तरह 13 मंत्री बनाए जाने चाहिए।
किसी भी राज्य के मंत्रिमंडल में कितने सदस्य यानी मंत्री शामिल किए जाएंगे इसका कानून बना हुआ है। भारतीय संविधान में यह व्यवस्था 91वें संशोधन के जरिये जोड़ा गया है। संविधान के 91वें संशोधन में यह व्यवस्था दी गई है कि किसी भी राज्य में उसकी विधानसभा के कुल सदस्य संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक मंत्री नहीं बनाए जा सकते हैं। ऐसे में अगर किसी राज्य की विधानसभा में विधायकों की संख्या 100 है तो वहां मुख्यमंत्री सहित 15 मंत्री बनाए जा सकते हैं।
संविधान के 91वें संशोधन के अनुसार मंत्रिमंडल में विधानसभा की कुल सदस्य संख्या के 15 प्रतिशत ही शामिल किए जा सकते हैं। इस आधार पर छत्तीसगढ़ में यह प्रतिशत 13.5 होता है। इसी वजह से यह संशय की स्थिति बनी रहती है कि यहां 13 मंत्री बनेंगे या 14। हरियाणा ने इसी का फायदा उठाते हुए कैबिनेट में सीएम के बाद 13 मंत्रियों को शामिल कर लिया गया है। वहीं, छत्तीसगढ़ में अब तक केवल 13 ही मंत्री बनाए जाते रहे हैं।
कैबिनेट में 13 मंत्रियों को शामिल करके हरियाणा सरकार कानूनी उलझन में फंस गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता जगमोहन भट्टी ने राज्य सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 जनवरी की तारीख तय की गई है।
इससे पहले भी हरियाणा में 13 मंत्री बनाए थे, तब भी मामला हाईकोर्ट पहुंचा था। हरियाणा की 13वीं और 14वीं विधानसभा के दौरान कैबिनेट में सीएम के बाद 13 और मंत्री शामिल किए गए थे। तब भी मामला हाईकोर्ट पहुंचा था। इसी वजह से फिलहाल छत्तीगसढ़ में दो ही नए मंत्री शामिल किए जाने की संभावना है। जानकारों के अनुसार हरियाणा- पंजाब हाईकोर्ट का फैसला यदि 13वें मंत्री के पक्ष में आता है तो यहां भी एक और मंत्री को कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है।
छत्तीसगढ़ में भी 15 प्रतिशत के आधार पर आने वाली 13.5 की संख्या को 14 मानने पर काफी चर्चा और बहस हो चुकी है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान विधानसभा ने 15 प्रतिशत के आंकड़े का बढ़ाने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा था। तत्कालीन सरकार का तर्क था कि राज्य में तेजी से विकास हो रहा है। नए- नए सेक्टर जुड़ रहे हैं ऐसे में मंत्रियों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। हालांकि राज्य विधानसभा से पारित इस प्रस्ताव पर केंद्र सरकार की तरफ से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
मंत्रिमंडल के आकार को लेकर 91वां संविधान संशोधन 2004 में लागू हुआ, उससे पहले मंत्रिमंडल के आकार को लेकर कोई बाध्यता नहीं थी। तब छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार थी, जो 2003 में पहली बार प्रदेश की सत्ता में आई थी। तब डॉ. रमन के मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत 18 मंत्री थे। संविधान संशोधन लागू होने के बाद डॉ. रमन सिंह को अपने पांच मंत्रियों का इस्तीफा लेना पड़ा था। इसके बाद राज्य में संसदीय सचिव बनाए जाने की परंपरा शुरू हुई।