Power रायपुर। प्रदेश और देश में तेज विकास और विकसित भारत के निर्माण की पहली शर्त पर्याप्त बिजली की उपलब्धता और बिजली की आपूर्ति की विश्वसनीयता होगी। यह लक्ष्य हासिल करने के लिए नई टेक्नोलॉजी को अपनाने की चुनौती भी है। जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता समाप्त करने के लिए नवाचार की आवश्यकता है। साथ ही डेटा सुरक्षा व साइबर सुरक्षा को नई चुनौतियों के रूप में देखा जाना चाहिए। उक्ताशय के विचार ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव तथा छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनीज के अध्यक्ष सुबोध कुमार सिंह ने ‘नेशनल सस्टेनेबल एनर्जी इनोवेशन कॉन्क्लेव’ में व्यक्त किए।
इस कॉन्क्लेव का आयोजन रायपुर में एक स्वतंत्र मीडिया संस्था द्वारा किया गया था। जिसमें भारत सरकार की विभिन्न संस्थाओं, विभिन्न राज्यों के ऊर्जा विभाग के प्रतिनिधि तथा निजी संस्थाएं शामिल हुए। इस अवसर पर सुबोध कुमार सिंह ने कहा कि बिजली के बिना भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की कल्पना नहीं कर सकते। जिस गति से बिजली की प्रति व्यक्ति खपत बढ़ रही है, उसी तेजी से हमें बिजली के उत्पादन, पारेषण और वितरण प्रणाली को बढ़ाना होगा।
हमें नई तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए बिजली की लागत में कमी करने काम करना होगा। चेयरमैन सिंह ने कहा कि जहां तक छत्तीसगढ़ का सवाल है तो हम छत्तीसगढ़ में 10 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ाने की योजना पर कार्य कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी राष्ट्रीय संयुक्त उपक्रमों के सहयोग से यह लक्ष्य पूरा करेगी। निजी क्षेत्र को भी यहां बहुत अवसर है। प्रदेश में उत्पादन से लेकर पारेषण और वितरण क्षेत्र की क्षमता बढ़ाने के लिए दो लाख करोड़ रूपए का निवेश होगा।
हम वैकल्पिक उत्पादन हेतु सौर ऊर्जा, पंप स्टोरेज प्लांट और बैटरीज स्टोरेज प्लांट की ओर मजबूती से कदम बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना, पीएम कुसुम जैसी योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू करना होगा। क्रेडा के सीईओ राणा ने कहा कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हमने कृषि पंपों के ऊर्जीकरण में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। भविष्य में हम सोलर विलेज बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं।
उत्पादन कंपनी के प्रबंध निदेशक एसके कटियार ने विद्युत उत्पादन की नई परियोजनाओं की जानकारी दी। साथ ही उत्पादन परियोजनाओं की चुनौतियों के संबंध में विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने विषय विशेषज्ञों से समस्याओं के हल के संबंध में विमर्श तेज करने की अपील की ताकि न्यूनतम समय में नए बिजलीघर स्थापित किए जा सके और उनमें अक्षय स्त्रोतों की प्रमुखता हो।
पारेषण कंपनी के प्रबंध निदेशक राजेश कुमार शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के समय से लेकर अब तक पारेषण ट्रांसफॉर्मरों की क्षमता 7 गुना से अधिक बढ़ गई है। वर्तमान में हमारी पारेषण प्रणाली काफी मजबूत है, इसे और सुदृढ़ करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक भीमसिंह कंवर ने कहा कि आज सुबह हमारी पीक डिमांड 6000 मेगावाट को पार कर गई, जिसमें हमने कुशलतापूर्वक आपूर्ति करने में सफलता प्राप्त की। हमें भविष्य की जरूरत के अनुसार अपनी क्षमता विस्तार करने होगा ताकि उपभोक्ताओं तक 24 घंटे निर्बाध विद्युत आपूर्ति हो सके।
कॉन्क्लेव में विद्युत मंत्रालय भारत सरकार, सीईए, राज्य विद्युत विनियामक आयोग, एनटीपीसी, आरईसी, एसजेवीएन के साथ ही तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, आंध्रप्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, ओडीशा राज्यों की राज्य पॉवर कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हुए। पांच सत्रों में विषय विशेषज्ञों ने चर्चा की।
जिसमें नवीकरणीय एवं टिकाऊ ऊर्जा (रिन्यूएबल एंड सस्टेनेबल एनर्जी), विद्युत उत्पादन क्षेत्र की चुनौतियों पर प्रबंध निदेशक एसके कटियार ने पैनल डिस्कशन किया। इसमें सीईएससीएल प्रबंध निदेशक (उत्पादन) के बृजेश सिंह, नेशनल पॉवर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की महानिदेशक डॉ. तृप्ता ठाकुर एवं केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के पूर्व सदस्य एमएलपीके सिंह ने भाग लिया। उन्होंने विद्युत उत्पादन की लागत में कमी लाने और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में हो रहे नवाचार पर बात रखी।
इसी तरह डिजिटल ट्रांसफार्मेशन इन संस्टेनेबल इंफ्रास्ट्रक्चर फ्रॉम डाटा, सायबर सिक्युरिटी, भारत में ट्रांसमिशन एवं डिस्ट्रीब्यूशन प्रणाली तथा ऊर्जा क्षेत्र में वित्तीय एवं विनिवेश पर भी चर्चा हुई, जिसमें दुबई से आए साइबर एक्सपर्ट निखिल महादेश्वर, एनर्जी एफिसिएंसी सर्विस के वेद प्रकाश डिंडौरे सहित अन्य विषय विशेषज्ञों ने चर्चा की। एपेक मीडिया की संघमित्रा मोहंती ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किया। आभार प्रदर्शन पॉवर कंपनी के अतिरिक्त महाप्रबंधक (जनसंपर्क) उमेश कुमार मिश्रा ने किया।