CG Scam: रायपुर। छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में हुए कथित घोटालों की जांच एक-एक कर सीबीआई को सौंपी जा रही है। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशाल ईडी और राज्य सरकार की एजेंसी ईओडब्ल्य-एसीबी पहले ही इन मामलों की जांच कर रही है। अब राज्य सरकार ने एक और मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। जांच सीबीआई को सौंपने के संबंध में गृह विभाग ने गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसके अनुसार ईओडब्ल्यू-एसीबी में दर्ज अपरध क्रमांक 49/ 2024 को सीबीआई को सौंपने और इसकी जांच के लिए सीबीआई को पूरे राज्य में करने का अधिकार दिया गया है।
राज्य सरकार की एजेंसी एसीबी- ईओडब्ल्यू में दर्ज एफआईआर क्रमांक 49/ 2024 राज्य में हुए कथित आबकारी घोटाला से जुड़ा है। यह एफआईआर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7,7A, 8, 13(2) और IPC की धारा 182, 211, 193,195ए, 166A और 120-B के तहत दर्ज है। यह एफआईआर एजेंसी ने इसी वर्ष 4 नवंबर को दर्ज किया था।
यह एफआईआर ईओडब्ल्यू- एसीबी ने 4 नवंबर 2024 को दर्ज किया था। यह मामला राज्य में हुए नागरिक आपूर्ति निगम (एनएएन) घोटाला से जुड़ा है। इसमें पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला और पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा नाम है। इन पर कांग्रेस सरकार के दौरान नान घोटाला की सुनवाई में कथित रूप से हस्तक्षेप करने का आरोप है। ईओडब्ल्यू- एसीबी में दर्ज एफआईआर के अनुसार पूरा मामल 2019-20 के दौरान का है।
तब डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा ने पद का दुरुपयोग करते हुए जमानत हासिल की। इसके लिए उन्होंने न केवल साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ किया बल्कि महाधिक्ता सतीश चंद्र वर्मा को अनुचित लाभ पहुंचाया। आरोपियों पर गवाहों पर बयान बदलने के लिए दबाव डालने का भी आरोप लगा है।
छत्तीसगढ़ में काग्रेस सरकार के दौरान राशन वितरण में गड़बड़ी का आरोप लगा है। इस मामले में करीब 13 हजार 301 करोड़ के राशन मे गड़बड़ी का आरोप है। इसके जरिये छह सौ करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है। यह आंकड़ा एक हजार करोड़ रुपये तक का हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में आरोपी बनाए जाने के बाद से पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा लगातार अग्रिम जमानत की कोशिश कर रहे हैं। निचली अदालत के बाद हाईकोर्ट की सिंगल बैंच अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर चुका है। अब मामला डीबी के विचाराधीन है। बता दें कि इससे पहले राज्य सरकार शराब घोटाला का मामला भी सीबीआई को सौंप चुकी है।