CSPDCL रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकारी बिजली कंपनी में ट्रांसफर नीति का पालन नहीं करने और ट्रांफसर में मनमानी के आरोप लगते रहे हैं। इसके बावजूद कंपनी प्रबंधन सचेत नहीं हो रहा है। कंपनी में ट्रांसफर को लेकर फिर एक विवाद खड़ा हो गया है। इस बार ट्रांसफर में कंपनी प्रबंधन की तरफ से ऐसी चूक हुई है,जिसके लिए प्रबंधन को कोर्ट में जवाब देना पड़ सकता है।
दरअसल, कंपनी प्रबंधन ने फिर एक बार नियमों को ताक पर रखकर एक ऐसे इंजीनियर का ट्रांसफर कर दिया है जो तीन महीने बाद रिटायर होने वाले हैं। कंपनी के आदेश का पालन करते हुए इंजीनियर ने नए स्थान पर चार्ज ले लिया है, लेकिन कंपनी प्रबंधन के इस फैसले के खिलाफ वे कोर्ट जाने की तैयारी में है।
यह पूरा मामला बिजली वितरण कंपनी के कार्यपालन अभियंता (EE) के ट्रांसफर से जुड़ा है। राजनांदगांव में पदस्थ कार्यपालन अभियंता बीरबल कुमार उइके का ट्रांसफर डोंगरगढ़ किया गया। वहीं डोंगरगढ़ में पदस्थ ईई पीके साहू का ट्रांसफर उनके स्थान पर राजनांदगांव कर दिया गया। यह आदेश कंपनी प्रबंधन की तरफ से 17 जनवरी 2025 को जारी किया गया था। इंजीनियर साहू इसी साल जुलाई में सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
इस वर्ष सेवानिवृत्त होने वालों की कंपनी प्रबंधन की तरपु से जारी सूची। इसमें इंजीनियर पीके साहू का नाम 20वें नंबर पर है।
बताया जा रहा है कि जनवरी में ट्रांसफर आदेश जारी होते ही प्रबंधन को इस बात की सूचना दी गई कि इंजीनियर साहू जुलाई में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। नियमानुसार उनका ट्रांसफर नहीं करना चाहिए। सूत्रों के अनुसार इसके बाद प्रबंधन ने मौखिक रुप से ट्रांसफर आर्डर होल्ड कर दिया। कहा गया कि इंजीनियर साहू के सेवानिवृत्त होने के बाद उइके पदभार ग्रहण करेंगे।
इस बीच कंपनी प्रबंधन की तरफ से अप्रैल में ट्रांसफर आर्डर का पालन नहीं होने पर सवाल- जवाब शुरू कर दिया गया और तुरंत दोनों इंजीनियर साहू को नए स्थान पर पदभार ग्रहण करने का निर्देश जारी कर दिया गया। इंजीनियर उइके 16 अप्रैल को डोंगरगढ़ पहुंचे और इंजीनियर साहू से चार्ज ले लिया।
सेवानिवृत्त होने के तीन महीने पहले ट्रांसफर किए जाने पर अभियंता कल्याण संघ ने सवाल खड़ा किया है। संघ के अध्यक्ष इंजीनियर एनआर छीपा ने कहा कि कंपनी का नियम है कि सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारी- कर्मचारी का सेवा के अंतिम वर्ष में ट्रांसफर नहीं किया जाता। इसके बावजूद कंपनी प्रबंधन ने इंजीनियर साहू का रिटायरमेंट से महज तीन महीने पहले ट्रांसफर कर दिया है। साहू संघ के संस्थापक सदस्य हैं, ऐसे में संघ इस मामले को लेकर हाईकोर्ट जाएगी और कंपनी के इस फैसले को चुनौती देगी।
बता दें कि कंपनी की ट्रांसफर नीति में मनमानी को लेकर लगातार असंतोष सामने आ रहा है। तबादलों में मनमानी को लेकर कर्मचारी संगठनों की तरफ से समय- समय पर विरोध दर्ज कराया जाता है। इतना ही नहीं कई बार लेटरबाजी भी हो चुकी है। हाल ही में कंपनी के एक सेवानिवृत्त अधिकारी का लेटर वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने जीएम फाइनेंस के पद साल से एक ही अफसर को पदस्थ रखने पर सवाल खड़ा किया था। इससे पहले इंजीनियरों के ट्रासंफर उगाही और मनमानी को लेकर भी एक लेटर वायरल हुआ था।