Female Supervisor: महिला पर्यवेक्षकों का आंदोलन: एक मांग के लिए 30 साल से चल रहा संघर्ष, अब सब्र दे रहा जवाब  

schedule
2024-08-31 | 05:22h
update
2024-08-31 | 05:24h
person
chaturpost.com
domain
chaturpost.com
Female Supervisor: महिला पर्यवेक्षकों का आंदोलन: एक मांग के लिए 30 साल से चल रहा संघर्ष, अब सब्र दे रहा जवाब   1 min read

Female Supervisor: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में महिला एवं बाल विकास विभाग में काम कर रहीं महिला पर्यवेक्षक 3 सितंबर को नवा रायपुर में धरना प्रदर्शन करने जा रही है। पर्यवेक्षक कल्याण संघ प्रांताध्‍यक्ष ऋतु परिहार ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में महिला एवं बाल विकास विभाग में कार्यरत पर्यवेक्षकों को कार्यानुसार गरिमामयी वेतन ना दिया जाना अन्यायपूर्ण हैं।

जानिए..क्‍या करती हैं महिला पर्यवेक्षक

पर्यवेक्षक केन्द्र शासन की महिला एवं बाल विकास विभाग की महत्वपूर्ण योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना में पात्र हितग्राहियों को लाभन्वित कराना, प्रधानमंत्री श्रम योगी योजना में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व आंगनबाड़ी सहायिकाओं के साथ-साथ अन्य महिलाओं को पंजीयन के लिए प्रेरित सहित अन्‍य काम करती हैं।

राज्‍य की महतारी वंदन योजना में भी बड़ी भूमिका

छत्‍तीगसढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना महतारी वंदन योजना के अंतर्गतयोजना का का लाभ अंतिम पात्र महिला तक पहुंचाने पर्यवेक्षकों द्वारा अथक परिश्रम किया गया है। इससे  प्रदेश में लगभग 70 लाख पात्र महिलाओं को लाभान्वित किया जा रहा है। बच्चों के पोषण स्तर की जानकारी के लिए पोषण ट्रैकर एप में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से प्रविष्टि कराना, शिक्षा और महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य और उन्हें सशक्त बनाने के लिए बेहतर कार्य करने में हम अग्रणी होने के साथ-साथ अन्य विभागों को भी कार्याधार प्रदान करते हैं।

Female Supervisor: जानिए…महिला पर्यवेक्षकों की क्‍या है मांग

प्रांताध्‍यक्ष ऋतु परिहार  और सचिव जय श्री साहू के अनुसार विष्‍णुदेव साय की सरकार महिलाओं के सम्मान और सशक्तिकरण का संकल्प लिया है। इस संकल्प के संदर्भ में हम आशान्वित है कि 30 वर्षों से चली आ रही हमारी वेतन विसंगति दूर होगी जिससे हमें सम्मानजनक पदसोपान तथा सामाजिक व आर्थिक न्याय मिल सकेगा। छत्तीसगढ में महिला पर्यवेक्षकों की संख्या लगभग 1866 है। प्रदेश के सभी ग्राम/कस्बा/वार्ड पर्यवेक्षकों के परिक्षेत्र अंर्तगत आते हैं जिसमें प्रदेश भर की समस्त आंगनबाडी कार्यकर्तायें व सहायिकायें (कुल संख्या 1 लाख) तथा लगभग 7.5 लाख महिला स्वसहायता समूह एवं अन्य सभी महिलाओं का सशक्तिकरण हमारे कार्यदायित्व अंर्तगत आता है।

पर्यवेक्षक लगभग 10 लाख महिलाओं एवं उनके परिवार को जागरूक करतीं है किन्तु हम अपने ही विभाग में आर्थिक, मानसिक और सामाजिक रूप से सम्मानजनक पदसोपान से वंचित हैं।

मुख्‍यमंत्री को राखी मांग कर मांगा वादा

संघ की तरफ से मुख्‍यमंत्री साय को पत्र लिखकर अपनी मांगों से अवगत कराया गया है। राखी के मौके पर पर्यवेक्षकों ने मुख्‍यमंत्री को राखी बांध कर अपनी मांगों से अवगत कराया। सीएम को बताया कि पर्यवेक्षकों को 5200-20200 ग्रेड पे 2400 प्राप्त होता हैं। जो हमारे समकक्ष शैक्षणिक योग्यता के अधिकारियों से बहुत कम हैं। हम कार्यपालिक श्रेणी के कर्मचारी है। पांचवे वेतनमान से हमारा वेतन समकक्ष अधिकारियों से कम कर दिया गया लेकिन कार्यदायित्व अन्य पदों की अपेक्षा अत्यधिक बढ़ा दिया गया है। जहाँ एक ओर सरकार महिलाओं को सशक्त मजबूत और आत्म निर्भर बनाना चाहती हैं, जिसका मैदानी स्तर का पूरा दायित्व पर्यवेक्षकों पर होता है, वहीं दूसरी ओर अन्य समकक्ष अधिकारियो की अपेक्षा हमारा वेतन कम करना असमानता को प्रदर्शित करता हैं। हमारा वेतन निर्धारण अन्यायपूर्ण तरीके से किया गया हैं जो महिलाओं की सामाजिक आर्थिक समानता सिद्धांत के विरूद्ध है।

Advertisement

जनिए…क्‍या है महिला पर्यवेक्षकों की समस्‍या Female Supervisor:

राज्य में पर्यवेक्षकों के पदोन्नति के अवसर भी लगभग 6% है अतः 94% पर्यवेक्षक इस पद से ही सेवानिवृत्त हो जाती हैं। इस संबंध में बिंदुवार विवरण संलग्न है। कृपया वेतन विसंगति दूर करने की दिशा में विचार कर आवश्यक कार्यावाही करने की कृपा करें ।

प्रारंभ में एकीकृत बाल विकास परियोजनाएं आदिम जाति कल्याण विभाग एवं पंचायत समाज कल्याण विभाग के अधीन संचालित थी। इन परियोजनाओं में पर्यवेक्षक के पद पर उच्चश्रेणी शिक्षक तथा पंचायत निरीक्षक के समकक्ष कर्मचारी को पदस्थ किया गया था। 1986 में महिला एवं बाल विकास विभाग के गठन पश्चात विभाग में इन दायित्वों के लिए पर्यवेक्षक पद का सृजन किया गया, परन्तु इस पद का वेतनमान पंचायत इंस्पेक्टर के वेतन से कम निर्धारित किया गया है। तत्कालीन स्थिति में महिला एवं बाल विकास पर्यवेक्षकों तथा समकक्ष पदों में व्याप्त वेतन विसंगति है।

छत्तीसगढ़ राज्य में पर्यवेक्षकों का मूल कार्यदायित्व अन्य राज्यों की भांति केन्द्र शासन के अनुसार ही है, किन्तु छत्तीसगढ़ राज्य में कल्याणकारी योजनाओं के विस्तार के साथ पर्यवेक्षकों के कार्यदायित्व बढते ही जा रहे हैं। इस परिस्थिति में भी अन्य राज्यों की अपेक्षा छत्तीसगढ़ में पर्यवेक्षकों का वेतनमान बहुत ही कम है तथा इसमें कई विसंगतियां है। अन्य राज्यों के तुलना में भी छ.ग. महिला पर्यवेक्षकों का वेतन अत्यन्त कम है जबकि कार्यदायित्व समान है।

Female Supervisor: एकीकृत बाल विकास परियोजना केंद्र प्रवर्तित योजना है तथा पर्यवेक्षकों का वेतन भुगतान भी केंद्र शासन द्वारा अनुदान के रूप में उपलब्ध कराया जाता हैं। अतः वेतनमान में बढ़ोतरी से राज्य को न्यूनतम आर्थिक व्यय वहन करना होगा।

यह कि पर्यवेक्षकों का वेतनमान 5200-20200 ग्रेड पे-2400 है तथा परियोजना अधिकारी पद का वेतनमान 9300-34800 ग्रेड पे 4300 है। पदोन्नति के पद तथा पर्यवेक्षकों के पद के वेतन बैंड में बहुत अधिक अंतर है। 20 वर्ष की सेवा अवधि पश्चात दो समयमान वेतनमान मिलने के उपरांत भी पर्यवेक्षक परियोजना अधिकारी के वेतन बैंड तक नहीं पहुंच सकते हैं। इन विसंगतियों को देखते हुए पर्यवेक्षकों का वर्तमान वेतन बैंड में संशोधन किया जाना अति आवश्यक है ।

पर्यवेक्षकों का छठवें वेतनमान में 5200-20200 ग्र.पे. 2400/- (लेवल 6 में 25300/-) था हमारी मांग है कि वेतन विसंगति दूर करते हुए इसे सातवें वेतनमान में 9300-34800 ग्र.पे. 4200/- (लेवल 8 में 35400/-) करने की कृपा करें।

सातवें वेतनमान में 9300-34800 ग्र.पे. 4200/- (लेवल 8 में 35400/-) निर्धारित करने पर राज्य पर अतिरिक्त भार नगण्य ही आयेगा जिसके बिन्दु निम्नानुसार हैं-

• 35400 25300 10100

• 10100 X 1866 1.87 करोड अतिरिक्त भार प्रति माह जिसका 25% केन्द्र शासन तथा 75% राज्य शासन द्वारा दिया जाना है।

• 75% की दर से राज्य शासन पर रू. 15.91 करोड़ का अतिरिक्त व्यय भार प्रतिवर्ष होगा जोकि महिला सशक्तिकरण का बजट लगभग 3000 करोड और वेतन अतिरिक्त भार 0.005% से भी कम है।

अतएव निवेदन है कि पर्यवेक्षकों की वेतन विसंगति के संबंध में सहानुभुतिपूर्वक विचार करते हुए, अपने कार्यकाल में हमें सम्मान देते हुए हमारी वेतन विसंगति दूर करने की कृपा करें।

Female Supervisor: संक्षिप्त विवरण

छत्तीसगढ में महिला पर्यवेक्षकों की संख्या लगभग 1866 है। प्रदेश के सभी ग्राम/कस्बा/वार्ड पर्यवेक्षकों के परिक्षेत्र अंर्तगत आते हैं जिसमें प्रदेश भर की समस्त आंगनबाडी कार्यकर्तायें व सहायिकायें (कुल संख्या 1 लाख) तथा लगभग 7.5 लाख महिला स्वसहायता समूह एवं अन्य सभी महिलाओं का सशक्तिकरण हमारे कार्यदायित्व अंर्तगत आता है। पर्यवेक्षक लगभग 10 लाख महिलाओं एवं उनके परिवार को जागरूक करतीं है

पाण्डे वेतनमान से ही लगातार बिना किसी विशिष्ट कारण के महिला बाल विकास की पर्यवेक्षकों

के वेतन विसंगति दूर करने के प्रस्ताव को अमान्य कर दिया जाता है। पर्यवेक्षकों के कार्यदायित्व में लगातार वृद्धि हो रही है किन्तु कार्यानुरूप सम्मान जनक वेतन नहीं दिया जा रहा है।

पर्यवेक्षकों का छठवें वेतनमान में 5200-20200 ग्र.पे. 2400/- (लेवल 6 में 25300-/) है वेतन विसंगति दूर करते हुए इसे सातवें वेतनमान में 9300-34800 ग्र.पे. 4200/- (लेवल 8 में 35400/-) की हमारी मांग है।

1.87 करोड अतिरिक्त भार प्रति माह होगा जिसका 25% केन्द्र शासन द्वारा देय होगा।

महिला सशक्तिकरण का बजट लगभग 3000 करोड़ और वेतन अतिरिक्त भार 0.005% से भी कम है।

ये मिथ्या तथ्य है कि पर्यवेक्षकों वेतनमान में 9300-34800 ग्रेड पे 4200 (सातवें वेतनमान-लेवल 8) किये जाने से पर्यवेक्षक परियोजना अधिकारियों के बराबर वेतनमान लेंगे क्योंकि परियोजना अधिकारियों का वेतनमान 9300-34800 ग्रेड पे 4300 (सातवें वेतनमान लेवल 9) है।

अतः महिला पर्यवेक्षकों (तृतीय वर्ग कार्यपालिक) के साथ वेतनमान निर्धारण में हुए भेद भाव को दूर कर घोषणा पत्र में सम्मिलित बिन्दु महिलाओं का सम्मान एवं सशक्तिकरण की आशा को पूर्ण करेंगे।

Advertisement

Imprint
Responsible for the content:
chaturpost.com
Privacy & Terms of Use:
chaturpost.com
Mobile website via:
WordPress AMP Plugin
Last AMPHTML update:
13.11.2024 - 07:03:11
Privacy-Data & cookie usage: