Military in Bastar: रायपुर। नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के माड (अबूझमाड़) क्षेत्र में भारतीय सेना का मेनुवर रेंज की स्थापना का प्रस्ताव है। इससे बस्तर संभाग में अंतिम सांस गिन रहे नक्सली दहशत में आ गए हैं। नक्सलियों ने सेना के मेनुवर रेंज की स्थापना के खिलाफ प्रोपगेंडा शुरू कर दिया है। नक्सली इसे आदिवासियों के खिलाफ साजिश बता रहे हैं।
मुनवर रेंज के लिए सेना को माड क्षेत्र में 54 हजार 543 हेक्टेयर यानी लगभग 1 लाख 35 हजार एकड़ जमीन चाहिए। सेना के लिए जमीन की तलाश को लेकर चतुरपोस्ट को गृह विभाग का एक पत्र भी इंटरनेट से मिला है। अगस्त में गृह विभाग की तरफ से यह पत्र नाराणपुर कलेक्टर को लिखा गया है। इसमें सेना के लिए 25 गुना 20 किलोमीटर जमीन के सर्वे के संबंध में जानकारी मांगी गई है।
इधर, नक्सलियों की तरफ से जारी एक लिखित बयान में कहा गया है कि मेनुवर रेंज के लिए नारायणपुर जिला के कोहकामेटा तहसील की 13 ग्राम पंचायतों के 52 आश्रित गांवों को खाली कराए जाएगा। यह आदिवासियों के जंगल को खत्म करने की साजिश है। इसमें केंद्र सरकार के साथ छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की राज्य सरकारें भी शामिल हैं।
जानकारी के अनुसार अभी देश में सेना का सबसे बड़ा मेनुवर रेंज राजस्थान के जैसलमेर में है। यह पोखरण का क्षेत्र है। वहां 7872.6319 हेक्टयेर जमीन सेना को ट्रेनिंग के लिए दी गई है। 2023 में इसे मंजूरी मिली है। इस लिहाज से छत्तीसगढ़ में प्रस्तावित मेनुवर रेंज दूसरा सबसे बड़ा हो सकता है। राज्य सरकार के अफसरों ने बताया कि सेना के मेनुवर रेंज से प्रकृति को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। इस क्षेत्र में सेना को जंगल वार फेयर जैसी ट्रेनिंग दी जाएगी।
बस्तर संभाग में सेना का ट्रेनिंग सेंटर बनाने का प्रस्ताव काफी पुराने है। करीब 10-15 साल पहले इसका प्रस्ताव बना था, लेकिन वह अमल में नहीं आ सकता। हालांकि ऐसी चर्चा है कि इस दौरान सेना की कुछ कंपनियां नारायणपुर क्षेत्र ट्रेनिंग करके जा चुकी हैं, लेकिन यह लंबे समय तक नहीं चला। बताते चलें कि इसी साल अगस्त में रायपुर में हुई नक्सल प्रभावित राज्यों की बैठक में भी बस्तर में सेना के मेनुवर रेंज को लेकर चर्चा हुई थी।
सेना के एक एक सेवा निवृत्त अफसर के अनुसार मेनुवर रेंज ट्रेनिंग सेंटर होता है, जहां सेना अपने युद्ध कौशल का अभ्यास करती है। बस्तर में प्रस्तावित सेंटर में भारतीय सेना के जवानों को जंगल की विषम परिस्थितियों में ऑपरेशन की ट्रेनिंग के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसमें किसी तरह का निर्माण नहीं होगा, बल्कि जंगल की प्राकृतिक और भौगोलीक स्थिति में ही ट्रेनिंग होगी।
नक्सलियों ने सेना के मेनुवर रेंज को माड क्षेत्र में स्थित प्रकृतिक और खजिन संपदा की साजिश बताया है। नक्सली प्रवक्ता के हस्ताक्षर से जारी बयान में कहा गया है कि अस्तित्व व अस्मिता को पूरी तरह खत्म करने के लिए ही यह सैन्य मेनुवर रेंज प्रस्तावित है, अन्यथा भारतीय सेना को माड पर अपना मैनूवर रेंज बनाने की जरूरत ही नहीं है. क्योंकि सेना के पास देश के अलग-अलग राज्यों में 20 लाख एकड़ से भी अधिक जमीनें हैं।
उन तमाम जमीनों को छोड़कर मध्य भारत के माड जिसका देश की सरहदों से कोई संबंध नहीं है, पर कब्जा करना निसंदेह सरकारों के आदिवासी हनन क नीति का परिचायक है। जानकारों के मुताबिक यहां स्पेशल फोर्सेज को ड्रोनों व युद्ध टैंकों से हमले करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा जिसका सीधा मतलब यही है कि आदिवासियों के प्रतिरोध को लौह बूटों तले रौंदा जाएगा।