OBC रायपुर। छत्तीगसढ़ में ओबीसी आरक्षण को लेकर राजनीति गरमा गई है। प्रदेश के एक भी जिला पंचायत अध्यक्ष का पद ओबीसी के लिए आरक्षित नहीं किए जाने को लेकर कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
बयानबाजी के बाद अब कांग्रेस ने इसको लेकर सड़क की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस ने बुधवार (15 जनवरी) को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में धरना प्रदर्शन करने का फैसला किया है। इधर, सत्ता रुढ़ भाजपा की तरफ से जवाबी हमला शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और डिप्टी सीएम अरुण साव के साथ संगठन ने भी कांग्रेस पर हमला बोला है।
राज्य में त्रि स्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के लिए वार्डों के साथ सरपंच, जनपद सदस्य और जिला पंचायत अध्यक्ष के साथ महापौर व अध्यक्ष के पदों के लिए आरक्षण किया गया है। इसमें कई निकायों में ओबीसी का आरक्षण कम हो गया है।
ओबीसी को सबसे ज्यादा झटका जिला पंचायत अध्यक्ष के आरक्षण में लगा है। प्रदेश के 33 जिला पंचायतों में से एक भी जिला पंचायत अध्यक्ष का ओबीसी के हिस्से में नहीं गया है। 16 जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी एसटी और चार एससी के लिए आरक्षित हुई है। इसमें आठ एसटी महिला और दो एससी महिला शामिल है। वहीं, बाकी सामान्य वर्ग के हिस्से में गया है।
कांग्रेस ने 15 जनवरी को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालया में प्रदर्शन करने का फैसला किया है। इस संबंध में प्रदेश मुख्यालय की तरफ से सभी जिलों को एक पत्र जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव 2025 में राज्य सरकार की तरफ लागू की गई आरक्षण की नई व्यवस्था के तहत वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए हुए आरक्षण में एक भी पद ओबीसी के लिए आरक्षित नहीं है। यह स्थिति तब है कि जबकि प्रदेश की आधी आबादी अन्य पिछड़ा वर्ग की है।
इस बहुसंख्यक आबादी के साथ भाजपा की सरकार अन्याय कर रही है। आरक्षण प्रावधानों में किए गए दुर्भावनापूर्वक संशोधन के कारण त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण खत्म हो गया है।कांग्रेस के प्रदेश महासिचव की तरफ से जारी इस पत्र में कहा गया है कि प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के साथ हो रहे घोर अन्याय को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में 15 जनवरी को एक दिवसीय जिलास्तरीय धरना- प्रदर्शन किए जाने का निर्णय लिया है।
स्थानीय प्रदेश पदाधिकारियों, सांसद, पूर्व सासद प्रत्याशी विधायक, पूर्व प्रत्याशी , पूर्व विधायकों, एआईसीसी और पीसीसी सदस्यों, जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों, ब्लाक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, पदाधिकारियों, मोर्चा संगठन, प्रकोष्ठ विभाग के जिला, ब्लाक पदाधिकारियों, सोशल मीडिया के प्रशिक्षिति सदस्यों, नगरीय निकाय, त्रि-स्तरीय पंचायत के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों, सहकारिता क्षेत्र के पदाधिकारियों, वरिष्ठ कांग्रेसजनों की उपस्थिति सुनिश्चित करते हुए 15 जनवरी को जिला मुख्यालयों में धरना प्रदर्शन को सफल बनाए।
ओबीसी आरक्षण को लेकर कांग्रेस की तरफ से हो रही बयानबाजी को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जबरदस्ती की राजनीति करार दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेसियों को अच्छी तरह से मालूम है कि यह सब उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार हो रहा है। हमारी सरकार ने पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का गठन किया था, उसी के आधार पर यह सब काम हो रहा है। कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए लोगों को भमराने का प्रयास कर रही है, लेकिन जनता सब जानती है।
इधर, भाजपा प्रदेश मुख्यालय में आज एक प्रेसकांफ्रेंस का आयोजन किया गया। इसमें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण सिंहदेव के साथ डिप्टी सीएम अरुण साव और मंत्री टंक राम वर्मा भी शामिल हुए। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सिंहदेव ने कांग्रेस पर वर्ग संघर्ष बढ़ाने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस राजनीतिक पतन की ओर बढ़ रही है।
उन्होने आरोप लगाया कि प्रदेश में अपनी सरकार के दौरान कांग्रेस ने ओबीसी आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट जाने वाले को पद देकर पुरस्कृत किया था। सिंहदेव ने कहा कि पार्टी सामान्य वर्ग की सीटों पर अधिकतम ओबीसी प्रत्याशी उतारेगी।
डिप्टी सीएम साव ने तथ्य पेश करते हुए कहा कि कांग्रेस शुरू से आरक्षण और पिछड़ा वर्ग विरोधी रही है। साव ने पं. जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कार्यकाल का उल्लेख करते हुए बताया कि इनके कार्यकाल में लगातार आरक्षण के खिलाफ काम हुआ। उन्होंने बताया कि प्रदेश में जो आरक्षण लागू किया गया है वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार है।
इधर, भाजपा नेताओं ने आरक्षण के खिलाफ आंदोलन कर रही कांग्रेस को कोर्ट जाने की चुनौती दी है। भाजपा नेताओं ने कहा कि कांग्रेस को यदि लग रहा है कि राज्य सरकार ने नियमों के खिलाफ जाकर काम किया है तो कांग्रेस इसे कोर्ट में चुनौती दे सकती है। भाजपा नेताओं ने कहा कि कांग्रेस में कोर्ट जाने की हिम्मत नहीं है, क्योंकि कांग्रेस को पता है कि जो भी हुआ है वह सब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार हुआ है।