Power company: रायपुर। छत्तीसगढ़ की सरकारी पावर कंपनी का मुख्यालय भी नवा रायपुर शिफ्ट किया जाएगा। इसका प्रस्ताव तैयार हो चुका है। डंगनिया स्थित पावर कंपनी मुख्यालय को नवा रायपुर शिफ्ट करने में करीब 200 करोड़ रुपये खर्च होगा। यह शुरुआती अनुमान है। पावर कंपनी के सेवानिवृत्त इंजीनियर्स और आफिसर्स ने इस पर आपत्ति जताते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखा है। छत्तीसगढ़ रिटायर्ड पावर इंजीनियर्स-आफिसर्स एसोसिएशन की तरफ से एसजी ओक ने यह पत्र सीएम को लिखा है।
इसमें उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से राज्य विद्युत कंपनियों के मुख्यालय को नवा रायपुर स्थानांतरित किए जाने बाबत् आनन फानन में कार्यवाही की जा रही है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस के लिए मुख्यालय भवन निर्माण के लिए सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी तेजी से चल रही है।
अभी हालांकि यह खर्च 200 करोड़ का बताया जा रहा है, लेकिन सभी जानते हैं कि वास्तव में यह इसके दोगुने से भी ज्यादा होगा। एसोसिएशन के विचार से यह नितांत अनावश्यक है। इस संबंध में निम्नांकित बिन्दु महत्वपूर्ण हैं :-
1. स्वयं के वर्तमान परिसर में पर्याप्त उपलब्धता – वर्तमान मुख्यालय परिसर विद्युत कंपनियों के स्वयं के आधिपत्य में है। यह पूरी तरह से पर्याप्त है। पिछले कुछ वर्षों में परिसर में कुछ कार्यालय भवन बनाए गए हैं। हाल ही में तीन कार्यालय भवनों का निर्माण हुआ हैं, जिनमें से एक का तो अभी तक उद्घाटन भी नहीं हुआ है। अगर कार्यालयों के लिए और भी स्थान की आवश्यकता है तो अलग-अलग भवन बनाए जाने के बजाए बहुमंजिला कार्यालय भवन बनाया जा सकता है।
यही नहीं, अभी भी परिसर में कुछ अत्यंत पुराने अनुपयोगी भवन हैं जिनके स्थान पर भी नया निर्माण किया जा सकता है। ऐसे में मुख्यालय स्थानांतरण का कोई औचित्य नहीं है।
2. अनावश्यक वित्तीय बोझ जो कार्य मौजूदा परिसर में अधिकतम मात्र 05 करोड़ रुपये में आसानी से संभव है उसके लिए नवा रायपुर में लगभग 200 करोड़ रुपये खर्च कर के उपभोक्ताओं पर बोझ डालना न केवल अनावश्यक है बल्कि गैर जिम्मेदाराना भी है।
3. मुख्यालय स्थानांतरण से असुविधा – वर्तमान मुख्यालय परिसर तक पहुंचना बाहर से आने वाले कार्मिकों / सेवा प्रदाताओं / उपभोक्ताओं / सेवानिवृत्त कार्मिकों सभी के लिये सुविधाजनक है जबकि प्रस्तावित स्थानांतरण से सभी की कठिनाई बढ़ जाएगी।
ओक ने लिखा है कि उपरोक्त के मद्देनजर यह समझ से परे है कि प्रस्तावित स्थानांतरण का उद्देश्य क्या है ? अत्यंत गंभीर बात यह भी है कि किसी भी अधिकारी के पास इस मुद्दे पर कोई उत्तर नहीं है, केवल एक ही जवाब है कि जो कुछ किया जा रहा है वह ऊपर से आदेश के तहत किया जा रहा है।
किसी को भी यह नहीं पता कि आखिर “ऊपर से आदेश” का अर्थ क्या है। वहीं कार्मिकों में ही नहीं वरन् जनता में भी दबे पांव यह चर्चा मुखर है कि इस सबसे आखिर में वर्तमान कार्यालय भूमि को भू माफिया को सौंपने का रास्ता ही खुलेगा।
अगर बिजली कंपनियोंAMP के पास 500 करोड़ रुपये अतिरिक्त उपलब्ध ही हैं, तो बेहतर होगा कि या तो यह राशि पेंशन फंड में जमा करा दी जाए या विद्युत कर्मियों को प्रोत्साहन के रूप में दी जाए या विद्युत उपभोक्ताओं के हित में खर्च की जाए, परंतु अनावश्यक खर्च न की जाए।
बिजली कंपनियों का प्रस्तावित मुख्यालय स्थानांतरण निश्चित रूप से न केवल सभी के लिए कष्टप्रद है वरन् शासन की छवि के लिए हानिकारक भी है। ओक ने इस मामले में सीएम से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई है।
उन्होंने कहा है कि जिम्मेदार अधिकारियों को मुख्यालय स्थानांतरण बाबत् चल रही समस्त गतिविधियों पर अविलम्ब रोक लगाने के लिए आदेशित करें ताकि एक ओर उपभोक्ता हितों की रक्षा की जा सके वहीं दूसरी ओर शासन की छवि धूमिल होने से बचाई जा सके।